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Decoding Budget Terms: क्या है इनडायरेक्ट टैक्स, जिसके 5 फॉर्मेट जो जेब पर डालते हैं असर

Decoding Budget Terms: इनडायरेक्ट टैक्स अलग-अलग तरह के होते हैं। मूवी देखने पर टिकट पर लगने वाले टैक्स को एंटरटेनमेंट टैक्स कहते हैं।

कितने तरह के इनडायरेक्ट टैक्स होते हैं।
Decoding Budget Terms: एक फरवरी को संसद में अंतरिम बजट (budget 2024) पेश किया जाएगा। बजट में कई टर्म (Terms) होती है जैसे डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स (direct and Indirect Tax). बजट आने से पहले आइए आपको इन अलग-अलग Taxes के बारे में बता देते हैं। जिससे बजट में नए ऐलान होने के बाद आपको उन्हें समझने में आसानी होगी। जानकारी के अनुसार 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के साथ इस बार संसद सत्र का आगाज होगा। फिर 1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी।

लोग करते हैं  डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स दो तरह के टैक्सों का भुगतान 

इंडिया में हम डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स दो तरह के टैक्सों का भुगतान करते हैं। कोई भी व्यक्ति या कंपनी सीधे सरकार को जो टैक्स pay करती है वह डायरेक्ट टैक्स होता है। इनडायरेक्ट टैक्स कई तरह के होते हैं, यह वह टैक्स होते हैं जो हम किसी सरकारी ऑफिस, निजी होटल या अन्य जगह देते हैं और वह वहां से मूव करके सरकार तक पहुंचता है। अलग-अलग इनडायरेक्ट टैक्स

वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और कस्टम ड्यूटी

यह किसी सामान को बेचते हुआ लगाया जाता है। बेचने वाला यह टैक्स कस्टमर से लेकर आगे केंद्र और राज्य सरकार को इसका भुगतान करता है। इसके अलावा इंडिया के बाहर से सामान लाने पर दिए जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी होता है। कई बार इंडिया से सामान विदेश भेजने पर भी यह देना होता है।

स्टांप ड्यूटी और एंटरटेनमेंट टैक्स

किसी जमीन को बेचने और खरीदने पर स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती है। इसके अलावा कई कानूनी दस्तावेजों पर भी स्टांप ड्यूटी लगती है। वहीं, मूवी टिकट, स्पोर्ट्स इवेंट, amusement parks आदि चीजों पर सरकार जो टैक्स लेती है वह एंटरटेनमेंट टैक्स होता है। इसके अलावा इंडियन स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीद-फरोख्त करने पर सिक्योरिटी ट्रांसक्शन टैक्स देना पड़ता है।

सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी

किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा आपको अपनी सर्विस देने पर जो टैक्स लिया जाता है उसे सर्विस टैक्स कहते हैं। आपका काम करने, सेवा करने की एवज में वह आपसे पैसे लेता है। बाद में अलग-अलग लोगों से एकत्रित होकर यह टैक्स केंद्र सरकार के पास जाता है। वहीं, जब कोई कंपनी किसी प्रोडक्ट का उत्पादन करती है तो उस पर एक्साइज ड्यूटी देती है।


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