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‘ऐसा पति खोजें जो घर का काम करे’ दिवंगत पत्नी को याद करते हुए CJI ने सुनाया हैरान कर देने वाला किस्सा

CJI DY Chandrachud Recalls Ex Wife: देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी के बीच मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने निजी और सरकारी संस्थानों को बड़ी नसीहत दी है। बेंगलुरू में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के 31वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करने के दौरान शनिवार को […]

CJI DY Chandrachud
CJI DY Chandrachud Recalls Ex Wife: देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी के बीच मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने निजी और सरकारी संस्थानों को बड़ी नसीहत दी है। बेंगलुरू में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के 31वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करने के दौरान शनिवार को उन्होंने कहा कि हमें अपने संस्थानों में महिलाओं और पुरुषों के लिए एक जैसी वर्किंग कंडीशन बनाने पर काम करना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने अपनी दिवंगत पत्नी से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया। सीजीआई चंद्रचूड़ ने बताया कि उनकी पत्नी जब नौकरी के सिलसिले में एक लॉ फर्म में गई थीं तो साक्षात्कार के दौरान उनसे 24 घंटे और 365 दिन काम करने के लिए तैयार रहने की बात कही गई थी। इस पर जब सीजीआई की पत्नी ने कामकाजी महिलाओं के बारे में पूछा तो जवाब मिला- 'उनकी कोई पारिवारिक जिंदगी नहीं है। यदि लॉ फर्म में काम करना चाहती हैं, तो ऐसा पति खोजें जो घर का काम करे।' उन्होंने खुद जानकारी दी कि वर्ष 2000 उनकी पत्नी भी बार की सदस्य थीं और नौकरी की तलाश कर रही थीं, इस दौरान का यह वाकया है। हालांकि, साक्षात्कार का यह वर्ष 2003-2004 का है।

वर्क फ्रॉम होम की देता हूं अनुमति

दिवंगत पत्नी से जुड़े इस किस्से का जिक्र करते हुए सीजीआई ने यह भी स्वीकार किया है कि अब चीजें बदल रही हैं। साथ ही यह भी बताया कि उनसे जुड़े कानून क्लर्कों के लिए सुबह में मुझे फोन करना और मासिक धर्म के कारण घर से काम करने का अनुरोध करना असामान्य बात नहीं है। ऐसे में मैं उन्हें घर से काम करने की सहज अनुमति दे देता हूं।' यह भी जानकारी दी कि उनके कानून क्लर्कों के स्टाफ में 5 में से 4 महिलाएं हैं।

अच्छा इंसान बनना जरूरी

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान यह भी कहा कि एक अच्छा वकील बनने के लिए एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है। संबोधन में उन्होंने कहा कि एक अच्छा इंसान होना और एक अच्छा वकील होना परस्पर नहीं हैं। अगर आप स्वयं को ऐसी स्थिति में पाते हैं जब एक को दूसरे की कीमत चुकानी पड़ती है तो मैं आपसे सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनने का आग्रह करूंगा।  

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