Acharya Satyendra Das on pictures of Ramlala Pran Pratistha idol in Ram temple Ayodhya: यूपी का अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले पूरी तरह से राममय हो गया है। हर तरफ भक्तिमय माहौल है। श्री राम की बचपन की तस्वीरें उस गेट पर सजी हैं जहां से आमंत्रित लोग 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए श्री राम मंदिर में प्रवेश करेंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है।
इस बीच मंदिर में स्थापित की जाने वाली भगवान राम की प्रतिमा यानी मूर्ति की तस्वीरें सामने आईं थीं। ये तस्वीरें वायरल हो रहीं थीं। इसपर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बड़ा बयान दिया है। उनके मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति की आंखें नहीं खोली जाती हैं। यहां तक कि उन्होंने इसके जांच की बात भी कही है।
भगवान राम की मूर्ति पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि जहां नई मूर्ति है वहां प्राण प्रतिष्ठा के नियम हो रहे हैं। अभी उसे खोला नहीं गया है। अभी शरीर को कपड़े से ढ़क दिया गया है। जबतक प्राण प्रतिष्ठा नहीं होता क्या तबतक आंख खोला जा सकता है के सवाल पर उन्होंने कहा कि नहीं। यह सब झूठा है। जब मूर्ति तैयार हो जाती है, जिस मूर्ति का निर्णय हो जाता है कि इसी मूर्ति को वहां ले जाना है तो उसके नेत्र बंद कर दिए जाते हैं। उसे स्थापित कर दिया जाता है।
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आचार्य सत्येन्द्र दास ने आगे कहा कि जो आंख खुली मूर्ति दिखाई दे रही है वो मूर्ति है ही नहीं। ऐसा स्वरूप मिल ही नहीं सकता। अगर मिल गया है तो उसकी जांच होगी कि इसे किसने खोल दिया और कैसे ये मूर्ति वायरल हो गई। प्राण प्रतिष्ठा के पहले सब काम होंगे लेकिन नेत्र नहीं खुलेगा। इस समय मंत्रों और कर्मकांड के द्वारा विधि का पालन हो रहा है। सभी कार्य होंगे लेकिन नेत्र नहीं खुलेगा। बाकि शरीर खोला जा सकता है। नेत्र किसी भी दशा में नहीं खोला जाएगा।
क्या-क्या करेगा अनुष्ठान में रहने वाला शख्स
आचार्य सत्येन्द्र दास ने जो व्यक्ति अनुष्ठान में रहता है उसे प्रायश्चित करना पड़ता है। नियम है कि वह जमीन पर सोएगा, असत्य नहीं बोलेगा, मंत्रों के द्वारा शरीर को शुद्ध करने के लिए आचमन करेगा। जमीन पर सोना, पत्तल में खाना, ब्रम्हचर्य का पालन करना, झूठ नहीं बोलना, सरयू में दोनों समय स्नान करना और कोई मंत्र जपना आदि विधियां करनी पड़ती हैं।
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