Telangana Polls : तेलंगाना में कांग्रेस के पैर जमाने की कोशिश से डरी BRS, गांधी परिवार पर तेज किये जुबानी हमले
अमेठी और रायबरेली पर सस्पेंस बरकरार।
Congress vs BRS in Telangana : तेलंगाना में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अपना पैर जमाने को कोशिश कर रही है, वहीं बीआरएस को अपने जनाधार पर संकट सताने लगा है। तेलंगाना में अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने अपनी ताकत झोंक दी है। मंगलवार को यहां रैली में बुखार की वजह से प्रियंका गांधी वाड्रा शामि्ल नहीं हो पाईं तो रैली रद्द नहीं की गई, बल्कि उनकी जगह राहुल गांधी ने यहां पदयात्रा-रैलियां की। तेलंगाना में कांग्रेस की यह रणनीतिक आक्रामकता (भारतीय राष्ट्र समिति) BRS की जहां चुनावी चुनौती बढ़ा रही वहीं मुख्यमंत्री केसीआर अपनी लोकप्रियता के ग्राफ के गिरते अनुमानों को लेकर परेशान है। यही कारण है कि केसीआर परिवार चुनाव अभियानों में गांधी परिवार पर सीधे आक्रामक हमला करता है।
केसीआर के बेटे राहुल गांधी पर क्यों बोल रहे हैं हमला
केसीआर के बेटे और मंत्री केटी रामाराव राहुल गांधी और प्रियंका के खिलाफ जमकर जुबानी हमले बोल रहे हैं। केसीआर की बेटी विधायक के. कविता रोज गांधी परिवार पर आरोपों की बौछार कर रही हैं। इन सब के वाबजूद राहुल-प्रियंका ही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के तमाम प्रमुख नेता केसीआर परिवार के खिलाफ चुनाव में जवाबी पलटवार का अवसर नहीं गंवा रहे।
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बीआरएस और कांग्रेस में क्यों हो रही जुबानी जंग
तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस और बीआरएस के बीच तीखी हुई जुबानी जंग की वजह जमीनी सर्वे और राजनीतिक आकलनों का अनुमान है। कांग्रेस के आंतरिक सर्वे ही नहीं कई स्थानीय मीडिया एजेंसियों के सर्वेक्षणों में दावा किया जा रहा है कि सूबे का प्रभावशाली रेड्डी समुदाय केसीआर के खिलाफ कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद होने की तैयारी कर चुका है।
तेलंगाना में TDP नहीं लड़ेगी चुनाव
तेलंगाना के रेड्डी समुदाय का एक वर्ग चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी से भी जुड़ा रहा है, लेकिन आंध्र प्रदेश की राजनीति पर फोकस रखने और बाबू के जेल जाने के बाद टीडीपी ने तेलंगाना में चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है। चंद्रबाबू को बेशक मंगलवार को अंतरिम जमानत मिल गई है मगर उनकी पार्टी के चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय नहीं बदलेगा और माना जा रहा कि इसका फायदा भी कांग्रेस को मिलेगा।
केसीआर ने अपनी लुभावनी योजनाओं के दम पर कांग्रेस के मजबूत दलित वोट बैंक को काफी नुकसान पहुंचाया था, मगर पार्टी की सर्वे रिपोर्ट के हिसाब से एससी-एसटी का उसका आधार लौट रहा है। वहीं, तेलंगाना में बिना कोई खास पहल किए अल्पसंख्यक वर्ग के भी कांग्रेस की ओर फिर से मुखातिब होने के अुनमान लगाए जा रहे हैं। ओबीसी वर्ग में आधार बढ़ाने का अभियान तो खुद राहुल गांधी अपनी चुनावी सभाओं के जरिए चला रहे हैं। तेलंगाना चुनाव की दशा-दिशा बदलने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले इन वर्गो कों गोलबंद करने की कांग्रेस की पहल में केसीआर को अपने लिए साफ तौर पर खतरा नजर आ रहा है और इसीलिए गांधी परिवार पर उनका हमला तीखा होता जा रहा है।
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