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असम के कई जिलों में अल्पसंख्यकों को लगा झटका, नाराज हिमंत सरकार के ‘विधायक’ का बड़ा फैसला

Assam Muslims Angry: पूर्वोत्तर के अहम राज्यों में शुमार असम में इन दिनों मुस्लिम नेताओं के साथ-साथ इस समुदाय के लोगों में भी खलबली मची हुई है। इसके अलावा, कई राजनीतिक दलों के नेता भी परेशान हैं, क्योंकि परिसीमन मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। दरअसल, असम में कुल 14 लोकसभा सीटों के […]

असम में नाराज मुस्लिमों की प्रतीकात्मक तस्वीर।
Assam Muslims Angry: पूर्वोत्तर के अहम राज्यों में शुमार असम में इन दिनों मुस्लिम नेताओं के साथ-साथ इस समुदाय के लोगों में भी खलबली मची हुई है। इसके अलावा, कई राजनीतिक दलों के नेता भी परेशान हैं, क्योंकि परिसीमन मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। दरअसल, असम में कुल 14 लोकसभा सीटों के अलावा सभी 126 विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन मसौदे को अंतिम रूप देते ही इसको लेकर भारी विरोध शुरू हो गया है। पिछले सप्ताह ही 1976 के बाद हो रहे परिसीमन की प्रक्रिया खत्म हुई है। आरोप है कि परिसीमन के अंतिम मसौदे में कुछ लोकसभा क्षेत्रों और विधानसभा क्षेत्रों में कटौती की गई है। इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों को तो समाप्त ही कर दिया है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन कई विधासभा सीटों को अनुसूचित जाति और जनजाति के  लिए आरक्षित कर दिया गया है। इस पर भी कुछ नेताओं को एतराज है।
परिसीमन के अंतिम मसौदे के अनुसार, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में इजाफा किया गया है और ये सीटें 19 हो गई हैं, जो पहले 16 ही थीं। इसी तरह वो 5 विधानसभा क्षेत्र जहां से अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक चुने जाते थे, उन्हें अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है। एक और चीज जो परिसीमन में सामने आई है वह यह है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में भी इजाफा किया गया है। अब अनुसूचित जाति की सीटें 8 हो गई हैं, जो पहले सिर्फ 8 थीं। कहने का मतलब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए अधिक मौके होंगे। इस मसौदे का विरोध सिर्फ मुस्लिम समुदाय के नेता ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि अन्य दल भी धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल असम गण परिषद के आमगुरी से विधायक प्रदीप हजारिका ने मसौदे के विरोध में पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि नए परिसीमन में इस सीट को ही समाप्त कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर विरोध तेज हो सकता है, क्योंकि परिसीमन के बाद गोलपाड़ा की चार विधानसभा सीटों में से दो पर मुस्लिम समुदाय के लोग चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसके अलावा, सैकड़ों गैर आदिवासी मूल के लोगो को भी इसमें प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकेगा। यहां पर बता दें कि असम के कुल 33 जिले में से 9 जिलों में मुस्लिमों की आबादी हिंदुओं से अधिक है। ये जिले हैं बारपेटा, धुबरी, करीमगंज, गोलपाड़ा, नगांव, बोंगईगांव, मोरीगांव, हैलाकांडी व दारंग। यह भी एक सच्चाई है कि असम में बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए मुस्लिम और हिंदू दोनों रह रहे हैं।    

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