अब आप आधी रात को भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा पाएंगे, ये कहना है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(CJI) सूर्यकांत का. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि अदालतों के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. CJI ने कहा कि ह्यूमन राइट्स की सेफ्टी के लिए कोई भी व्यक्ति आधी रात को भी कोर्ट जा सकेगा. उन्होंने कहा कि अगर किसी नागरिक को कानूनी इमरजेंसी का सामना करना पड़े या कोई जांच एजेंसी उसे गलत वक्त पर गिरफ्तारी की धमकी देती है, तो वो अपने मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए किसी भी वक्त अदालत से सुनवाई की मांग कर सकेगा.
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'लोगों की अदालत बने सुप्रीम कोर्ट'
CJI सूर्यकांत ने कहा कि उनकी कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लोगों की अदालत बने, जहां कानूनी इमरजेंसी में काम खत्म होने के बावजूद भी किसी भी वक्त संपर्क हो सके. उन्होंने कहा कि कई खास संवैधानिक मुद्दों की याचिकाओं पर अभी तक फैसला नहीं लिया गया है, जैसे कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का मामला.मुख्य न्यायधीश ने बताया कि वो चाहते हैं कि इस तरह की याचिकाओं को निपटाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैनल बनाए जाए.
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SC ने जारी की SOP
CJI ने एक नया सिस्टम लागू किया है जिससे कि लोगों को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके. सुप्रीम कोर्ट ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है, जिसके मुताबिक अदालत में वकीलों की दलीलों और लिखित निवेदन दाखिल करने की टाइम लिमिट तय की गई है. कोर्ट ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि काम में किसी तरह की रुकावट पैदा ना हो और लोगों को न्याय मिलने में देरी ना आए. SOP को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. इसमें लिखा है कि सीनियर काउंसल, दलील पेश करने वाले वकील और रिकॉर्ड पर मौजूद अधिवक्ता, नोटिस के बाद और रूटीन सुनवाई वाले सभी मामलों में मौखिक बहस करने की टाइम लिमिट सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले पेश करेंगे.
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