सावधान! Sperm का कम होना बन सकता है पुरुषों में कैंसर की वजह, Study में खुलासा
Low Sperm And Cancer Risk In Men: कुछ टाइम पहले तक लोगों को लगता था कि इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं में होने वाली समस्या है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे ही पुरुषों में भी यह दिक्कत आ रही है। यह ऐसी प्रॉब्लम होती है, जिसमें कपल्स को कई सालों तक बहुत कोशिशों के बाद भी प्रेगनेंसी प्लान करने में समस्या आती है। पुरुषों में इनफर्टिलिटी की कमी और खराब क्वालिटी होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अगर पुरुषों के सीमेन में स्पर्म काउंट कम होता है, तो इसके कारण महिला को प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है और पुरुषों में कई बीमारियों का कारण भी बनती हैं, जैसे- डायबिटीज, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा रहता है। वहीं, एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन पुरुषों में कम स्पर्म बनते हैं, उनमें कैंसर के खतरे की संभावना ज्यादा होती है।
स्पर्म की संख्या का कैंसर की शुरुआत के जोखिम से सीधा संबंध है। आप सोच रहें हैं न? इसका कैंसर से क्या लेना-देना है। यूटा यूनिवर्सिटी, अमेरिका के रिसर्चरों के नेतृत्व में रिसर्चर ने जेनेटिक जरिए से यह पाया कि बिना शुक्राणु (एजोस्पर्मिया) पैदा करने वाले पुरुषों के परिवारों में हड्डी और जोड़ों के कैंसर विकसित होने का खतरा 156% बढ़ गया, जबकि कैंसर विकसित होने का खतरा लिम्फ, टिश्यू और थायरॉयड में 60%, 56% और 54% की बढ़ोतरी हुई है।
[caption id="attachment_594569" align="alignnone" ] कम शुक्राणु की समस्या Image Credit: Freepik[/caption]
उन्होंने यह भी पाया कि गंभीर रूप से ओलिगोजोस्पर्मिक (Oligospermia) पुरुषों के परिवारों, जिनमें स्पर्म की संख्या 1.5 मिलियन प्रति मिलीलीटर वीर्य (Semen) से कम है और हड्डी और जोड़ों के कैंसर होने का खतरा 143% और टेस्टिकुलर कैंसर होने का खतरा 134% बढ़ गया था।
1996 और 2017 के बीच अमेरिकी राज्य यूटा में रिप्रोडक्शन क्लीनिकों में भाग लेने वाले 786 पुरुषों के वीर्य का विश्लेषण किया गया। उन्होंने सामान्य आबादी में 5674 पुरुषों (जिनके पास कम से कम एक बच्चा है) की जानकारी के साथ इन पुरुषों का मिलान किया गया।
स्टडी में बताया गया कि खराब फर्टिलिटी वाले पुरुषों के परिवारों में कैंसर के जोखिम के कई पैटर्न की पहचान की है। जब परिवार के सदस्य कैंसर के फैक्टर साझा करते हैं, तो यह पता चलता है कि उनके जेनेटिक, एनवायरनमेंट या हेल्थ बिहेवियर एक समान हैं। जेनेटिक और एनवायरनमेंटल खतरा भी एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं, इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
रिसर्चरों ने कहा कि कैंसर और बांझपन दोनों में शामिल बायोलॉजिकल सिस्टम में सुधार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे डॉक्टर लो फर्टिलिटी वाले पुरुषों और उनके परिवारों के लिए कैंसर के खतरे का ज्यादा सटीक अनुमान लगाने में सक्षम होंगे और उन्हें दी जाने वाली सलाह में भी सुधार होगा।
पुरुषों में शुक्राणु की संख्या क्या होती है
पुरुषों में स्पर्म की संख्या आमतौर पर प्रति मिलीलीटर सीमन में कम से कम 15 मिलियन स्पर्म मानी जाती है। हालांकि, स्पर्म की मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजी जैसे फैक्टर के आधार पर, कम स्पर्म संख्या के साथ भी फर्टिलिटी क्षमता प्राप्त की जा सकती है। शुक्राणुओं की संख्या पुरुष फर्टिलिटी का सिर्फ एक पहलू है और शुक्राणु की गुणवत्ता, गति और जेनेटिक जैसे फैक्टर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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पुरुषों में कैंसर के अन्य फैक्टर
पुरुषों में कैंसर का जोखिम जेनेटिक, लाइफस्टाइल और एनवायरनमेंट फैक्टर के साथ-साथ अलग कारणों से प्रभावित होता है। पुरुषों को प्रभावित करने वाले सामान्य कैंसर में प्रोस्टेट, फेफड़े, कोलोरेक्टल और त्वचा कैंसर शामिल हैं। उम्र भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बढ़ती उम्र के साथ कैंसर की घटनाएं आम तौर पर बढ़ती हैं।
धूम्रपान, ज्यादा शराब का सेवन, खराब डाइट, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और कार्सिनोजेन के संपर्क जैसे लाइफस्टाइल फैक्टर कैंसर के खतरे को और बढ़ा सकते हैं। समय-समय पर जांच और बैलेंस डाइट बनाए रखना, एक्टिव रहना, तंबाकू से परहेज करना और शराब का सेवन कम करने जैसी स्वस्थ आदतें अपनाने से कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
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Disclaimer: उपरोक्त जानकारी पर अमल करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी हेल्थ एक्सपर्ट की राय जरूर ले लें। News24 की ओर से इस जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।
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