नोटबंदी के 6 साल: 1000 की जगह 2000 का नोट चलन में आया… खूब चला, लेकिन अचानक गायब हो गया, जानें क्यों?
नई दिल्ली: क्या आपने ने सोचा है कि उन गुलाबी रंग के 2000 हजार के नोटों का क्या हुआ? छह साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को शाम करीब 8 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी की घोषणा की थी। कहा गया था कि काले धन को बाहर निकालने और भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने के लिए ऐसा करना पड़ा। इस दौरान एक हजार रुपए के नोट को बंद करके 2000 को मार्केट में लाया गया। अब 2000 नोट आने के छह साल बाद अचानक से ये गुलाबी नोट मार्केट से गायब हो गए हैं।
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नोटबंदी के दौरान जारी किए गए गुलाबी रंग के 2 हजार रुपये के नोट मार्केट से करीब-करीब गायब हैं। बैंक हो या फिर एटीएम या फिर मार्केट, दो हजार का नोट कभी-कभार ही नजर आता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर 2000 के नोट गए तो कहां गए? क्या आरबीआई 2000 रुपये के नोट को चलन से बंद करने जा रही है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 तक 2000 हजार नोट ATM से निकल रहे थे, बैंक काउंटर पर मिल रहे थे, मार्केट में लेन-देन के दौरान भी नजर आते थे। 2018 के बाद इनका चलन धीरे-धीरे कम होता गया और अब ये नोट बिलकुल भी नजर नहीं आते हैं। RBI के आंकड़ें की मानें तो 2000 के नोट सबसे ज्यादा 2017-18 में चलन में रहे। इस फाइनेंशियल इयर में 2000 के 33,630 लाख नोट चलन में थे। अब करीब 3 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं।
लोकसभा में केंद्र सरकार ने दी थी ये जानकारी
पिछले साल केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि 2019-20 से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है। अप्रैल 2019 के बाद से सेंट्रल बैंक ने 2000 का एक भी नोट नहीं छापा है। पिछले साल RBI ने जानकारी दी थी कि मार्च 2021 तक देश में 2000 रुपये के मात्र 24,510 लाख नोट ही चलन में थे जिनका मूल्य 4.90 लाख करोड़ रुपये था। 31 मार्च 2021 तक देश में चलन में कुल करेंसी नोट में 500 और 2000 की हिस्सेदारी 85.7% रही, जो 31 मार्च 2020 तक 83.4% थी।
RBI रिपोर्ट की मानें तो 500 के नोट 2000 के नोट की जगह ले रहे हैं। इसके बाद हिस्सेदारी 10 रुपये के नोट की है। बता दें कि 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के 15.52 लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था से बाहर हुए थे। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 500, 2000, 50 और 20 रुपये के नए रंगीन नोट जारी किए।
कोरोना काल में बंद हुई थी छपाई!
2019-20 से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है, ये वही दौर है जब देश में महामारी कोरोना का काल चल रहा था। विशेषज्ञ बताते हैं कि बड़े नोटों पर छपाई का खर्चा भी अधिक आता है, इसलिए गुलाबी नोटों का चलन खत्म हो गया है।
अब बताते हैं कि आखिर कहां गायब हुए 2000 के नोट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दो साल से 2000 रुपये के नोट छापे ही नहीं हैं। पूरा माजरा नोटबंदी में ही छिपा है। सरकार ने 500 और 1000 के नोट ये कहकर बंद किए थे कि भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए ये काफी जरूरी है। इससे पुराने नोट मार्केट से बाहर होंगे। ये भी कहा गया था कि नोट जितना बड़ा होता है, नकली नोट छापने वालों को फायदा भी उतना ही होता है।
नोटबंदी के समय 500 और 1000 रुपये की करेंसी भारतीय करेंसी का करीब 86 प्रतिशत था। पीएम मोदी की ओर से घोषणा के बाद ये सारे नोट रातोंरात रद्दी में बदल गए। कई लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था से गायब हो गया और पूरा देश अपनी जरूरतों के लिए एटीएम के बाहर लाइन में लग गया। इसके बाद चलन में आया गुलाबी रंग के 2000 रुपये का नोट।
2021-22 में नहीं छापा गया 2000 का एक भी नोट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2019 में 329.10 करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 के नोट छापे गए। एक साल बाद मार्च 2020 में ये आंकड़ा कम हो गया और 273.98 करोड़ के 2000 के नोट छापे गए। इसके बाद 2021-22 में 2000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापा गया।
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कहा जा रहा है कि ये सब कुछ एक स्ट्रैटर्जी का हिस्सा है। 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिए थे कि बैंकों से 2000 रुपये के नोट हटा दिए जाएं। इसके पीछे भी भ्रष्टाचार को कही कारण बताया गया। इसके बाद पहले ये नोट एटीएम से हटे और फिर बैंकों में भी 2000 के नोट मिलने बंद हो गए।
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