Saunf Ka Pani Peene Ke Fayde: अगर आपको पाचन की समस्या रहती है या आपकी स्किन हमेशा डल फील करती है तो आपको आज ही से रोज सुबह खाली पेट सौंफ का पानी पीना शुरू कर देना चाहिए। जी हां, इस बीज के पानी में एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन-ए और सी जैसे गुण मौजूद है, जो हमारी सेहत को बढ़ावा देते हैं। डाइटीशियन श्रेया कत्याल बताती हैं की सौंफ ऐसा बीज है, जिसके कूलिंग एजेंट्स हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं और हमें कई परेशानियों से लाभ प्रदान करते हैं। अगर इसका पानी खाली पेट पिया जाए तो इसका बेहतर तरीके से लाभ हमारे शरीर को मिलता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डाइटीशियन श्रेया के मुताबिक, सौंफ को खाने के बाद खाने से पाचन होता है लेकिन किसी को लंबे समय से इनडाइजेशन की प्रॉब्लम है या फिर उसे हमेशा थकान महसूस होती है तो ऐसे लोगों को भिगोई हुई सौंफ का पानी सुबह के समय खाली पेट पीना फायदेमंद होता है। इन बीजों में शरीर को ठंडक देने वाले गुण होते हैं।
---विज्ञापन---
ये भी पढ़ें-लैपटॉप पर घंटों कर रहे हैं काम? आंखों के साथ बिगड़ रही है गर्दन की सेहत, ऐसे होगा बचाव
---विज्ञापन---
सौंफ का पानी पीने के फायदे
पाचन सुधारें- सौंफ में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज गैस, कब्ज और अपच की समस्याओं को दूर करता है। इसका पानी ब्लोटिंग की समस्या में भी राहत दिलाता है।
वेट लॉस- सौंफ का पानी पीने से मेटाबॉलिज्म स्ट्रॉन्ग होता है। ये हमारी इम्यूनिटी को भी बूस्ट करता है। ऐसे में वेट लॉस करने वाले लोगों को इस पानी को जरूर पीना चाहिए क्योंकि इससे आपका पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है।
स्किन- गर्मियों और मानसून के समय स्किन पर पिंपल्स और एक्ने की समस्या बढ़ जाती है। इसे दूर करने के लिए आपको सौंफ का पानी जरूर पीना चाहिए। इस पानी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-सी स्किन को डिटॉक्स कर ग्लोइंग बनाता है।
आंखों के लिए फायदेमंद- सौंफ विटामिन-ए का सोर्स भी है। ऐसे में ये हमारी आंखों की रोशनी को भी बढ़ाने में फायदेमंद होता है।
कैसे बनाएं इसका पानी?
इसके लिए आपको रात को सोने से पहले 1 गिलास पानी में 1 चम्मच सौंफ को डालकर छोड़ देना। अब इस पानी को आप सुबह खाली पेट बिना पकाएं भी पी सकते हैं। अगर आपको इसे गर्म पीना है तो सौंफ के बीजों के साथ इसे थोड़ा गर्म कर लें। पानी के साथ-साथ इन बीजों को भी खा लें।
ये भी पढ़ें-किडनी से जुड़ी कौन-कौन सी बीमारियां खतरनाक? शुरुआती लक्षण क्या, बचाव कैसे?