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NCC कैडेट को कर्तव्य पथ पर परेड का कैसे मिलता है मौका, पढ़ें कितना मुश्किल है यहां पहुंचना

Republic Day Parade: एनसीसी दस्ते में शामिल पूर्व कैडेट ने बताया कि दिल्ली से आने के बाद कैडेटों के लिए सबसे मुश्किल काम है, अपनी पढ़ाई कवर करना। चूंकि वह पिछले चार महीनों से एक दिन भी क्लास में नहीं पहुंचा और चार महीनों में कितना कुछ निकल जाता है, इसका अंदाजा तो हर कोई लगा सकता है।

गणतंत्र दिवस परेड
Republic Day Parade: 26 जनवरी। देश के गौरव का दिन। राजधानी नई दिल्ली का कर्तव्य पथ। कर्तव्य पथ पर कदम से कदम मिलाकर परेड करते हुए देश के जवान। जवानों के बीच विश्वविद्यालयों के मासूम छात्र पूरे जोश और उमंग के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ते हुए...यह दृश्य देखकर हर कोई रोमांचित हो उठता है। दर्शकों का रोम-रोम जाग उठता है। 26 जनवरी से पहले हम लेकर आए हैं एक खास खबर, जिसमें हम आपको बताएंगे कि आखिर कितनी कड़ी मेहनत के बाद कॉलेजों में पढ़ने वाले एनसीसी कैडेट कर्तव्य पथ तक पहुंच पाते हैं… 2020 में एनसीसी मार्चिंग दस्ते में शामिल एक कैडेट के अनुसार, रिपब्लिक डे परेड (आरडीसी) के लिए कॉलेजों के तीसरे वर्ष के छात्रों का ही अधिकतर चयन किया जाता है। इसके लिए अक्तूबर से ही सिलेक्शन कैंप शुरू हो जाता है। दिल्ली जाना इतना आसान नहीं है। कैडेट्स को सिलेक्शन के लिए अलग-अलग कैंपों से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले कैडेट्स का अपने ही बटालियन के उम्मीदवारों के साथ कंप्टीशन होता है। यहां से चयनित हुए कैडेट अपने-अपने जिलों के कैडेट के साथ कंप्टीशन में शामिल होते हैं। यहां से उन्हें अगले कैंप के लिए भेज दिया जाता है, जहां उन्हें अपने डिविजन के ही अलग-अलग बटालियन के कैडेटों से भिड़ना पड़ता है। यहां के बाद चयनित कैडेट अन्य डिविजनों के चयनित कैडेट्स के साथ कंपीट करते हैं। इस कैंप से सिलेक्ट हुए कैडेट एक बार फिर आपस में भिड़ते हैं और फिर चुनिंदा कैडेट ही आरडीसी में शामिल होने नई दिल्ली जा पाते हैं। यह भी पढ़ें: फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन होंगे Republic Day 2024 समारोह के चीफ गेस्ट, PM मोदी ने खुद भेजा निमंत्रण पत्र दिल्ली की ठंड में कड़ी प्रैक्टिस इतने चयन चरणों में तीन महीने बीत जाते हैं। आखिरी कैंप 26-27 दिसंबर के आस-पास खत्म होता है। इसके अगले दिन ही चयनित कैडेट्स नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं। उनका कहना है कि असली ट्रेनिंग तो दिल्ली में शुरू होती है। यहां पूरे देश के एनसीसी कैडेट्स से मुलाकात होती है। यहां पहुंचे सभी कैडेट अपने-अपने डायरेक्ट्रेट के सबसे बेहतर और चुनिंदा होते हैं। दिल्ली पहुंचने के अगले दिन से ही सभी कैडेट्स को सुबह पांच बजे ग्राउंड में पहुंचना होता है। पूरे दिन परेड-ड्रिल, मार्च की प्रैक्टिस कराई जाती है। शाम होते-होते सभी थक के चूर हो जाते हैं और बिस्तर पर जाते ही सो जाते हैं। फिर अगले दिन दिल्ली की ठंड में सुबह पांच बजे से लेफ्ट राइट लेफ्ट शुरू हो जाता है, जो शाम छह बजे तक चलता रहता है। हालांकि, बीच में दो-ढाई घंटे का आराम जरूर मिलता है, जिसमें सभी कैडेट नाश्ता-खाना सहित अपने अन्य काम करते हैं। शाम छह बजे गेम्स खेलने के बाद खाना खाकर कैडेट और अगले दिन की तैयारी करके सो जाते हैं। उन्होंने बताया कि कि ऐसा बिलकुल नहीं है कि दिल्ली पहुंचे सभी कैडेट कर्तव्य पथ पर चलें। यहां उस्ताद हर एक कैडेट पर नजर रखते हैं और पर्फोर्मेंस के आधार पर कुछ कैडेट्स का चयन करते हैं, जो 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर मार्च करेंगे। अब चयनित कैडेटों की रोजाना सुबह चार बजे से कर्तव्य पथ पर प्रैक्टिस शुरू हो जाती है। यह भी पढ़ें: Republic Day 2023: जमीन पर टैंकों की दहाड़, आसमान में गरजा राफेल, कर्तव्य पथ पर भारत ने दिखाई अपनी ताकत राष्ट्रपति भवन में रात्रिभोज सबसे यादगार पल उन्होंने बताया कि आरडीसी के दौरान कैडेट्स को राष्ट्रपति भवन भी जाने का मौका मिलता है, जो हर एक कैडेट के लिए गौरव भरा क्षण है। देश के राष्ट्रपति के साथ रात्रिभोज का मौका हर कैडेट की जिंदगी का सबसे यादगार पल होता है। इसके अलावा, कई बार देश के प्रधानमंत्री भी कैडेट्स से मुलाकात करते हैं। तीनों सेनाओं के प्रमुख भी कैडेट्स से मिलते हैं और उनसे बात करते हैं। इतने बड़े-बड़े हस्तियों से मिलना हर कैडेट को जिंदगी भर याद रहता है। कॉलेजों में लग जाते हैं बैक एनसीसी दस्ते में शामिल पूर्व कैडेट ने बताया कि दिल्ली से आने के बाद कैडेटों के लिए सबसे मुश्किल काम है, अपनी पढ़ाई कवर करना। चूंकि वह पिछले चार महीनों से एक दिन भी क्लास में नहीं पहुंचा और चार महीनों में कितना कुछ निकल जाता है, इसका अंदाजा तो हर कोई लगा सकता है। दिसंबर में अधिकतर कॉलेजों की सेमेस्टर परीक्षाएं हो जाती हैं। इस वजह से आरडीसी का सपना देख रहा कैडेट परीक्षा भी नहीं दे पाता। अब उसे पिछले चार महीनों के कोर्स को कवर करना होता है और अगले सेमेस्टर में दो एग्जाम्स साथ पड़ते हैं, जो अपने आप में एक चुनौती है।


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