Deepfake अश्लील कंटेंट का बड़ा टूल, कितना खतरनाक और क्या है कानून-सजा? वो बातें जो जाननी जरूरी
Rashmika Mandanna Deepfake Video
Law and Punishment For Deepfake Videos: एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के डीपफेक वीडियो ने देश में डीपफेक (Deep Fake) पर बड़ी बहस छेड़ दी है। 6 नवंबर को एक्ट्रेस का वीडियो वायरल हुआ, जो फर्जी था। जारा पटेल नामक इंफ्लूएंसर के चेहरे पर उनका चेहरा लगाकर वीडियो एडिट किया गया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन ने तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं और कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की। इस बीच हम आपको बता रहे हैं कि ‘डीपफेक’ वीडियो बनाने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है? इसके लिए देश में क्या कानून बना है और क्या सजा हो सकती है?
DeepFake वीडियो बनाने पर IT एक्ट के तहत केस दर्ज होगा
भारतीय कानून के अनुसार, डीपफेक वीडियो बनाना। किसी की फोटो या वीडियो को मॉर्फ करके सोशल मीडिया पर वायरल करना जुर्म है। ऐसा करने वाले के खिलाफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धाराओं 66E, 67A और 67B के तहत केस दर्ज किया जाता है। डीपफेक वीडियो के जरिए अगर साइबर ठगी या ब्लैकमेलिंग की जाती है तो IPC की धाराओं 506, 503 और 384 के तहत केस दर्ज होता है। बता दें कि पहले भारत में डीपफेक वीडियो को लेकर अलग से कोई कानून नहीं है, लेकिन अमेरिका जैसे कुछ देशों में डीपफेक को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं। भारत में भी IT एक्ट सेक्शन 66ए के तहत डीपफेक वीडियो बनाने वाले को 3 साल तक की जेल हो सकती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस सेक्शन को असंवैधानिक करार दे दिया था। डीपफेक वीडियो बनाने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर किसी की छवि खराब होती है तो मानहानि का केस हो सकता है। सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ IT नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है।
क्या है और कैसे बनता ‘Deepfake’ वीडियो?
डीपफेक शब्द का इस्तेमाल पहली बार 2017 में हुआ था। अमेरिका के सोशल न्यूज एग्रीगेटर Reddit पर डीपफेक ID से कई सेलिब्रिटी के वीडियो पोस्ट हुए थे। एक्ट्रेस एमा वॉटसन और व्लादिमीर पुतिन के वीडियो भी अपलोड हुए थे। डीपफेक इमेज और वीडियो दोनों तरह के हो सकते हैं। फोटो, वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग को किसी दूसरे की फोटो, वीडियो, ऑडियो, आवाज, एक्सप्रेशन से बदल दिया जाता है। यह काम इतनी सफाई से किया जाता है कि कोई असली-नकली को पहचान भी नहीं पाता। इसके लिए मैकेनिकल लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाता है। अब AI टेक्नोलॉजी में आवाज बदलने का ऑप्शन भी आ गया है तो अंदाजा लगा सकते है कि यह कितना खतरनाक हो सकता है। सॉफ्टवेयर के जरिए किसी के चेहरे को स्कैन करके, उसे वीडियो फ़ाइल में कनवर्ट किया जाता है। फिर AI का इस्तेमाल करके फेक वीडियो बनाई जाती है।
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डीपफेक वीडियो की पहचान कैसे की जा सकती है?
डीपफेक वीडियो या इमेज की पहचान करने के लिए सही टूल का पता होना जरूरी है। इसके लिए चेहरे पर बारिकी से ध्यान देना चाहिए। स्किन की हर चीज को गौर से देखें। होंठों का आकार और पलक झपकाने की स्पीड को भी ध्यान से नोटिस करें। देखने और सुनने संबंधी विसंगतियों के साथ-साथ अन्य एक्सप्रेशन भी देख सकते हैं।चेहरे के भाव, बेमेल लिप-सिंक या पलक झपकाने की स्थिति देखें। बोलते समय इस्तेमाल की गई लैंग्वेज पर ध्यान दें, क्योंकि बराक ओबामा जो लैंग्वेज इस्तेमाल करते, डोनाल्ड ट्रंप वह नहीं करते। बराक ओबामा का बोलने का तरीका जैसा होता है, वह डोनाल्ड ट्रंप का नहीं हो सकता।
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