बार-बार नाक में उंगली डालते हैं? तो रहें सावधान, रिसर्च में डराने वाला खुलासा!
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Nose Picking Habit And Dementia: नाक में उंगली डालना ये आदत छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों में देखी ही होगी। वैसे मेडिकल टर्म में देखा जाए तो नाक में बार-बार उंगली डालने वाले को राइनो सेक्सोमेनिया (Rhinotillexomania) कहते हैं। कोई इस चीज को सामने से करता है और कोई छुपकर करता है। कई बार ऐसा होता है, अगर किसी को ऐसा करते हुए देख लें, तो वह इंसान शर्म के मारे पानी-पानी हो जाता है और इधर-उधर बगले झांकने लगता है।
असल में, यह आदत बहुत गंदी होती है और जो इसे करते हैं, वो कभी भी अपनी इस आदत को छोड़ नहीं पाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा करना सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकता है। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि नाक में उंगली करने से नाक गुहा (Nasal Cavity) में कुछ रोगाणु प्रवेश कर जाते हैं, जो अल्जाइमर बीमारी की ओर ले जाने वाले प्रोसेस को शुरू कर देते हैं।
स्टडी में खुलासा
एक नई स्टडी से पता चला है कि जो लोग बार-बार अपनी नाक कुरेदते हैं, उनमें अल्जाइमर बीमारी होने की ज्यादा संभावना होती है। यह स्टडी दर्जनों प्रकाशित रिसर्च की समीक्षा करके आयोजित की गई थी। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया कि नाक में उंगली करने से कुछ जर्म प्रवेश कर जाते हैं, जो ब्रेन को एक डिफेंस सिस्टम के रूप में बीटा-मिलॉइड का प्रोड्यूस करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि बीटा-मिलॉइड प्रोग्रेसिव डिमेंशिया का एए प्रमुख कारण है, जो अल्जाइमर बीमारी की विशेषता है। रिसर्चरों ने निष्कर्ष निकाला अल्जाइमर की बीमारी में न्यूरो इन्फ्लेमेशन आंशिक रूप से घ्राण प्रणाली (Olfactory System) के माध्यम से दिमाग में आने वाले पैथोजेनिक के कारण हो सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिमाग से इसका सीधा फिजिकल रिलेशन और एडी के शुरुआती स्टेज में इसकी भागीदारी को देखते हुए घ्राण प्रणाली रोगज़नक़ (Olfactory System Pathogen) प्रवेश के लिए मार्ग का रीप्रेसन्टेशन करती है।
अमेरिका में अल्जाइमर समस्या
मेयो क्लिनिक के अनुसार, यूएसए में 65 साल और उससे ज्यादा आयु के लगभग 6.5 मिलियन लोगों को अल्जाइमर की बीमारी है, इनमें से 70% से ज्यादा मामले 75 और उससे ज्यादा आयु के लोगों में होते हैं। यह प्रोग्रेसिव ब्रेन डिसऑर्डर डिमेंशिया का सबसे प्रचलित रूप है।
वर्ल्ड लेवल पर माना जाता है कि डिमेंशिया से पीड़ित 55 मिलियन लोगों में से 70% लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं। यूएसए(USA) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग (National Institute on Aging) का सुझाव है कि इसकी शुरुआत उम्र से जुड़ी ब्रेन चेंज, जेनेटिक टेंडेंसी, एनवायरमेंटल फैक्टर और लाइफस्टाइल ऑप्शन के कॉम्बिनेशन से हो सकती है।
जबकि अलग-अलग लाइफस्टाइल फैक्टर अल्जाइमर रोग कर सकते हैं। रिपोर्ट के लेखकों ने नाक से खुजलाने को लेकर कहा है कि भले ही सूखे कफ को हटाने से सांस लेने में आसानी हो सकती है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि नाक से पानी निकालने से नाक की सफाई का ऑप्शन नहीं है, जिसमें नाक धोने या नाक साफ करने जैसे तरीकों के जरिए से नाक के रास्ते की रोजाना सफाई और रखरखाव शामिल है।
Disclaimer: उपरोक्त जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।
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