गर्भवती होने का सपना हर महिला देखती है। कहते हैं इस अनोखे अनुभव से महिला का दोबारा जन्म होता है, वो भी मां के रूप में। मां दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता होता है। मां बनना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता है। हालांकि, शादीशुदा जोड़े के लिए अपने रिश्ते को मजबूत करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प अपने परिवार को बढ़ाना है। वह तब ही मुमकिन है जब उनकी जिंदगी में कोई तीसरा यानी बच्चा जन्म लेता है। मां और बच्चे के संबंध के बारे में तो काफी बातें हो गई, लेकिन आज आपको यह बताते हैं कि एक औरत को अपनी गर्भावस्था की अवधि में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जी हां, प्रेग्नेंसी औरत को इमोशनल और फिजिकल दोनों तरीकों से बदल देती है। इस पर गाइनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर स्नेहा मिश्रा से जानते हैं प्रेग्नेंसी और उसमें होने वाले नए-नए बदलावों के बारे में।
क्या बोली डॉक्टर?
यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के गाइनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर स्नेहा मिश्रा बताती हैं कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले स्टेज में उल्टी, मतली, चक्कर आना या फिर ब्रेस्ट में तो बदलाव महसूस होते हैं लेकिन महिलाओं को जो सबसे ज्यादा प्रभावित करता है वह हार्मोनल इंबैलेंस है। पहले चरण में शरीर में कई हार्मोनल चेंजिस होते हैं, जो भ्रूण के विकास में मदद के साथ-साथ मां के शरीर को प्रसव के लिए तैयार करता है। ये हार्मोनल चेंजिस फर्टिलाइजेशन के तुरंत बाद शुरू होते हैं और गर्भावस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से जो प्रमुख हार्मोन्स हैं, वे इस प्रकार हैं।
[caption id="attachment_1032822" align="alignnone" ] photo credit-freepik[/caption]
कौन-कौन से हार्मोन्स शामिल हैं?
1. hCG हार्मोन- मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG- human chorionic gonadotropin) हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिसे प्लेसेंटा द्वारा उत्पादित किया जाता है। यह वही हार्मोन है जिसे प्रेग्नेंसी टेस्ट में पाया जाता है। hCG कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखने में मदद करता है, जो गर्भावस्था की शुरुआत में प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करता है। प्रोजेस्टेरोन, महिलाओं में पाया जाने वाला हार्मोन है। यह हार्मोन गर्भाशय की परत को बनाए रखने और पीरियड्स को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाई प्रोजेस्टेरोन लेवल गर्भाशय की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जिससे गर्भपात का रिस्क कम होता है।
2. एस्ट्रोजन हार्मोन (Estrogen Hormone)- एस्ट्रोजन हार्मोन का कार्य भी एक महत्वपूर्ण है, जो गर्भावस्था के पहले स्टेज में सहायता प्रदान करता है। इस हार्मोन की मदद से गर्भाशय के साइज को बढ़ाने और प्लेसेंटा की ग्रोथ होती है। इस हार्मोन की मदद से मां के शरीर में दूध का उत्पादन होता है और खून का विकास भी होता है। एस्ट्रोजन हार्मोन का असर महिलाओं की हड्डियों, ब्रेन और हार्ट पर भी पड़ता है। ओव्यूलेशन में भी इस हार्मोन की खास भूमिका रहती है।
3. रिलैक्सिन हार्मोन (Relaxin Hormone)- इस हार्मोन का काम होता है गर्भावस्था के दौरान शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों को प्रसव के लिए तैयार करना। यह लिगामेंट्स को सॉफ्ट करता है। लिगामेंट्स, हड्डियों को जोड़ने वाला एक सेल है, जो कॉर्ड की तरह काम करता है। यह हार्मोन भी गर्भावस्था के पहले चरण में बढ़ता है। दूध उत्पादन के लिए इस हार्मोन की काफी भूमिका रहती है।
इसके अलावा, थायरॉयड हार्मोन्स भी महत्वपूर्ण होते हैं। इस हार्मोन का स्तर बढ़ने से मां के शरीर के बढ़ते हुए मेटाबोलिक एक्सपेंस (metabolic expense का मतलब होता है शरीर के मेटाबॉलिज्म का कार्य किस गति से होना) और भ्रूण के विकास में मदद करना है।
ये भी पढ़ें- पेट दर्द भी कही टीबी के लक्ष्ण तो नहीं? जानें बचाव के तरीकेDisclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।
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