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‘ज्यूडिशियल मुद्दों पर दोहरा स्टेंडर्ड दिखा रही BJP’, SIR और तेजस्वी के दर्द पर भी कांग्रेस ने रखी बात

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आकलन के अनुसार 2 से ढाई करोड़ मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं, जबकि EC का आंकड़ा सिर्फ 61 लाख है। इस पर उन्होंने चुनाव बहिष्कार तक की संभावना जताई। साथ ही न्यायपालिका के मामलों में भाजपा के दोहरे रवैये की आलोचना की।

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघुवी
SIR पर कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे आकलन के हिसाब से 2 से ढाई करोड़ मतदाताओं के नाम कटने वाले हैं। EC का आकलन 61 लाख है। अगर इतनी बड़ी मात्रा रही तो सभी विकल्प खुले हैं। उनका इशारा चुनाव के बॉयकॉट पर था। अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा पर न्यायिक मामलों, खासकर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति शेखर यादव के मामले मेंदोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। सिंघवी ने इन दोनों न्यायाधीशों से जुड़े मुद्दों पर  चुप्पी पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भाजपा की कार्रवाई कानून के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता से ज्यादा दिखावे से प्रेरित है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर क्या बोले?

वहीं पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि धनखड़ के हालिया कार्यों, जिनमें संभवतः कुछ स्वतंत्रता दिखाई गई थी, को भाजपा ने एक गलती माना होगा, जिसके कारण ही यह स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि श्री धनखड़ द्वारा, थोड़ी-बहुत स्वतंत्रता दिखाना ही उनकी असली गलती थी। कोई और गलती नहीं। तेजस्वी के चुनाव बॉयकॉट के बयान पर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के बयान नहीं देखिए बल्कि उनकी भावना देखिए. भावना दर्द की है। कौन सी पार्टी चुनाव नहीं लड़ना चाहती? सभी मेहनत करते हैं लेकिन तेजस्वी यादव के इस बयान में उनका दर्द है। चुनाव न लड़ने का विकल्प किसी के लिए बंद नहीं है। अगर चुनाव का बहिष्कार किया तो ये चपट है, ऐसे में EC की साख नहीं रह जाएगी। यह भी पढ़ें : खेलों का भविष्य अब रिटायर चुनाव आयुक्त और ‘सुप्रीम’ जजों के हाथ में! क्या कहता है नया खेल बिल? अभिषेक मनु सिंघवी ने तंज कसते हुए कहा कि आप न्यायमूर्ति यादव पर उल्लेखनीय रूप से चुप्पी साधे हुए हैं, जिनकी टिप्पणियां एक कार्यरत न्यायाधीश के रूप में किसी कानूनी तर्क की तुलना में एक राजनीतिक पार्टी के घोषणापत्र की तरह अधिक लगती हैं।


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