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22 सालों में चिनाब रेलवे पुल प्रोजेक्ट में क्या-क्या हुआ? जानिए सबकुछ

Chenab Bridge: आज पीएम मोदी ने देश के सबसे बड़े और कठिन रेलवे प्रोजेक्ट का शुभारंभ कर दिया है। 22 सालों के लंबे इंतजार के बाद चिनाब पुल का उद्घाटन हुआ है। कल यानी 7 जून से यहां पहली ट्रेन भी चलने वाली है। इन 22 सालों में क्या-क्या हुआ, विस्तार से पूरा ब्यौरा जानिए।

Source_ANI
Chenab Bridge: 22 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। जम्मू-कश्मीर की ऊंची पहाड़ियों और घाटियों के बीच बना चिनाब रेलवे पुल अब पूरी तरह तैयार है। आज पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन कर दिया है। कल से यहां पहली ट्रेन भी चलने लगेगी। चिनाब पुल न सिर्फ इंजीनियरिंग की मिसाल है, बल्कि यह पुल अब कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया है। इस पुल को बनाने में बाइस सालों का समय लगा है। पुल के निर्माण में 1500 करोड़ रुपयों की लागत लगी है। इसे एफिल टॉवर से भी बड़ा बताया गया है। हाई ग्रेड स्टील, आधुनिक मशीनों तथा लॉन्ग टाइम ड्यूरेबिलिटी के साथ इस पुल का लाभ लोगों के साथ-साथ भारतीय सेना को भी मिलेगा। आइए जानते हैं इन 22 सालों में पुल के निर्माण को लेकर क्या-क्या हुआ।

22 साल पहले का इतिहास

करगिल जंग के बाद साल 2003 में इस पुल के निर्माण की शुरुआत के लिए मंजूरी मिली थी। मगर इस पुल का इतिहास इससे भी पुराना है। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि अंग्रेजों ने साल 1892 में श्रीनगर और जम्मू के बीच रेल लाइन शुरू करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके बाद कश्मीर के राजा ने भी इसकी नींव रखी थी लेकिन उनकी मौत के बाद साल 1925 में प्रोजेक्ट बंद हो गया था। ये भी पढ़ें- दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल राष्ट्र को समर्पित, जानिए चिनाब ब्रिज से जुड़ी 10 बड़ी बातें

22 सालों में क्या हुआ?

2003 साल 2003 के दिसंबर में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल प्रोजेक्ट घोषित किया था। इसके बाद रेलवे पुल के निर्माण कार्य को मंजूरी दी गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पुल को तैयार करने का खर्च केंद्र सरकार ने उठाया। पुल को साल 2009 में ही बनकर तैयार होना था लेकिन कुछ कारणों की वजह से ऐसा न हो पाया। 2004 मंजूरी मिलने के बाद साल 2004 में इस पुल के निर्माण कार्य की शुरुआत की गई थी। मगर उस समय भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, जो सुरक्षा से संबंधित था। इस साल पुल निर्माण की लोकेशन, चिनाब नदी की गहराई और इलाके के सर्वे और डिजाइनिंग जैसे काम फाइनल किए गए। डिजाइनिंग के लिए भारतीय और जर्मनी से स्पेशल टीमों को बुलाया गया था। इसके बाद 2004 से 2007 के बीच पुल का निर्माण कार्य चलता रहा था। 2008-2009 साल 2008 में इस पुल के निर्माण कार्यों को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उच्च वेग वाली हवाओं के कारण सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई थी। 2010 साल 2010 से चिनाब पुल का निर्माण कार्य एकबार फिर नए सिरे से शुरू किया गया था। ब्रिज प्रोजेक्ट में सिक्योरिटी सबसे अहम मुद्दा था। इसलिए, नई डिजाइन की योजना बनाई गई। इसके बाद साल 2012 के जुलाई में नए डिजाइन को पारित किया गया। 2012 माना जाता है कि साल 2012 चिनाब पुल के निर्माण का टर्निंग पॉइंट है। पुल के निर्माण के लिए तकनीकी और संरचनात्मक बदलावों के तहत नया डिजाइन प्लान किया गया और इसे आधिकारिक रूप से दोबारा मंजूरी मिली। दरअसल, पुल निर्माण में सुरक्षा जैसे की तेज हवाओं और भूकंप का जोखिम सबसे अहम था। नए डिजाइन में अच्छी स्टील क्वालिटी और पुल के खंभों का भी स्ट्रक्चर बदला गया था। 2017 साल 2017 के नवंबर में पुल के आधार और स्लोप निर्माण का कार्य पूरा हुआ। इस साल पुलों को टिकाने वाले किनारों तथा खंभों को तैयार किया गया। ये खंभे चिनाब नदी की गहराई और ऊंचाई के अनुसार तैयार किए गए थे। इस साल रेलवे और भारतीय सेना की विशेषज्ञों की टीम ने सिक्योरिटी ऑडिट्स भी किए थे। 2021 इस साल के अप्रैल में पुल के मुख्य आर्च का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। इस आर्च की लंबाई लगभग 467 मीटर थी। वहीं, यह पुल नदी के 360 मीटर ऊपर स्थित है। इस कारण ही यह दुनिया का सबसे बड़ा और ऊंचा पुल माना जाता है। 2022 साल 2022 के अक्टूबर में गोल्डन जॉइंट के साथ पुल की ओवरआर्च डेक का निर्माण पूरा हुआ, जिससे ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया को शुरू करने में मदद मिली थी। गोल्डन जॉइंट पुल के दोनों ओर बना स्टील आर्च है। वहीं, ओवरआर्च डेक, वह आर्च है जिस पर पुल टिकेगा। इसके ऊपर ही रेल की पटरियां बिछाई गई थी। 2024 साल 2024 के जून महीने में यहां परीक्षण के लिए पहली बार ट्रेन चलाई गई थी। यह परीक्षण सफल रहा था। 2022 में ओवरआर्च डेक बनने के बाद 2022, 2023 और 2024 के बीच पटरियां बिछाई गई थीं। इसे पायलट रन भी कहा जाता है। परीक्षण के लिए आमतौर पर एक हल्की माल या डमी ट्रेन का प्रयोग किया जाता है, जिससे पुल पर अधिकतम लोड पड़ता है। वहीं, रेलवे के विशेषज्ञों, इंजीनियर और DRDO के वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण की निगरानी की थी।

2025 में उद्घाटन

6 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐतिहासिक चिनाब पुल का उद्घाटन किया गया। दुनिया के सबसे ऊंचे पुल पर कल से ट्रेन दौड़ेगी। हालांकि, आज पीएम मोदी ने कटरा से श्रीनगर के बीच चलने वाली वंदेभारत को भी हरी झंडी दिखा दी है। 7 जून से यात्री इसमें सफर कर सकेंगे। ये भी पढ़ें- बेंगलुरु भगदड़ मामले में पुलिस की बड़ी कार्रवाई, RCB के मार्केटिंग हेड निखिल समेत 4 गिरफ्तार


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