जम्मू-कश्मीर: घाटी में चिल्लई कलां की शुरुआत, श्रीनगर में पारा माइनस 4.2; डल झील पर जमी बर्फ की परत
आसिफ सुहाफ, श्रीनगर: घाटी में आज से सर्दियों के 40 दिनों का सख्त मौसम कहा जाने वाला 'चिल्लई कलां' की शुरुआत हो गई। पहले दिन ही पूरे कश्मीर घाटी में पारा मायनस में रिकॉर्ड किया गया। मंगलवार रात श्रीनगर में पारा मायनस 4.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि लद्दाख के द्रास इलाके का टेम्प्रेचर माइनस 19.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
मौसम विभाग ने कहा, "श्रीनगर में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.7 डिग्री सेल्सियस कम था। कश्मीर घाटी के काजीगुंड गेट पर भी तापमान शून्य से 4.2 डिग्री सेल्सियस नीचे और सामान्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
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पहलगाम में 6.2 डिग्री रिकार्ड किया गया न्यूनतम तापमान
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 6.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया और यह कश्मीर में सबसे ठंडा स्थान रहा। गुलमर्ग में भी न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लद्दाख घाटी में अधिक ठंड का प्रकोप दिखा। लेह में शून्य से 11.8 डिग्री सेल्सियस और कारगिल में शून्य से 12.1 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान दर्ज किया गया, जबकि द्रास देश में सबसे ठंडा रहा, जहां तापमान शून्य से 19.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
डल झील के किनारों पर जमी बर्फ
कड़ाके की इस ठंड ने श्रीनगर के विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारों और अंदरूनी भागों को जमा दिया। बुधवार सुबह डल झील में कश्तियां बड़ी मुश्किल से चली। कश्ती चालक को झील पर जमी बर्फ की परत को काट कर आगे बढ़ना पड़ा। इसके इलावा कई जगहों पर पानी के नल भी ठंड से जम गए।
क्या है चिल्लई कलां
चिल्लई-कलां को कश्मीर का सबसे कठोर समय माना जाता है। 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक 40 दिनों की लंबी अवधि तक घाटी के लोगों का ठंड से जीवन कठिन हो जाता है।इसके बाद 20 दिन की अवधि को 'चिल्लई-खुर्द' कहा जाता है, जो 30 जनवरी से 19 फरवरी के बीच होती है और फिर 10 दिन की अवधि 'चिल्लई-बच्चा' होती है जो 20 फरवरी से 1 मार्च तक होती है।
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