Bharatiya Nyaya Sanhita Bill Explainer: 163 साल पुराना कानून (Criminal Law Amendment Bill) आखिरकार बदल ही गया। केंद्र सरकार के शीतकालीन सत्र में एक और इतिहास रचा गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा सत्र में 3 बिल रखे, जिन्हें ध्वनि मत से पास कर दिया गया। जल्द ही ये बिल कानून का रूप ले लेंगे। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 तीनों मिलकर देश की कानून और न्याय व्यवस्था में कई तरह के बदलाव करेंगे।
यह तीनों बिल कानून बनते ही भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1973), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे। आखिर मोदी सरकार को इन कानूनों में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी? इन संशोधन के बाद अब देश की कानून व्यवस्था में क्या बदलाव आएगा? क्या इससे कछुए की रफ्तार से चलने वाली न्याय पाने वाली प्रक्रिया में बदलाव होगा? क्या अब तारीख पर तारीख का जमाना खत्म हो जाएगा और तुरंत न्याय मिल पाएगा? जानिए भारतीय न्याय संहिता बिल से क्या-क्या बदलाव आएंगे?
अपराध की धाराएं बदलेंगी, सख्त सजा मिलेगी
मोदी सरकार ने तीनों बिल पास करके आजादी के बाद पहली बार अपराध और न्याय प्रणाली से जुड़े कई प्रावधानों में बदलाव किया है। इससे अपराध करने पर लगने वाली धाराएं बदलेंगी, जिससे सजा और सख्त हो जाएगी। लोगों को जल्द से जल्द न्याय भी मिलेगा, क्योंकि नए बिल में 7 दिन में केस की सुनवाई करने का प्रावधान किया गया है। वहीं 120 दिन में ट्रायल का नियम बनाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद कहा कि बदलाव इसलिए किए जा रहे हैं, ताकि भारतीय न्याय व्यवस्था पहले से बेहतर हो और लोगों का इसमें विश्वास बढ़े। लोगों को त्वरित इंसाफ मिले।
रेप, हिट एंड रन की सजा, CRPC की धाराएं बदलीं
नए बिल के तहत CrPC की धाराएं बढ़ गई हैं। पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी। 177 धाराएं बदली गई हैं। 9 नई धाराएं और 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान किए गए हैं। अब नाबालिग से दुष्कर्म करने आरोपी को उम्रकैद होगी। फांसी की सजा का प्रावधान भी किया गया है। दुष्कर्म की धाराएं अब 375, 376 नहीं 63 और 69 होंगी। हिट एंड रन केस में कम से कम 10 साल की सजा मिलेगी। हादसे में घायल शख्स को थाने या अस्पताल ले जाने पर सजा कम मिलेगी। डॉक्टरों की लापरवाही से मौत होने पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज होगा।
लाठी से पीटने पर घायल के ब्रेन डेड होने पर कम से कम 10 साल की सजा होगी। दुष्कर्म के दोषी को अब कम से कम 20 साल की सजा होगी। साइबर क्राइम, डकैती से जुड़े केसों में भी सजा का प्रावधान किया गया है। सशस्त्र विद्रोह पर जेल भेजा जाएगा। यौन शोषण से जुड़े केसों में पीड़िता के बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट रिकॉर्ड करेगी, जो पीड़िता के घर जाकर महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे। इस दौरान पीड़िता के मां-बाप मौजूद रह सकते हैं।
राजद्रोह अब देशद्रोह कहलाएगा, सजा का प्रावधान
