कांग्रेस 14 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली अपनी बड़ी रैली को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो गई है. पार्टी इसे ‘वोट चोरी’ और इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप के खिलाफ राष्ट्रीय मुहिम की शुरुआत बता रही है. दावा है कि इस रैली में सबसे बड़ा जनसैलाब राजस्थान से पहुंचेगा.
इसी तैयारी का जायज़ा लेने के लिए कांग्रेस के संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और वरिष्ठ नेता अजय माकन जयपुर पहुंचे. इन दोनों नेताओं ने एसआईआर के मुद्दे के बिहार में विफल होने के सवाल पर कहा कि हो सकता है वहां यह मुद्दा समझ में ना आया हो लेकिन पार्टी इसे लेकर अपना आंदोलन और तेज करेगी
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जयपुर में हुई बैठक के बाद वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान की भूमिका इस रैली में बेहद अहम रहेगी और तैयारियां संतोषजनक हैं. उन्होंने दावा किया कि ‘वोट सहर गद्दी छोड़’ अब केवल कांग्रेस का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता बन चुका है. उन्होंने आरोप लगाया कि—आम आदमी का वोट अब सरकार की “दया” पर निर्भर दिखाई देने लगा है. राहुल गांधी तीन बार सबूतों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं. सरकार बहस और जवाब से बच रही है.
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वेणुगोपाल ने कहा, ‘14 दिसंबर की रैली एक शुरुआत भर है. देशभर में एक बड़े आंदोलन की नींव रखी जा रही है.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस को वोटर लिस्ट मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में नहीं दी जा रही है. मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. चुनाव आयोग कांग्रेस के प्रतिनिधियों से मिलने में भी टालमटोल कर रहा है ये सब लोकतंत्र पर खतरे के संकेत हैं.
5 करोड़ लोगों का हस्ताक्षर अभियान
वेणुगोपाल ने बताया कि वोटर लिस्ट धांधली सहित पांच मुद्दों पर देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है और अब तक 5 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं. यह अभियान जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर तक ले जाया जाएगा.
जवाब से क्यों बच रही है सरकार- अजय माकन
अजय माकन ने कहा कि रैली को लेकर राजस्थान से बड़ी उम्मीदें हैं. पंजाब में चुनाव के बावजूद राजस्थान की तैयारी मज़बूत है. उन्होंने आरोप लगाया कि—सरकार मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट देने से बच रही है पहले सीसीटीवी फुटेज 1 साल तक रखने का नियम था, जिसे बदलकर अब सिर्फ 45 दिन का कर दिया गया.
चुनाव आयोग के खिलाफ किसी भी सिविल कार्रवाई पर रोक लगाने का कानून क्यों लाया गया? सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चयन समिति में से CJI को हटाकर नियम क्यों बदला गया?माकन के अनुसार, यह सब “वोट चोरी आसान करने और पारदर्शिता खत्म करने की कोशिश” है. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी लोकतंत्र को मज़बूत रखना है, जिसमें ‘मोदी सरकार विफल साबित हुई है.’
बिहार का उदाहरण और आगे की रणनीति
बिहार में इस मुद्दे पर अपेक्षित प्रभाव न दिखने पर माकन ने कहा कि ‘हो सकता है लोगों को उस समय बात समझ में नहीं आई हो, लेकिन हमारा प्रयास जारी रहेगा.’
उन्होंने दावा किया कि हरियाणा की तरह बिहार में भी मतदान के आंकड़े मतदान के बाद बढ़ाए गए थे.
कुल मिलाकर, कांग्रेस 14 दिसंबर की दिल्ली रैली को ‘वोट चोरी’ के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की पहली बड़ी कड़ी के रूप में पेश कर रही है—और उसकी रणनीति में राजस्थान केंद्र में दिखाई देता है.