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World Autism Awareness Day 2023: क्या है ऑटिज्म का इतिहास, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत, क्या है लक्षण? जानें सबकुछ

World Autism Awareness Day 2023: हर साल 2 अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day) मनाया जाता है। ऑटिज्म (Autism) या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्ड (autism spectrum disorder) यानी एएसडी (ASD) एक दिमागी बीमारी होती है। ये बीमारी ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। साथ ही इसका पता लगाना […]

World Autism Awareness Day 2023
World Autism Awareness Day 2023: हर साल 2 अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day) मनाया जाता है। ऑटिज्म (Autism) या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्ड (autism spectrum disorder) यानी एएसडी (ASD) एक दिमागी बीमारी होती है। ये बीमारी ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। साथ ही इसका पता लगाना भी बहुत मुश्किल होता है। अगर कोई बच्चा 2 से 3 साल का है, तो उसमें जल्दी ऑटिज्म के लक्षणों का पता नहीं चलता है। और पढ़िए – World Autism Awareness Day 2023: जानें कब हुई थी ऑटिज्म की शुरूआत, क्या हैं इसके कारण?

ये है वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस का इतिहास

यूनाइटेड नेशंस जर्नल असेंबली ने 1 नवंबर 2007 को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाने का संकल्प पास किया था। इसे सभा ने 18 दिसंबर 2007 को अपनाया था।

ये है वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस का महत्व

वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस यूनाइडेट नेशन्स (UN) द्वारा निर्धारित सात आधिकारिक स्वास्थ्य विशेष दिनों में से एक है, जिन्हें हर साल मनाया जाता है। साथ ही इस दिन दुनिया के अलग-अलग काम करने वाले ऑटिज़्म संगठनों को एक साथ लाने का काम करता है, जिससे इससे जूझ रहे लोगों के लिए अनुसंधान, निदान, उपचार और स्वीकृति जैसी चीजों में सहायता के जा सके।

ये हैं ऑटिज्म के लक्षण

वैसे तो जल्दी इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन बच्चे जल्दी से दूसरे लोगों से आई कॉन्टेक्ट नहीं कर पाते हैं, किसी की आवाज सुनने के बाद भी वो कोई जवाब नहीं देते हैं, भाषा को सीखने-समझने में दिक्कत आती है, अपनी ही धुन में मग्न रहते हैं, सामान्य बच्चों से अलग दिखते हैं इस तरह के आदि ऑटिज्म के लक्षण होते हैं।

ये रंग हैं ऑटिज्म की खास पहचान

ऑटिज्म एक तरह की बीमारी होती, जो जल्दी उजागर नहीं हो पाती है। साथ ही नीले रंग को ऑटिज्म का प्रतीक माना जाता है। इसलिए हर साल इस दिन प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों को नीले रंगी की रोशनी से सजाया भी जाता है। Disclaimer: संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है। न्यूज24 इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि इसके बारे में चिकित्सीय सलाह जरूर लें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है। और पढ़िए – लाइफस्टाइल से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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