Motoyabind Kaise Hota Hai: आंखों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जिनमें से एक है मोतियाबिंद. हमारी आंख में एक नेचुरल क्रिस्टलाइन लेंस होता है जिसके कारण साफ देखने में मदद मिलती है. जब उम्र बढ़ने लगती है तो यह लेंस धुंधला पड़ने लगता है यानी ठीक तरह से दिखना बंद हो जाता है. मोतियाबिंद (Cataract) एक ऐसी कंडीशन है जो 80 से 90 प्रतिशत लोगों में पाई जाती है. उम्र के किसी ना किसी पड़ाव पर मोतियाबिंद हो ही जाता है. कुछ सालों पहले तक मोतियाबिंद की दिक्कत 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति में देखी जाती थी लेकिन अब प्रदूषण, स्ट्रेस, इंफेक्शंस और अलग-अलग दवाइयों के कारण कम उम्र में भी मोतियाबिंद हो सकता है. मोतियाबिंद सिर्फ बड़े लोगों में ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो सकता है. मोतियाबिंद होने के क्या लक्षण हैं और इसका क्या इलाज (Motiyabind Ka Ilaj) है इस बारे में बता रही हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ और आई सर्जन डॉ. अनुप्रिता गांधी भट्ट. सहायाद्री हॉस्पिटल्स के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर पोस्ट हुए वीडियो में डॉ. अनुप्रिया ने मोतियाबंद के बारे में बताया है. यहां जानिए मोतियाबंद के बारे में सबकुछ.
मोतियाबंद के लक्षण | Cataract Symptoms | Motiyabind Ke Lakshan
डॉक्टर का कहना है कि मोतियाबिंद का प्रकार बदलने पर उसके लक्षण भी बदलते हैं. ऐसे में अलग-अलग टाइप के मोतियाबिंद में अलग-अलग लक्षण दिख सकते हैं.
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- मोतियाबिंद होने का सबसे पहला लक्षण है कि आपको धुंधला नजर आने लगता है यानि विजन क्लाउडी (Cloudy Vision) हो जाता है.
- एक लक्षण यह भी है कि ड्राइव करते हुए आंखों में रोशनी चुभने लगती है.
- बार-बार चश्मा बदलवाने की जरूरत पड़ना भी मोतियाबिंद का लक्षण हो सकता है.
- डबल विजन यानी किसी एक चीज का ज्यादा नजर आना या फिर किसी चीज को देखने पर उसके आस-पास अलग-अलग तरह की चीजों का नजर आना मोतियाबिंद का लक्षण हो सकता है.
- सेकंड विजन होना यानी पास का चश्मा ना होने पर भी ठीक तरह से दिखाई देना मोतियाबिंद का संकेत (Catarct Sign) हो सकता है. इसमें होता यह है कि जब भी मोतियाबिंद होता है तो लेंस हार्ड होने लगता है इससे लैंस पास की चीजों पर ज्यादा फोकस करने लगता है.
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मोतियाबिंद होने के कारण
- कंजिनाइटिल कैटेरेक्ट व्यक्ति को हो सकता है जिसमें अगर परिवार में किसी को मोतियाबंद हो या फिर जन्म देने के समय मां को मोतियाबिंद हो तो बच्चे को मोतियाबिंद होने की संभावना रहती है.
- टोर्च इंफेक्शन यानी टोक्सोप्लासमोसिस रुबेला हिस्टोप्लास्मोसिस का इंफेक्शन अगर मां को प्रेग्नेंसी में हो जाए बच्चे को मोतियाबिंद होने की संभावना होती है.
- प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ दवाइयां ऐसी हैं जिन्हें लेने पर बच्चे में मोतियाबिंद के चांसेस बढ़ जाते हैं.
- कुछ मेटाबॉलिक डिसोर्डर्स के कारण बच्चों में डेवलपमेंट कैटेरेक्ट पाया जाता है.
- उम्र बढ़ने के कारण एज रिलेटेड कैटेरेक्ट होता है. बढ़ती उम्र में आंखों के लेंस की ट्रांसपेरेंसी कम होने लगती है जिससे क्लियर दिखना कम हो जाता है.
- इंफ्लेमेशन के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है. यह आंखों पर किसी तरह की चोट के कारण होता है.
- इंफ्लेमेटरी आई डिजीज यानी आंखों के अंदर बार-बार सूजन आने से भी मोतियाबिंद हो सकता है.
- जरूरत से ज्यादा शराब पीना मोतियाबिंद का कारण बन सकता है.
- अल्ट्रावायलेट लाइट के ज्यादा संपर्क में आने से आंखें डैमेज होती हैं.
- ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है.
मोतियाबिंद का इलाज क्या है
डॉक्टर ने बताया कि मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज है सर्जरी. एलोपैथी में ऐसी कोई ड्रॉप्स या दवा नहीं है जो मोतियाबिंद को कम करती है या इसे डिजॉल्व करती है. मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज है कैटेरेक्ट सर्जरी.
मोतियाबिंद में 2 तरह की सर्जरी (Cataract Surgery) मुख्यतौर पर की जाती है. एक है स्मॉल इन्सिजन कैटेरेक्ट सर्जरी. यह सर्जरी गंभीर मोतियाबिंद में की जाती है. इसमें टांके भी लग सकते हैं. दूसरी है फेकोइमलसिफिकेशन सर्जरी जिसे फेको भी कहते हैं. यह मेनुअली भी होती है और इसे लेजर के जरिए भी किया जाता है.
मोतियाबिंद ना हो इसके लिए क्या खाना चाहिए
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है. ऐसे में डाइट में एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर चीजों को शामिल किया जा सकता है. एंटी-ऑक्सीडेंट्स विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन ई में होता है. हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, संतरा, ब्रोकोली, आंवला, नींबू और बादाम जैसे फूड्स को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं. इन फूड्स से मोतियाबिंद होने की दिक्कत जल्दी नहीं होती है या कहें पोस्टपोन होती चली जाती है.
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अस्वीकरण - इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.