नए बिल के तहत राजद्रोह अब देशद्रोह कहलाएगा। राजद्रोह कानून निरस्त हो जाएगा। शख्स के खिलाफ बोलने पर सजा नहीं होगी, लेकिन देश के खिलाफ बोलना क्राइम होगा। सरकार के खिलाफ बोलना गुनाह नहीं कहलाएगा, लेकिन देश के खिलाफ बोलने पर मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का प्रावधान किया गया है। आजीवन कारवास को 7 साल की सजा में भी बदला जा सकेगा।
आतंकवादी गतिविधियां करना दंडनीय अपराध होगा
नए बिल के तहत, आतंकवाद को दंडनीय अपराध बनाया गया है। आतंक फैलाने पर कड़ी सजा मिलेगा। आरोपियों को सीधे जेल भेजा जाएगा। कार्रवाई और सजा दोनों का प्रावधान नए बिल के तहत किया गया है।
मॉब लिंचिंग होने पर सजा का प्रावधान बदला
देश में अब मॉब लिंचिंग करने पर सजा का नियम बदल जाएगा। भारतीय न्याय संहिता बिल में प्रावधान किया गया है कि मॉब लिंचिंग करने पर फांसी की सजा हो सकती है। उम्रकैद की सजा का प्रावधान भी किया गया है। मॉब लिचिंग मतलब अपराध करने वाले को भीड़ के रूप में इकट्ठे होकर मौके पर सजा देना, पीट-पीट कर मार डालना, जो कानूनन अपराध है, लेकिन किसी एक दोषी का पता नहीं चलने पर ऐसे मामलों में लोगों को न्याय नहीं मिल पाता था।
FIR, चार्जशीट, गवाहों, हिरासत के नियम बदले
भारतीय न्याय संहिता बिल के तहत, अब शिकायत मिलने पर पुलिस को 3 दिन में FIR दर्ज करनी होगी। दया याचिका 30 दिन में कोर्ट में पेश करनी होगी। पुलिस को किसी भी केस की प्रारंभिक जांच 14 दिन में पूरी करके FIR लिखनी होगी। अब केस में चार्जशीट 60 से 90 दिन के अंदर दाखिल करनी अनिवार्य होगी। कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। आरोपियों के खिलाफ 7 दिन के अंदर केस की सुनवाई करनी होगी। केस की सुनवाई के लिए अब ज्यादा से ज्यादा 120 दिन मिलेंगे। अगर कोई अपना गुनाह 30 दिन में कबूल लेता है तो सजा कम मिलेगी। अब गवाहों को कोर्ट आने की जरूरत नहीं होगी। वे ऑनलाइन गवाही दज करा सकेंगे। पुलिस हिरासत अब सिर्फ 15 दिन की होगी। गिरफ्तार किए गए शख्स को अगर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है तो पुलिस को उसकी हिरासत के लिए कोर्ट में याचिका देनी होगी। वहीं हिरासत की अवधि के दौरान कोर्ट जमानत भी दे सकती है।
E-FIR, फोरेंसिक टेस्ट, जमानत का नियम बदला
नए बिल के तहत, महिलाओं को E-FIR की सुविधा मिलेगी। अगर महिलाएं थाने नहीं जाना चाहतीं या जा नहीं सकतीं तो वे ऑनलाइन FIR दर्ज करा सकती हैं। पुलिस को FIR होने के बाद 24 घंटे में मौके का दौरा करके बयान दर्ज करने होंगे। 7 साल या इससे अधिक सजा के प्रावधान वाले केसों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य होगी। आरोपी की गैर-मौजूदगी में भी अब केस की सुनवाई होगी। अगर विदेशों में छिपे अपराधी सुनवाई के लिए 90 दिन के अंदर भारत नहीं आते तो उनकी अनुपस्थिति में भी केस की सुनवाई होगी और इसके लिए सरकारी वकील नियुक्त किया जाएगा। किसी का केस कोर्ट में विचाराधीन है तो वे सुनवाई पूरी होने तक सजा का एक तिहाई समय जेल में बिता चुके हैं तो उन्हें जमानत मिलेगी। अपनी पहचान छिपाकर या झूठे बहाने बनाकर शारीरिक संबंध बनाने वाले या शादी रचाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई और सजा का प्रावधान किया गया है।
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