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Liver Cell: अगर आपको भी सता रहा लिवर खराब होने का डर, तो यह रिसर्च जरूर पढ़ें

Liver Cell: जब खराब लिवर सेल की जगह स्कार टिश्यू लेने लगते हैं, तो शरीर में हेपेटिक फाइब्रोसिस का प्रभाव शुरू हो जाता है। इससे लिवर सिरोसिस, लिवर फेल होना और लिवर में कैंसर भी हो सकता है। वहीं इतना ही नहीं इसके कारण लिवर में ब्लड का फ्लो भी रुक जाता है। इस केस […]

Liver Cell
Liver Cell: जब खराब लिवर सेल की जगह स्कार टिश्यू लेने लगते हैं, तो शरीर में हेपेटिक फाइब्रोसिस का प्रभाव शुरू हो जाता है। इससे लिवर सिरोसिस, लिवर फेल होना और लिवर में कैंसर भी हो सकता है। वहीं इतना ही नहीं इसके कारण लिवर में ब्लड का फ्लो भी रुक जाता है। इस केस में जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो कोई भी रास्ता नहीं बचता है।

रिसर्चर्स की राय

रिसर्चर ग्रुप से जुड़े लेखक, डेविड ए.ब्रेनर (एमडी सैनफोर्ड, बर्नहैम प्रीबिस के अध्यक्ष) और तातियाना किसेलेवा (एम.डी, पीएच.डी, यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में सर्जरी के प्रोफेसर) के नेतृत्व में रिसर्चर्स के एक समूह ने लिवर सेल को लेकर कई बातें बताई। साथ ही नए रिसर्च से पता चलता है कि अगर सही से कंडीशन को समझा जाए और उससे डील किया जाए तो लिवर फाइब्रोसिस को रोका जा सकता है। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (Gastroenterologist) और फेमस लिवर डिजीज रिसर्चर ब्रेनर ने कहा कि लिवर फाइब्रोसिस काफी आम है। क्योंकि यह कई चीजों के कारण हो सकता है,जो अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन हेल्दी करने के बजाय घाव कर देते हैं। वायरल हेपेटाइटिस, ज्यादा शराब के सेवन से लेकर और गैर-अल्कोहल फैटी लीवर की बीमारी (Nonalcoholic fatty liver disease) तक सबकुछ जो बेहद आम हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि गैर-अल्कोहल फैटी लीवर की बीमारी दुनिया भर में लगभग 1 अरब लोगों को प्रभावित करती हैं। एनएएफएलडी (NAFLD) वाले लगभग 20% मरीज नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (Non-Alcoholic Steatohepatitis) के और अधिक गंभीर रूप से पीड़ित हो जाते हैं, जिसमें लिवर की सूजन, फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी बीमारियां हो जाती हैं। ब्रेनर, किसेलेवा और कई साथी लेखकों ने बताया कि, मायोफाइब्रोब्लास्ट (Myofibroblasts) हेल्दी लिवर में मौजूद नहीं होते हैं, लेकिन अधिक शराब के सेवन से काफी ए्क्टिव होते हैं। लिवर में सूजन हेपेटिक स्टेलेट सेल्स (Hepatic Stellate Cells) के एक्टिवेशन को ट्रिगर करती है, जो काफी रेयर, इनएक्टिव, विटामिन ए के स्टोरेज करने वाली सेल्स से प्रोलिफ़ेरेटिव मायोफाइब्रोब्लास्ट (Proliferation Myofibroblasts) में चेंज हो जाती है। इससे स्कार बनाने वाले प्रोटीन का डिस्चार्ज शुरू हो जाता है। ये भी पढ़ें- हल्का खाना खाने से शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे, बुस्ट होती है इम्यूनिटी ये मायोफाइब्रोब्लास्ट नॉन फंक्शनल स्कार टिश्यू का चिकन वायर बनाना शुरू कर देते हैं, जो समय के साथ, काफी गाढ़ा हो जाता है और जुड़कर लिवर को ब्लॉक कर देता है और इससे जानलेवा स्थिति बन जाती है। ब्रेनर ने कहा कि लिवर फाइब्रोसिस के कई कारण हैं और मौजूदा कोई प्रभावी उपचार नहीं हैं क्योंकि ज्यादातर प्रयास सिंगल गोल्स पर केंद्रित होते हैं। जब कोई पुरानी लिवर की चोट शामिल होती है। हेपेटिक मायोफाइब्रोब्लास्ट के निर्माण को रोकने के साथ-साथ लिवर डैमेज के कारण, जैसे- वायरल संक्रमण या ज्यादा शराब पीने वालों पर ध्यान केंद्रित करना है। एएचएससी (AHSC) अपनी स्थिति (जैसे गहरी नींद ) में वापस आ जाते हैं तब लीवर फाइब्रोसिस खत्म हो जाता है। ब्रेनर ने आगे कहा कि इसका मतलब उन कारणों पर ध्यान देना है जो हेपेटिक स्टेलेट सेल्स (Hepatic Stellate Cells) को एक्टिव करते हैं, जो उन्हें स्कार टिश्यू में बदल देते हैं। चूहों और मनुष्यों में को गई हालिया स्टडीज ने इन सेलुलर और मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म पर प्रकाश डालना शुरू कर दिया है। नई सोलो सेल टेक्नोलॉजी और स्थानिक ट्रांसक्रिप्टोमिक्स (Spatial Transcriptomics) जैसे इक्विपमेंट इस कारणों को आगे बढ़ाएंगे।


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