क्या आपका बच्चा भी खोया-खोया रहता है? कहीं इस डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं
ADHD Symptoms
Attention Deficit Hyperactivity Disorder In Children: एडीएचडी (ADHD) का समय रहते उपचार न किया जाए तो गंभीर समस्या बन जाती है। अक्सर यह परेशानी बचपन में ही शुरू हो जाती है, जिसका इलाज न होने की वजह से समस्या आगे चलकर गंभीर रूप धारण कर लेती है। एडीएचडी के कुछ लक्षण बचपन में दिख जाते हैं, जिनकी मदद से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। चलिए जान लेते हैं, एडीएचडी के बच्चों के साथ-साथ बड़ों में क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं।
एडीएचडी क्या है?
एडीएचडी का पूरा नाम अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) है जो कि एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसकी शुरुआत बचपन से लेकर बड़े होने तक चल सकती है। यह बीमारी लंबे टाइम तक चलती है, जिसमें बच्चों का किसी काम पर ध्यान लगाने में, एक जगह बैठने में परेशानी होती है। इसके साथ ही वो अपने बिहेवियर पर कंट्रोल नहीं रख पाते हैं और बिना सोचे समझे किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं। इस डिसऑर्डर का कोई इलाज या बचाव नहीं है। लेकिन आप लक्षणों को पहचानकर इसे कंट्रोल कर सकते हैं। यह डिसऑर्डर लड़कियों की तुलना में लड़कों में ज्यादा देखने को मिलता है।
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण
- जल्दी ध्यान भटक जाना
- खोए-खोए से रहना
- किसी बात का पालन न करना
- लापरवाही करना
- चीजें भूल जाना या खो देना
- टाइम लगने वाले कामों को बिलकुल न कर पाना
- एक ही जगह बैठ न पाना
- बहुत बोलना
- किसी की बात को बीच में काट देना
- काम से बचने के लिए इधर-उधर भागना
- टाइम मैनेज करने में परेशानी होना
3 प्रकार के हैं एडीएचडी
हाइपरएक्टिव-इंपल्सिव(ADHD Hyperactive-Impulsive)- इसमें बच्चे शांत होकर एक जगह नहीं बैठ पाते हैं। साथ वालों को बीच-बीच में टोक देते हैं।
इनअटेंटिव(Inattentive)- इसमें बच्चे खोए-खोए से रहते हैं। काम पूरा नहीं कर पाते हैं या करने में परेशानी होती है।
कंबाइन्ड(Combined)- इसमें बच्चों में मिले-जुले लक्षण दिखते हैं।
ADHD के लक्षण बड़ों में कैसे दिखते हैं?
- अक्सर किसी जगह जाने में लेट होना
- घबराहट होना
- थकान होना
- नेगेटिव सेल्फ इमेज
- गुस्सा कंट्रोल करने में परेशानी होना
- अचानक मूड बदलना
- डिप्रेशन में रहना
- नशे के लत
क्या इलाज संभव है?
इस समस्या को कभी सही नहीं किया जा सकता है, लेकिन लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं। इसमें उपचार के लिए अधिकतर बिहेविरियरल थेरेपी और मेडिशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें हेल्दी रहना बहुत जरूरी हो जाता है। बच्चों को हेल्दी खाना, एक्सरसाइज, भरपूर नींद और स्क्रीन टाइम का रूटीन बनाकर दें।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।
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