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डॉक्टरों ने किया कमाल, 2 साल की बच्ची के ब्रेन ट्यूमर की नाक से हुई सर्जरी

Brain Tumor: चंडीगढ़ के PGIMER अस्पताल में डॉक्टरों ने 2 साल की बच्ची के दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर Craniopharyngioma की नाक के रास्ते सर्जरी कर जान बचाई। जानें कैसे हुआ यह चमत्कारिक ऑपरेशन और क्यों यह ट्यूमर बेहद खतरनाक माना जाता है।

Brain Tumor: चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने हाल ही में एक ऐसे ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की है, जो दुनिया में दुर्लभ माना जाता है। यह मेडिकल साइंस में मील का पत्थर साबित हुआ है। दरअसल, ये ऑपरेशन 2 साल की बच्ची का हुआ था जिसे देखने में परेशानी हो रही थी और चलने में मुश्किल आ रही थी। चंडीगढ़ के PGIMER अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने इस बच्ची का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई है। दरअसल, 2 साल की बच्ची को क्रेनियोफेरीन्जिओमा नामक ब्रेन ट्यूमर था, जो दिमाग में सबसे बड़े ट्यूमर फॉर्मेशन में से एक है।

बच्ची को क्या हुआ था?

बच्ची की मां विमलेश बताती हैं कि उनकी बेटी जन्म से सामान्य थी लेकिन फरवरी 2025 के आसपास उसकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी। इसके बाद जब मार्च में उन्होंने डॉक्टर को दिखाया, तो शुरुआती जांच में अंदेशा हुआ कि बच्ची को दृष्टिहानि हो रही है। इसके बाद जब एमआरआई रिपोर्ट मिली तो उससे स्पष्ट हुआ कि उसकी ऑप्टिक नसों में एक बड़ा ट्यूमर बन रहा है। यह ट्यूमर उसके पिट्यूटरी ग्लैंड में बन रहा था। डॉक्टरों ने ट्यूमर को क्रेनियोफेरीन्जिओमा बताया है। सर्जरी करने वाले डॉक्टर दंडपाणी बताते हैं कि यह एक दुर्लभ लेकिन सबसे खतरनाक ब्रेन ट्यूमर में से एक होता है, जो बच्चों में बहुत कम ही पाया जाता है।

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क्यों खतरनाक है यह ब्रेन ट्यूमर?

क्रेनियोफेरीन्जिओमा एक रेयर ट्यूमर होता है, जो पिट्यूटरी ग्लैंड्स के पास बनता है। यह एक धीमी गति से बढ़ने वाला ट्यूमप होता है जो शरीर के हार्मोन्स को भी डिस्टर्ब करता है। इसके इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी भी ली जाती है। इस ब्रेन ट्यूमर में दिमाग में जो ट्यूमर बनता है वह 4 सेंटीमीटर से बड़ा होता है। ये आमतौर पर 2 एज ग्रुप के लोगों को प्रभावित करता है-5 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को और 50 से 74 वर्ष की आयु के वयस्कों को।

नाक से हुई सर्जरी

डॉक्टर धंडापानी बताते हैं कि क्रेनियोफेरीन्जिओमा में अधिकतर जायंट ट्यूमर होते हैं, जो बड़ों को भी जानलेवा होता है। बच्ची के साथ भी ऐसा ही था। ये रेयर डिजीज है और इतने छोटे बच्चे के लिए रिस्की भी है।ऐसे में उन्होंने तय किया कि बच्ची का ऑपरेशन नाक के रास्ते (Endoscopic Endonasal Approach) से किया जाएगा। यह एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है, जिसमें सिर की खोपड़ी को नहीं काटा जाता है। यह बच्ची दुनिया की दूसरी बच्ची है जिसे इतनी कम उम्र में इतना बड़ा ट्यूमर हुआ था।

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