सुप्रीम कोर्ट, चंद्रबाबू नायडू की याचिका, 3 अक्टूबर को सुनवाई, एफआईआर रद्द करने की मांग
चंद्रबाबू नायडू
Supreme Court Chandrababu Naidu Plea : सुप्रीम कोर्ट चंद्रबाबू नायडू की उनके खिलाफ एफआईआर रद्द करने की याचिका पर 3 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। लेकिन जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया, वैसे ही न्यायमूर्ति बट्टी ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। वहीं इस मामले में पीसी अधिनियम की धारा 17A का भी पालन नहीं किया गया है।
सुनवाई के लिए संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी पीठ
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की कौशल विकास घोटाला मामले में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर उनकी इस याचिका पर 3 अक्टूबर को सुनवाई करने का फैसला लिया है। यह मामला जैसे ही सुनवाई के लिए आया न्यायमूर्ति बट्टी ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और अब इस मामले को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी पीठ को दिया गया है।
नायडू ने बचाव के लिए उच्चतम न्यायालय को चुना
नायडू ने खुद को फंसाया जाने के आघार पर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने पिछले हप्ते रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने 371 करोड़ रुपए के कौशल विकास घोटाले में एपी-सीआईडी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने की मांग की कि पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम के तहत राज्यपाल से मंजूरी नहीं ली थी।
जांच एजेंसी ने नायडू को फंसाया
नायडू की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समाने याचिका दी। लूथरा ने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि नायडू को 8 सितंबर को गैरकानूनी तरीके से उठाया गया था और उन्हें हिरासत में लिया गया है। जांच एजेंसी ट्रायल कोर्ट के लिए 15 दिनों की पुलिस हिरासत के लिए दबाव बना रही है और उन्हें इस तरह पुलिस हिरासत पर दबाव नहीं डालने देना चाहिए। एजेंसी नायडू को एक के बाद एक एफआईआर में फंसा रही है।
लगभग 3300 करोड़ की हेराफेरी
आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रंजीत कुमार ने कहा कि “यह लगभग 3300 करोड़ है.. जीएसटी, अधिकारियों ने पाया कि नायडू पैसे की हेराफेरी कर रहे थे, इसलिए सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद फाइलें गायब होने लगीं… नायडू के खिलाफ एफआईआर 9 दिसंबर, 2021 को दर्ज की गई थी। कौशल विकास घोटाले के अपराध के समय नायडू मुख्यमंत्री थे। 7 सितंबर, 2023 को याचिका में कहा गया कि पीसी अधिनियम की धारा 17 A का पालन नहीं किया गया है।
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