PFI बैन को लेकर ओवैसी की प्रतिक्रिया, बोले- कोई मुसलमान अब अपनी बात रखेगा, तो आप…
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के बैन के फैसले की निंदा की है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका रुख पीएफआई के पक्ष में भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह हर उस मुस्लिम पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। उन्होंने ट्वीट किया, "जिस तरह से भारत की चुनावी निरंकुशता फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के काले कानून, यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पैम्फलेट के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।"
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ओवैसी ने ट्वीट किया, "अदालत से बरी होने से पहले मुसलमानों ने दशकों जेल में बिताया है। मैंने यूएपीए का विरोध किया है और हमेशा यूएपीए के तहत सभी कार्यों का विरोध करूंगा। यह स्वतंत्रता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जो संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।"
केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के मामले का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह मामला कप्पन की समयसीमा का भी पालन करेगा, जहां किसी भी कार्यकर्ता या पत्रकार को बेतरतीब ढंग से गिरफ्तार किया जाता है और जमानत पाने में भी 2 साल लगते हैं। कप्पन एक दलित महिला से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने हाथरस जा रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था। कप्पन को दो साल जेल में बिताने के बाद 2022 में जमानत मिल गई।
ओवैसी ने कहा कि उन्होंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया लेकिन वह पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं कर सकते। हैदराबाद के सांसद ने कहा, "अपराध करने वाले कुछ व्यक्तियों के कार्यों का मतलब यह नहीं है कि संगठन को ही प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।"
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और आठ अन्य संबद्ध संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र ने कहा कि पीएफआई के आतंकी संबंध स्पष्ट हैं और हालांकि यह एक सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक संगठन के रूप में संचालित होता है, लेकिन संगठनों ने गुप्त रूप से समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने का काम किया।
पीएफआई और सहयोगी संगठनों पर लगा 5 साल का बैन
इस संगठन के खिलाफ देशभर में पिछले कई दिनों से छापेमारी चल रही थी, जिसके बाद ये बड़ी कार्रवाई की गई है। पीएफआई को गैर कानूनी संगठन घोषित करते हुए अगले पांच साल के लिए बैन लगाया गया है। साथ ही इससे जुड़े तमाम दूसरे संगठनों पर भी ये प्रतिबंध लागू होगा। इससे पहले एनआईए की तरफ से देशभर के तमाम राज्यों में इस संगठन के खिलाफ छापेमारी की गई थी, इस छापेमारी के दौरान कई अहम सबूत एजेंसियों के हाथ लगे। जिसमें टेरर लिंक के आरोप भी शामिल हैं।
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जानें, कैसे अस्तित्व में आया पीएफआई
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों को आपस में विलय कर बना गया था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल था। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।
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