दुनिया की पहली चिकनगुनिया वैक्सीन Ixchiq को मंजूरी, सिंगल डोज से खत्म होगा वायरस
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Chikungunya virus United State approves first vaccine Ixchiq: चिकनगुनिया बीमारी से मुक्ति के लिए गुड न्यूज है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने वैक्सीन इक्स्चिक (Ixchiq) बना ली है। यह दुनिया की पहली वैक्सीन है, जो भारत समेत दुनिया के कई देशों में तबाही मचाने वाले चिकनगुनिया वायरस को निष्प्रभावी करेगी। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। यह वायरस संक्रमित मच्छरों से फैलता है, जिसे खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने कोविड के बाद दुनिया के लिए एक उभरता हुआ स्वास्थ्य खतरा कहा है।
एफडीए ने कहा कि यूरोप की फ्रेंच बायोटेक कंपनी वलनेवा द्वारा बनाई गई वैक्सीन इक्स्चिक के नाम से बाजार में उपलब्ध होगी। यह वैक्सीन सिंगल डोज में है, यानी वैक्सीन की एक खुराब वायरस से लड़ने में कारगर है। इसे 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए मंजूर किया गया है।
भारत में 60 साल पहले सामने आया था पहला केस
भारत में चिकनगुनिया का पहला मामला 60 साल पहले 1963 में सामने आया था। वहीं, दुनिया में पहली बार इस बीमारी का पता 1952 में तंजानिया में चला था। इसे ब्रेक ब्रेकिंग फीवर के नाम से भी जाना जाता है। 2004 के बाद 60 देशों में इसके केस सामने आए। चिकनगुनिया उसी एडीज मच्छर से होता है, जिससे डेंगू होता है। इस वायरस के संक्रमित होने पर बुखार और जोड़ों में गंभीर दर्द उठता है। ग्लोबल लेवल पर पिछले 15 वर्षों में 5 मिलियन से अधिक मामले चिकनगुनिया के सामने आए हैं। अमेरिकी दवा नियामक द्वारा Ixchiq को हरी झंडी मिलने से उन देशों में वैक्सीन के रोलआउट में तेजी आने की उम्मीद है जहां वायरस सबसे अधिक फैलता है।
एफडीए अधिकारी ने किया ऐलान
एफडीए के वरिष्ठ अधिकारी पीटर मार्क्स ने कहा कि खासकर बुजुर्गों और व्यस्कों में चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण से गंभीर बीमारी और लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। वैक्सीन को मंजूरी मिलना एक महत्वपूर्ण सफलता है। इससे बीमारी के रोकथाम में मदद मिलेगी।
चिकनगुनिया से जुड़े फैक्ट्स
- चिकनगुनिया बेहद खतरनाक वायरस है। इसकी पहचान करना मुश्किल होता है।
- चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण मिलते-जुलते हैं।
- एडीज मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है, इसके लक्षण 10 दिनों तक दिखते नहीं है।
- 7-14 दिनों तक बुखार रहता है। मरीज को ठीक होने में 3-4 हफ्ते लग जाते हैं।
- ELISA और RT-PCR की जांच के बाद चिकनगुनिया का पता चलता है।
- जोड़ों में तेज दर्द, बुखार, लाल चकत्ते निकल आते हैं। जोड़ों का दर्द आर्थराइटस में बदल जाता है।
3500 लोगों पर हुए दो क्लीनिकल ट्रायल
एफडीए ने कहा कि वैक्सीन को एक खुराक में इंजेक्ट किया जाता है। वैक्सीन ने चिकनगुनिया से बचाव के लिए 99 फीसदी प्रतिभागियों में न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडी को प्रोड्यूस किया है। उत्तरी अमेरिका में 3,500 लोगों पर दो क्लिनिकल परीक्षण किए गए। वैक्सीन का असर रहा कि लोगों में सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, बुखार और मतली से राहत मिली। सिर्फ दो को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
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