विधानसभा चुनाव 2023 : राजनीतिक दलों में बढ़ी AI ‘डीपफेक वीडियो’ के जरिए दुष्प्रचार की आशंका
राजनीतिक दलों में बढ़ी AI 'डीपफेक वीडियो' के जरिए दुष्प्रचार की आशंका।
AI Deep Fake Videos: सोशल मीडिया की सीढ़ी के सहारे सत्ता के गलियारों तक पहुंचने को आतुर रहने वाले राजनीतिक दल अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से बनी ‘डीपफेक’ न्यूज की बाढ़ आने की आशंका से घबरा गए हैं। उनको डर है कि चुनावी मौसम में कहीं डीपफेक वीडियो किसी के लिए वरदान तो किसी के लिए ‘भस्मासुर’ न बन जाए। केंद्रीय सूचना तकनीक (आइटी) मंत्रालय एआई के द्वारा बनाई गई डीपफेक वीडियो पर अंकुश और जवाबदेही तय करने के लिए आइटी नियम 2021 के ट्रैसेबिलिटी प्रावधान (मूल स्रोत का पता लगाने) का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है। इसमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म को उस व्यक्ति की पहचान बतानी होगी, जिसने सबसे पहले ऐसा संदेश अपलोड किया था।
राजनीतिक दल किस बात से परेशान हैं
फेक न्यूज का दायरा अब फोटोशॉप और वीडियो एडिटिंग से काफी आगे निकल चुका है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी के द्वारा किसी की भी फोटो और आवाज भेजकर हूबहू दिखने वाला वीडियो तैयार किया जाने लगा है। पिछले दिनों एक अंतरराष्ट्रीय यू-ट्यूबर और एक वैश्विक न्यूज चैनल के दो एंकरों के डीपफेक वीडियो के जरिए धोखाधड़ी की कोशिश हो चुकी है।केरल में एआइ की मदद से परिचित का चेहरा लगाकर वीडियो कॉलिंग फ्रॉड का मामला भी सामने आ चुका है।
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ऐसे में चुनाव के दौरान डीपफेक वीडियो के जरिए दुष्प्रचार की आशंका बढ़ गई है। केंद्र सरकार तक कई नेताओं के ऐसे डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर फैलने की बात पहुंची है। इसके बाद से ही आइटी मंत्रालय ने इसका तोड़ निकालने की कवायद शुरू की है।
केंद्र सरकार इस पर बीच का रास्ता निकालने पर विचार कर रही है। इसके तहत सोशल मीडिया साइट्स के लिए मैसेज के साथ ’डिस्क्लेमर’ लगाना जरूरी हो सकता है। यह संदेश ’फैक्ट चैक्ड (जांचा नहीं गया) है...’ यानी पढ़ने वाला अपने विवेक से फैसला करे। फैसला क्या होगा, इस पर सभी मौन हैं, लेकिन आइटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जरूर संकेत दिया था कि डीपफेक मैसेजिंग पर अंकुश के लिए ट्रैसेबिलिटी का प्रावधान लागू किया जाना चाहिए।
विपक्षी गठबंधन जता चुका आशंका
चुनाव के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कथित पूर्वाग्रह को लेकर ‘इंडिया’ भी पिछले सप्ताह आशंका जता चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और एनसीपी नेता शरद पवार समेत ‘इंडिया’ के 14 नेताओं ने मामले में मेटा ग्रुप के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और यूट्यूब संचालक गूगल के प्रमुख सुंदर पिचाई को पत्र लिखकर ‘सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने’ में भाजपा के एजेंडे को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया था।
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