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सांस की बीमारी के मरीज केदारनाथ यात्रा पर बरतें ये सावधानियां, किन चीजों को साथ रखें?

Kedarnath Yatra 2025: केदारनाथ धाम की यात्रा की शुरुआत आज से हो चुकी है। दर्शन के लिए हजारों लोग धाम पहुंचने वाले हैं। ऐसे में इनमें कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो किसी न किसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे होंगे। हम अपनी रिपोर्ट में आपको साइनस की बीमारी से पीड़ित श्रृद्धालुओं के बारे में कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं, जो यात्रा के दौरान इनकी सेहत को सही रखेगी।

Kedarnath Yatra 2025: केदारनाथ धाम की यात्रा करना भारत के सबसे पवित्र और प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक मानी जाती है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 11,755 फीट (3584 मीटर) की ऊंचाई पर मौजूद है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन जो लोग साइनस या सांस संबंधी किसी बीमारी से पीड़ित हैं, उनके लिए यह यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकती है। आज यानी 2 मई, 2025 को एकबार फिर से बाबा केदारनाथ के कपाट भक्तों के लिए खुल चुके हैं। लोग केदारनाथ के दर्शन अगले कुछ महीनों तक लगातार कर सकेंगे। अगर आप या आपके प्रियजनों में कोई ऐसा हो, जो केदारनाथ जाने का प्लान कर रहा है और साइनस या सांस की बीमारी से पीड़ित हैं, तो उन्हें कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए।

किन बातों का ख्याल रखें?

1. ऊंचाई से होने वाली दिक्कतें केदारनाथ धाम ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए, वहां ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। साइनस के मरीजों को पहले से ही सांस लेने में दिक्कत रहती है, तो ऐसे में कम ऑक्सीजन का स्तर इनकी सेहत को और बिगाड़ सकता है। अगर आपको ज्यादा परेशानी होती है, तो वहां का मौसम और सेहत को ध्यान रखते हुए यात्रा प्लान करें। ये भी पढ़ें- गर्मियों में छींक किन बीमारियों के संकेत, डॉक्टर के इस घरेलू नुस्खे से मिलेगी राहत 2. ठंडे और ड्राई एटमॉस्फेयर से बचें केदारनाथ में मौसम अधिकांश ठंडा और ड्राई रहता है, जो साइनस के मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं होता है। ठंडी हवा से साइनस नेजल पैसेज को और अधिक ड्राई कर सकता है, जिससे सूजन बढ़ सकती है और सिर में तेज दर्द हो सकता है। 3. यात्रा से पहले डॉक्टर की सलाह लें साइनस के मरीजों को यात्रा करने से पहले ENT स्पेशलिस्ट या फिजिशियन से जरूर सलाह लेनी चाहिए। यदि आपकी स्थिति गंभीर है, तो डॉक्टर विशेष दवाइयों या नेबुलाइजर साथ रखने की सलाह दे सकते हैं। 4. दवाइयों और जरूरी उपकरण साथ रखें यात्रा के दौरान आपकी नियमित साइनस की दवाएं, नेसल स्प्रे, भाप लेने की मशीन और किसी प्रकार की इमरजेंसी मेडिसिन को अपने साथ जरूर रखें। साथ ही, एक मेडिकल किट भी रखें जिसमें पेन रिलीवर, बाम और सर्दी-खांसी समेत बुखार की दवाएं हों। 5. शरीर को यात्रा के लिए तैयार करें अगर आप मैदानी इलाकों में रहते हैं, तो पहाड़ की ऊंचाई पर जाने से पहले अपने शरीर को अनुकूल बनाएं। यात्रा से पहले 2-3 दिन किसी मध्यम ऊंचाई वाले स्थान पर रुकें ताकि शरीर ऊंचाई के अनुसार तापमान में ढल सके। 6. भोजन और पानी का रखें ध्यान तेल-मसालेदार भोजन साइनस की समस्या को बढ़ा सकता है, इसलिए यात्रा करने से पहले भी और दौरान भी हल्का, सुपाच्य और गर्म भोजन का सेवन करें। दिन में कम से कम 3-4 लीटर गर्म पानी पिएं ताकि नाक और गले में नमी बनी रहे। 7. थकान से बचें साइनस के मरीजों को अधिक थकावट और स्ट्रेस लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे स्थिति बिगड़ सकती है। कोशिश करें कि पैदल यात्रा धीरे-धीरे करें और समय-समय पर रुककर शरीर को थोड़ा आराम दें।

किन चीजों को साथ रखें?

डॉक्टर सुनील तंवर बताते हैं कि अगर किसी को साइनस है या उन्हें नाक में हमेशा कंजेशन, नाक बहने आदि जैसी समस्याएं होती रहती हैं, तो उन्हें लंबी दूरी की यात्रा खासतौर पर पहाड़ी इलाकों की यात्रा अपनी सेहत को मद्देनजर रखते हुए करनी चाहिए। केदारनाथ धाम भी ऊंचाई पर स्थित है। ऐसे में ये लोग यात्रा करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर जरूरी जांच करवाएं तथा अपने साथ जरूरी चीजों को रखना न भूलें। जैसे कि:-
  • दवाएं।
  • हर्बल टी के पैकेट्स, जैसे ग्रीन टी या ब्लैक टी।
  • पोर्टेबल स्टीमर।
  • मास्क और स्कार्फ।
  • थर्मल कपड़े और रेनकोट।
  • टिशू पेपर, सेनिटाइजर और रूमाल आदि।
  • लाइट स्नैक्स जैसे मखाने और नट्स।
  • ORS पाउडर ताकि हाइड्रेशन की कमी न हो सके।
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