TrendingIndigoGoasir

---विज्ञापन---

समंदर में भारत ने बढ़ाई दुश्मनों की टेंशन! चीन-पाकिस्तान को करारा जवाब, राजनाथ सिंह ने कही बड़ी बात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक के कारवार नौसेना बेस का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र के नौ मित्र देशों के 44 नौसेना कर्मियों के साथ हिंद महासागर में आईएनएस सुनयना को हरी झंडी दिखाई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय नौसेना कर्मियों के साथ। (फोटो क्रेडिट X @rajnathsingh)
भारतीय नौसेना की ताकत को देखकर दुश्मन देश भी सहम जाते हैं। अरब सागर हो या फिर हिंद महासागर भारतीय नौसेना ने बड़ी मात्रा में नशे के सामान को बरामद किया है। साथ ही घुसपैठ पर भी पैनी निगरानी रखी हुई है। इसी कड़ी में आईएनएस विक्रांत और आइएनएस विक्रमादित्य के बाद भारतीय नौसेना के बेड़े में अब आईएनएस सुनयना को शामिल किया गया है। वहीं, भारत की समुद्री ताकत को मजबूत करने वाला करवार नौसैनिक बेस अब और भी आधुनिक बन गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को इस नए एडवांस बेस का उद्घाटन किया। यह प्रोजेक्ट सीबर्ड का हिस्सा है। यह बेस भविष्य में पूर्वी गोलार्ध का सबसे बड़ा नौसैनिक बेस बन सकता है, जहां एक साथ 50 युद्धपोत और पनडुब्बियां तैनात किए जा सकेंगे।

भारत का समुद्री सुरक्षा में बड़ा कदम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक के कारवार में भारतीय नौसेना के आईएनएस सुनयना को हरी झंडी दिखाई। रक्षा मंत्री ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत निर्मित आधुनिक परिचालन, मरम्मत और रसद सुविधाओं का भी उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और दूसरे सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने 9 मित्र देशों कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और तंजानिया के 44 नौसैनिकों के साथ आईएनएस सुनयना को हरी झंडी दिखाई।

राजनाथ सिंह ने कही ये बात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में कोई भी देश अपनी अत्यधिक सैन्य और आर्थिक ताकत से दूसरे को दबा न सके। उन्होंने यह बात क्षेत्र में चीन की लगातार जारी रणनीतिक घुसपैठ की पृष्ठभूमि में कही। सिंह ने तटीय कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे से पहले 'आईओएस सागर' को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि भारत का उद्देश्य आईओआर को 'भाईचारे और साझा हितों के प्रतीक' के रूप में विकसित करना है। रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में जहाजों के अपहरण और समुद्री डाकुओं की हरकतों जैसी घटनाओं के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की।

'भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर रही है'

सिंह ने आईओएस सागर (IOS SAGAR) के प्रक्षेपण को समुद्री क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सामूहिक सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताया। आईओआर में भारत की बढ़ती उपस्थिति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ हमारी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों से जुड़ा नहीं है बल्कि मित्र देशों की सुरक्षा को भी बढ़ाता है। हमारी नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि आईओआर में कोई भी देश अपनी भारी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के आधार पर दूसरे देश को दबा न सके। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्ट्रों के हितों की रक्षा उनकी संप्रभुता से समझौता किए बिना की जाए।' उन्होंने कहा कि अन्य हितधारकों के साथ भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर रही है। अत्याधुनिक जहाजों, हथियारों, उपकरणों और अच्छी तरह से प्रशिक्षित प्रेरित नाविकों से लैस होकर हम अन्य मित्र देशों के साथ भाईचारे और साझा हितों के प्रतीक के रूप में आईओआर को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।

रक्षा मंत्री ने बताया 5 अप्रैल का ऐतिहासिक महत्व 

उन्होंने कहा कि अब जब भारत SAGAR से महासागर में परिवर्तित हो गया है तो IOS SAGAR की यात्रा शुरू करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। रक्षा मंत्री ने 5 अप्रैल के ऐतिहासिक महत्व को लेकर कहा कि इसी दिन भारत का पहला व्यापारिक जहाज एसएस लॉयल्टी 1919 में मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुआ था। उन्होंने कहा कि यह एक गर्व का क्षण है कि भारत उसी तारीख को क्षेत्रीय सहयोग का नेतृत्व कर रहा है, जिस दिन हम अपनी समुद्री विरासत को चिह्नित करते हैं। युद्धपोत आईएनएस सुनयना अपनी तैनाती के दौरान दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुइस, पोर्ट विक्टोरिया और माले के बंदरगाहों पर रुकेगा साथ ही तंजानिया, मोजाम्बिक, मॉरीशस और सेशेल्स के ईईजेड की संयुक्त निगरानी करेगा। जहाज पर सवार अंतरराष्ट्रीय चालक दल ट्रेनिंग अभ्यास करेंगे और कोच्चि में अलग-अलग व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूलों में स्टडी भी करेंगे।

चीन और पाकिस्तान पर नजर

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन ने हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह, पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट और कई चीनी पनडुब्बियों की मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय रही है। ऐसे में करवार अड्डा भारत के लिए जवाबी रणनीति का अहम हिस्सा बनकर उभरेगा। पाकिस्तान के साथ चीन की नजदीकी और दोनों देशों की भारत-विरोधी गतिविधियों को देखते हुए यह अड्डा पश्चिमी तट पर भारत की निगरानी और जवाबी कार्रवाई की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा।


Topics:

---विज्ञापन---