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क्या है वर्चुअल ऑटोप्सी? दिल्ली एम्स में शुरू किया गया सेंटर 

Virtual autopsy: वर्चुअल ऑटोप्सी में पोस्टमार्टम करने के लिए शरीर का चीर फाड़ नहीं करना पड़ता है। एम्स दिल्ली के अनुसार मोर्चरी पहुंचने वाले 92 फीसद शवों में परिजन पोस्टमार्टम में चीर फाड़ करने से मना करते हैं। वर्चुअल ऑटोप्सी में डिजिटल एक्सरे और एमआरआई मशीनों से शव की जांच की जाती है। मरने वाले की मौत का कारण, समय आदि डिटेल का पता किया जाता है।

वर्चुअल ऑटोप्सी
Virtual autopsy in aiims delhi (पल्लवी झा): दिल्ली के एम्स अस्पताल में वर्चुअल ऑटोप्सी केंद्र की शुरुआत की गई है। अब यहां सभी शवों बिना चीर फाड़ के पोस्टमार्टम किया जा सकेगा। एम्स के डॉक्टरों के अनुसार वर्चुअल ऑटोप्सी से अचानक होने वाली मौत के मामले में केवल 15 मिनट में कारणों का पता किया जा सकेगा। इस नई तकनीक से भारत में युवाओं की अचानक हो रही मौत के कारणों का पता लगाना आसान होगा।

बिना चीर फाड़ किया जा सकेगा पोस्टमार्टम

दरअसल, एम्स के फॉरेन्सिक मेडिसन डिपार्टमेंट के स्टडी में पाया गया था कि 92 प्रतिशत लोग अपने परिजन के पोस्टमार्टम में चीर फाड़ नहीं करवाना चाहते हैं। ऐसे मे इस वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर की शुरुआत की गई है। एक्स का दावा है कि यह साउथ एशिया का पहला सेंटर है। आंकड़ों के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के दौरान पिछले डेढ़ साल में एम्स में 132 लोगों की वर्चुअल अटोप्सी की गई। ये सभी अचानक मौत के मामले थे। इनमें से 71 लोगों की उम्र 18 से 45 साल के बीच थी। इनमें 58 पुरुष और 13 महिलाएं‌ थी।

मरने वाले 61 लोगों की उम्र 45 से 65 साल के बीच

रिपोर्ट के अनुसार डेढ़ साल में पहुंचे शवों में  61 लोगों की उम्र 45 से 65 साल के बीच थी। वहीं, इनमें 57 पुरुष और 4 महिलाएं थी। इसके अलावा कुल 132 मरने वालों में से 61 लोग ऐसे थे जिनकी मौत अचानक हार्ट फेल होने या हार्ट अटैक आने से हुई थी। वहीं, दूसरे नंबर पर मरने वाले लोगों की मौत का कारण निमोनिया या सांस से जुड़ी हुई बीमारियां होने का पता चला। बता दें पोस्टमार्टम लीगल केसों में बेहद जरूरी होगा। लेकिन अकसर लोग अपने प्रियजनों का चीर फाड़ करवाने से परहेज करते हैं। ऐसे में इस नई तकनीक से ऐसे लोगों को राहत मिलेगी।

वर्चुअल ऑटोप्सी कैसे होती है

जानकारी के अनुसार वर्चुअल ऑटोप्सी में पोस्टमार्टम करने के लिए शरीर का चीर फाड़ नहीं करते। इसमें मशीनों के द्वारा शव की जांच की जाती है। मशीनों में लगे डिजिटल एक्सरे तकनीक के जरिए मौत होने का समय और कारण का पता लगया जाता है। इसमें एमआरआई मशीन में शव को अंदर डाला जाता है, जिसके बाद डॉक्टर उसकी स्टडी कर मौत के कारणों और शरीर पर लगी चोट और निशान आदि का अध्ययन करते हैं।


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