पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को हुगली के फुरफुरा शरीफ में आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने बीजेपी के इस आरोप पर पलटवार किया कि वे इस तरह के आयोजनों में शामिल होकर तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं फुरफुरा शरीफ आई तो वे (सुकांत मजूमदार) कह रहे हैं कि यह चुनाव के कारण और मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए है। उन्होंने सवाल किया कि जब मैं काशी विश्वनाथ जाती हूं तो क्या यह हिंदू तुष्टिकरण के लिए है, जब मैं चर्च जाती हूं तो क्या यह ईसाई तुष्टिकरण के लिए है? मैं जब काली माता की पूजा करती हूं तो कोई मुझसे सवाल नहीं करता।
बंगाल सांप्रदायिक सद्भाव की भूमि
ममता ने कहा कि याद रखें कि मैं ईसाई त्योहार भी मनाती हूं। मैं रोजा इफ्तार में शामिल होती हूं और ईद के जश्न में भी हिस्सा लेती हूं। मैं पंजाबी गुरुद्वारों में भी जाती हूं, गुजरात के दांडी नृत्य में हिस्सा लेती हूं। ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल सांप्रदायिक सद्भाव की भूमि है, यहां मैंने होली के त्योहार पर भी सबको शुभकामनाएं दी थीं। उसी तरह अब मैं प्रार्थना करती हूं कि रमजान के दौरान सभी की दुआएं कबूल की जाएं और सभी शांति से रहें।
सुकांत मजूमदार ने उठाए थे सवाल
बता दें कि रविवार को न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के फुरफुरा शरीफ में निर्धारित कार्यक्रम पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं। वे एक तरफ तो खुद को हिंदू दिखाने की कोशिश करती हैं, ताकि उनको हिंदुओं के वोट मिल सकें। वहीं, दूसरी तरफ वे मुख्य वोट बैंक को पाने के लिए लुभाने के लिए कोशिशें करती हैं। सुकांत ने कहा कि अगर उन्होंने रमजान के महीने में उपवास रखा है तो ही इफ्तार करना चाहिए अन्यथा नहीं। इफ्तार जैसी धार्मिक चीज को सर्कस नहीं बनाया जा सकता। बता दें कि बंगाली मुस्लिमों के लिए फुरफुरा शरीफ महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व रखता है।
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