Bihar News: विदेशों के साथ-साथ अब पटना में भी काइरोप्रैक्टिक तकनीक (Chiropractic Techniques) से जोड़ों का दर्द (Joint Pain) खत्म करने का प्रचलन बढ़ रहा है। बड़े नेता, एक्टर समेत आम लोगों को भी इस तकनीक का कायल बनते देखा जा रहा है। काइरोप्रैक्टिक तकनीक से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया, सिक्किम के मुख्यमंत्री समेत कई बड़ी हस्तियां पटना के डॉ. रजनीश कांत (Dr. Rajneesh Kant) से अपना सफल इलाज करा चुके हैं।
डॉ. रजनीश बताते हैं कि काइरोप्रैक्टिक तकनीक में बिना दवा और सर्जरी के मरीजों के जोड़ों के दर्द को ठीक किया जाता है। यह एक मैनुअल तकनीक है, जिसमें कोई मेडिसिनल ट्रीटमेंट नहीं होता है। इस तकनीक से रीढ़ की हड्डियों में आए अंतर को सेट किया जाता है, जिससे मरीजों को जोड़ों के दर्द से तुरंत राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से इलाज करने में मरीजों को कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है, क्योंकि इसमें न ही मरीजों को कोई दवा खानी पड़ती है और न ही सर्जरी की जरूरत पड़ती है। 70% मरीजों को तुरंत लाभ मिलता है। 30% ऐसे मरीज होते हैं, जिन्हें जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने में 10 से 15 दिन का समय लगता है।
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अब तक 50 हजार से ज्यादा मरीजों का सफल इलाज
डॉ. रजनीश अब तक देशभर के 50 हजार से ज्यादा जोड़ों के दर्द से परेशान मरीजों का सफल इलाज कर चुके हैं। इनमें हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई और पटना समेत देशभर के मरीज शामिल हैं। डॉ. रजनीश की मानें तो स्पाइन की मदद से ही हार्ट से लेकर ब्रेन तक ब्लड सप्लाई होता है। ऐसी स्थिति में अगर हमारे शरीर में बहुत तेजी से या फिर बहुत धीमी तरीके से ब्लड सर्कुलेशन होने लगे, तो फिर हमें अलग-अलग प्रकार के दर्दों का सामना करना पड़ता है। जब हमारा वर्टेबरा नस पर दबाव डालता है, तो फिर हमें यह दिक्कत आती है। ऐसी स्थिति में हड्डियों के अलाइनमेंट पर काम कर जोड़ों के दर्द का निवारण किया जाता है।
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इन मरीजों का होता है लाइट काइरोप्रैक्टिक
डॉ. रजनीश बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीज, बच्चे और 60-70 साल से अधिक के व्यक्तियों का लाइट काइरोप्रैक्टिक किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हड्डी के अलाइनमेंट पर काम करते वक्त उन्हें खतरा अधिक होता है। हालांकि वयस्कों के जोड़ों के दर्द को बिना किसी खतरे के आसानी से काइरोप्रैक्टिक तकनीक से ठीक किया जाता है। वे कहते हैं कि वर्क फ्रॉम होम मोड में काम करने वाले लोगों को जोड़ों के दर्द की समस्या ज्यादा हो रही है। ऐसे में आप आईटी सेक्टर में काम कर रहे हों, बैंकिंग सेक्टर या फिर लगातार बैठकर काम करने वाली जॉब हो, हर वक्त अपनी बॉडी का पॉश्चर (बैठने का तरीका) सही रखना चाहिए। नहीं तो स्लिप डिस्क और डिस्क बल्ज होने की आशंका अधिक रहती है।
रीढ़ की हड्डी का सही आकार, स्वस्थ जीवन का आधार
भोजपुर जिले के आरा में रहने वाले डॉ. रजनीश एक सामान्य परिवार से आते हैं। उन्होंने बचपन में तमाम परेशानियों का सामना किया है, जिसे ध्यान में रखते हुए वे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। बता दें कि वे प्रत्येक महीने के पहले दिन पटना के अनीसाबाद स्थित बेऊर मोड़ के पास अपने क्लिनिक में जोड़ों के दर्द से पीड़ित 100 मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। इलाज कराने वालों में बैक पेन, नेक पेन, ज्वाइंट पेन, सिरदर्द, स्पोर्ट्स इंजरी, डिस्क इंजरी, कंधा दर्द, स्पांडिलाइसिस आदि से पीड़ित मरीज शामिल रहते हैं। वे कहते हैं कि रीढ़ की हड्डी का सही आकार ही स्वस्थ जीवन का आधार है। फिलहाल वे स्वीडन से आगे की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने पटना और मुंबई से पढ़ाई की है।
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