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आस्था का महापर्व छठ को लेकर बंगाल में सियासी बवाल; भाजपा-टीएमसी आमने सामने  

Bengali Pakkho accused of polluting rivers: बांग्ला पक्खो नामक एक संस्था ने छठ के नाम पर नदियों और तालाबों को दूषित करने का आरोप लगाया है। संस्था ने नदी घाटों और तालाबों की सुरक्षा के लिए जिला व पुलिस प्रशासन से मांग की है।

Bengali Pakkho accused of polluting rivers(अमर देव पासवान): पश्चिम बंगाल में इन दिनों गार्गा चटर्जी ने 'बांग्ला पक्खो के नाम से एक संगठन तैयार किया है, जो संगठन राज्य में सर्वत्र 'जय बांग्ला' की लहर पैदा कर रहा है, जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जिसको लेकर भाजपा और टीएमसी आमने-सामने आ गई हैं। बता दें कि संगठन के द्वारा गैर-बंगालियों विशेषकर हिंदी भाषियों के विरुद्ध पोस्टरबाजी की जा रही है, जिनमें लिखा है- जय बांग्ला…जय बांग्ला…मतलब, बंगाल की जय हो, बंगाल की जय हो। ऐसे ही 'पाहाड़ थेके सोमुद्रो… भूमि पुत्रो, भूमि पुत्रो…' यानी पहाड़ से समुद्र.. भूमिपुत्र, भूमिपुत्र…आजकल पश्चिम बंगाल में चारों ओर इन्हीं नारों की गूंज है। बताते चलें कि 'बांग्ला पक्खो' तृणमूल की ही एक विंग है, जो अक्सर विभिन्न प्रकार के मुद्दों को लेकर हिंदी भाषियों के खिलाफ मुखर रहता है। [videopress 0bz8sDdK]

तृणमूल सरकार को हो रही दिक्कत

आस्था के महापर्व छठ के पावन अवसर पर भी यह संगठन हिंदी भाषियों के विरुद्ध एक बार फिर से मैदान में उतर गया है। इस बार यह संगठन हिंदी भाषियों के सबसे बड़े त्योहार छठ पूजा को लेकर एक ऐसा सवाल खड़ा कर मैदान में उतर चुका है, जिससे केवल बंगाल में रह रहे हिंदी भाषी समाज ही नहीं बल्कि पूरे देश में रह रहे हिंदी भाषी इस संगठन के खिलाफ गुस्से से आग बबूला हो चुके हैं। इसी बीच पश्चिम बंगाल भाजपा के राज्य स्तरीय नेता सह आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी ने भी इस संगठन पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, विधासागर,नजरूल जैसे बड़े-बड़े मनीषी हुए किसी को भी छठ पर्व से कभी दिक्कत नहीं आई, सभी ने छठ को सम्मान दिया, लेकिन वर्तमान की तृणमूल सरकार को छठ करने वालों से बड़ी दिक्कत आ रही है इसलिए वो सभी के साथ होने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन अपने सहयोगी संगठनों से मिलकर छठ पर्व का विरोध करवा रहे हैं। यह भी पढ़ें- नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा छठ पर्व, जानें पूजा का समय और नियम

लोकसभा चुनाव में मिलेगा जवाब

पूर्व मेयर का कहना है कि भाईचारे को समाप्त कर तृणमूल कांग्रेस लोगों में वैमनस्य फैलाना चाहती है, बंगाली अस्मिता का खतरा दिखा कर लोगों में फूट डालना चाह रही है, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है। भाषाई विभेद का यह कचरा कुछ लोगों के मन में फैला हुआ, लेकिन बंगाल की जनता सब समझ रही है। इसका माकूल उत्तर तृणमूल कांग्रेस को 2024 लोकसभा चुनाव में जनता दे देगी।

गार्गा चटर्जी ने शिकायत पत्र में क्या कहा ?

गार्गा चटर्जी ने राज्य सरकार से लेकर पुलिस और जिला प्रशासन को एक शिकायत पत्र दिया है, पत्र में उन्होंने छठ पूजा के नाम पर गंगा घाटों, नदियों व तालाबों को दूषित करने का आरोप लगाया है। साथ में उन्होंने अपने शिकायत पत्र में यह भी लिखा है कि छठ पूजा के समय जो भोजपुरी या फिर अन्य भाषाओं में गाने बजते हैं, उससे भी ध्वनि प्रदूषण होता है इसलिए वह भी बंगाल में पूरी तरह से बंद होना चाहिए और इसको रोकने के लिए गंगा व नदियों सहित तालाबों के किनारे सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाने चाहिए, वहां नो एंट्री का एक बोर्ड भी लगाना चाहिए। उन्होंने अन्य राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि बंगाल छोड़कर हर जगह लोग छठ का पर्व अपने घर की छत या फिर घर के आंगन में मनाते हैं पर बंगाल ही एक ऐसी जगह है जहां छठ के नाम पर हर जगह गंदगी फैलाने का काम हो रहा है।


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