Hairfall Causes: तनाव या स्ट्रेस आजकल लोगों में बहुत कॉमन प्रॉब्लम हो गई है। तनाव से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि बाल झड़ना। मगर हर बार
इसका संबंध स्ट्रेस से हो, यह जरूरी नहीं है। बाल झड़ने की समस्या को अक्सर लोग तनाव से जोड़कर देखते हैं। हालांकि, लंबे समय तक तनाव रहने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बाल झड़ सकते हैं। अगर बाल लगातार गिर रहे हैं या धीरे-धीरे गंजापन नजर आने लगा है, तो इसके पीछे एलोपेसिया (Alopecia) नाम की बीमारी भी कारण हो सकती है।
काया क्लिनिक की कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, डॉ. हरकनवाल सेखों बताती हैं कि अक्सर तनाव या उम्र को बाल झड़ने का कारण माना जाता है, लेकिन डर्मेटोलॉजिस्ट्स का कहना है कि ये एलोपेसिया का लक्षण भी हो सकता है। एलोपेसिया भी कई प्रकार के हो सकते हैं। यहां जानिए एक्सपर्ट से एलोपेसिया के बारे में सबकुछ।
एलोपेसिया के प्रकार
एलोपेसिया एरिएटा (Alopecia Areata)
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें बाल अचानक गोल-गोल पैच में गिरते हैं। यह सिर, दाढ़ी, आइब्रो या पलकों को भी प्रभावित कर सकती है।
एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया (Androgenetic Alopecia)
यह सबसे आम प्रकार है, जो हार्मोन के असंतुलन से होता है। पुरुषों में यह माथे से बाल पीछे हटने और सिर के ऊपर गंजेपन के रूप में दिखता है, जबकि महिलाओं में सिर के ऊपर बाल पतले होते जाते हैं।
टेलोजेन एफ्लुवियम (Telogen Effluvium)
यह अक्सर तनाव, बीमारी, सर्जरी या कड़ी डाइटिंग के कारण होता है। इसमें अचानक पूरे सिर से बाल झड़ने लगते हैं, लेकिन यह स्थिति आमतौर पर अस्थायी होती है।
एलोपेसिया के खतरे को बढ़ाने वाले कारण
डॉ. सेखों कहती हैं कि बढ़ता तनाव, पोषण की कमी और जीवनशैली में बदलाव के कारण भारत में यह समस्या बढ़ने लगी है। यही नहीं देश के युवा भी अब एलोपेसिया से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
क्या पुरुष और महिलाएं दोनों प्रभावित होते हैं?
एक्सपर्ट के अनुसार, भारत में पुरुषों में बाल झड़ने की समस्या अधिक देखी जाती है, खासकर एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया की वजह से, जो 20 या 30 की उम्र से शुरू हो सकती है। महिलाओं में भी 35 की आयु के बाद बाल पतले होने लगते हैं, लेकिन यह ज्यादा दिखाई नहीं देता है। एलोपेसिया एरिएटा जैसे एलोपेसिया के प्रकार पुरुष, महिलाएं, यहां तक कि बच्चे और किशोरों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
इलाज क्या है?
अगर बाल झड़ना कुछ हफ्तों तक लगातार हो रहा है या स्थिति बिगड़ रही है, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलना जरूरी है। इसके लिए खून की जांच या स्कैल्प की जांच की जा सकती है। इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का एलोपेसिया मरीज को है। इसके लिए डॉक्टर क्रीम, दवाएं, इंजेक्शन या हेयर ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं।