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Breast Cancer के शुरुआती लक्षण पहले पकड़ में आने के ये हैं फायदे

Breast Cancer Awareness Month: पिछले कई सालों से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले काफी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अक्टूबर में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मनाया जाता है। 2020 के डेटा से पता चलता है कि ग्लोबल लेवल पर महिलाओं में  ब्रेस्ट कैंसर के 2.3 […]

Breast Cancer
Breast Cancer Awareness Month: पिछले कई सालों से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले काफी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अक्टूबर में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मनाया जाता है। 2020 के डेटा से पता चलता है कि ग्लोबल लेवल पर महिलाओं में  ब्रेस्ट कैंसर के 2.3 मिलियन मामलों का डायग्नोसिस किया गया, और लगभग 685,000 महिलाओं की इस बीमारी के चलते मृत्यु हो गई। यह काफी चिंता वाली बात हो सकती है, उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि 1990 और 2016 के बीच भारत में कैंसर के मामलों और डेथ रेट में दोगुनी वृद्धि हुई है। जबकि सर्वाइकल कैंसर लंबे समय से भारतीय महिलाओं में प्रमुख था, ब्रेस्ट कैंसर हाल के दशकों में आगे बढ़ गया है, जो अब भारत और ग्लोबल लेवल पर सबसे आम कैंसर के रूप में शुमार है। कैंसर के तेजी से बढ़ने का कारण बदलती जीवनशैली है। चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर की घटनाएं पश्चिम देशों की तुलना में कम हैं, वहीं, भारतीय महिलाओं में डेथ रेट की संख्या ज्यादा है। 50 % से ज्यादा भारतीय मरीजों में बीमारी के एडवांस स्टेज मेंं डायग्नोसिस किया जाता है, पश्चिमी देशों के विपरीत जहां 10 % से भी कम लोग डायग्नोसिस के बाद एडवांस स्टेज में होते हैं। मेडिकल हेल्प लेने में देरी करना और जागरूकता की कमी के कारण इसके लिए लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

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अगर इसका पहले ही पता चल जाता है तो वहीं तक ही सीमित रखा जाता है, तो जीने की दर 5 साल और बढ़ जाती है। मैमोग्राम और एक्स-रे टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए करते हैं। 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को वार्षिक(annual) मैमोग्राम कराने के लिए जागरूक किया जाता है, जबकि 40 साल से कम उम्र की महिलाओं को मंथली सेल्फ ब्रेस्ट टेस्ट कराना चाहिए और वार्षिक क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन के लिए अपने डॉक्टर से मिलकर विचार करना चाहिए। जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है, उन्हें खासतौर पर जांच और परामर्श के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (SBE) सभी उम्र की महिलाओं के लिए एक कीमती इक्विपमेंट है। ब्रेस्ट के बनावट में बदलाव के प्रति सचेत रहने से जल्दी पता लगाने में मदद मिल सकती है। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों में नई गांठें, निपल में बदलाव, डिस्चार्ज या स्किन की बनावट में बदलाव शामिल हो सकते हैं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि पुरुष, इससे हालांकि, कम जोखिम में हैं, ब्रेस्ट कैंसर विकसित हो सकता है। इसलिए, ब्रेस्ट सेल्फ अवेयरनेस हर किसी के लिए जरूरी है। अगर जल्दी पता लगा लेते हैं तो जीने की दर बढ़ जाती है बल्कि उपचार की जरूरत भी कम हो जाती है। ब्रेस्ट प्रोटेक्शन, एक ऐसा प्रोसेस है जो ब्रेस्ट के रूप को रिवर्स करते हुए कैंसर की गांठ को हटा देती है। ऑन्कोप्लास्टिक सर्जरी तकनीकें कॉस्मेटिक के नतीजों से मरीजों को काफी संतुष्टि को और बढ़ाती हैं। Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।


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