Monsoon Health Tips: बरसात के दिनों में गर्मी से तो राहत मिल जाती है लेकिन ये मौसम अपने साथ-साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है। खासतौर पर बैक्टीरियल इंफेक्शन्स का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। मानसून में डेंगू, मलेरिया समेत टाइफाइड का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। टाइफाइड बरसात और कम साफ-सफाई से फैलने वाला रोग है, जो साल्मोनेला बैक्टीरिया की वजह से होता है। इस वायरस के फैलने की क्षमता उन्हीं लोगों या इलाकों में अधिक होती है, जहां पर साफ-सफाई और हाथ धोने जैसे सामान्य नियमों का पालन नहीं होता है। मानसून, जो कि पहले से ही ही बीमारियों का समय होता है, उसमें यदि हाइजीन को मैंटेन नहीं किया जाता है, तो टाइफाइड होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
देश में एक्टिव टाइफाइड वायरस
इस समय देश के कुछ इलाकों में टाइफाइड के कई मामले दर्ज किए गए हैं। देहरादून से लेकर हाथरस में बच्चों को टाइफाइड हो रहा है, तो वहीं बिहार तके भागलपुर में भी पिछले 2 हफ्तों से टाइफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ती दिखाई दी है। देहरादुन में एक मरीज को टाइफाइड से ऑर्गेन फेलियर की समस्या भी हुई है। ऐसे में हमें समय रहते सावधानी बरतनी जरूरी है। चलिए बताते हैं आपको टाइफाइड क्यों होता है और इससे बचाव के उपायों के बारे में।
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क्यों होता है टाइफाइड?
टाइफाइड हाइजीन से संबंध रखने वाली बीमारी है। मानसून में यह समस्या इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि साफ पानी की किल्लचत और बारिश से होने वाली उमस से खाने-पीने की चीजों समेत वातावरण में भी ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है। इस कारण से ही टाइफाइड के बैक्टीरिया पनपते हैं। दूषित खाना और पानी, इसका सबसे प्रमुख कारण होता है।
टाइफाइड के संकेत
हाई फीवर।
भूख में कमी।
सिरदर्द होना।
मतली और उल्टी।
गले में खराश।
स्किन पर लाल चकत्ते।
पेट संबंधी बीमारियां होना जैसे कि दस्त।
बचाव के उपाय
झारखंड के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट एवं क्रेनियोफेशियल सर्जन डॉक्टर अनुज कुमार बताते हैं कि बारिश के मौसम में टाइफाइड के मामले बढ़ना सामान्य है। मगर इससे बचाव के लिए हमें कुछ आसान उपायों को फॉलो करना ही फायदेमंद होता है। जैसे कि:-
अपने हाथों को धोएं तथा सैनिटाइजर कैरी करें।
फल और सब्जियों को साफ किए बिना खाने से बचें और कच्ची सब्जियां न खाएं।
पानी को उबालकर खाएं तथा नॉनवेज समेत स्ट्रीट फूड्स से भी परहेज करना चाहिए।