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पाकिस्तान के इस प्रांत में हिंदू की आबादी 52 फीसदी, फिर भी क्यों चुनाव नहीं जीत पा रहे उम्मीदवार

Pakistan Election 2024 : पाकिस्तान में जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं, वहां भी उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर है। उनके पास चुनाव लड़ने के लिए न तो पर्याप्त साधन है और न ही सपोर्ट।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Feb 7, 2024 11:44
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पाकिस्तान में हिंदुओं की राजनीतिक पकड़ क्यों है कमजोर।

Pakistan Election 2024 : पाकिस्तान के कराची से करीब 325 किलोमीटर दूर और पूर्वी सिंध में स्थित उमरकोट एक ऐसा शहर है, जहां हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है। इसके बाद भी इस क्षेत्र से आजतक एक भी हिंदू पाक असेंबली का सदस्य नहीं बना। अब बड़ा सवाल उठता है कि उमरकोट में हिंदुओं की संख्या ज्यादा है तो भी हिंदू उम्मीदवार क्यों चुनाव नहीं जीत पाते हैं। आइए जानते हैं पूरा समीकरण।

पाकिस्तान की जनगणना के मुताबिक, उमरकोट में कुल आबादी 10 लाख 73 हजार है, जहां 52 फीसदी हिंदू लोग रहते हैं। यहां से हिंदू उम्मीदवार चुनाव तो लड़ते हैं, लेकिन जीत नहीं पाते हैं। इसके पीछे की वजह गरीबी और अपर्याप्त साधन आदि है। उमरकोट में बंटवारे के समय हिंदू की आबादी 80 प्रतिशत थी, लेकिन यहां के अमीर हिंदू धीरे-धीरे भारत चले। अब यहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है।

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उमरकोट में काफी गरीब हैं हिंदू लोग

उमरकोट में भले ही अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी अधिक है, लेकिन ये बहुत गरीब हैं। उनके पास न तो पर्याप्त साधन है और न ही पैसा। इस बार भी इस जाति के लोग चुनाव मैदान में खड़े हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि राजनीतिक पार्टियां उमरकोट की रिजर्व सीट को सामान्य सीट में तब्दील कर देती हैं, जिससे अमीर लोग उम्मीदवार बनकर जीत हासिल कर लेते हैं।

संयुक्त निर्वाचन मंडल के खत्म होने से राजनीतिक पकड़ हुई कम

पाकिस्तान में पहले अल्पसंख्यकों के लिए संयुक्त निर्वाचन मंडल था, लेकिन परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में साल 2000 में इस मंडल को खत्म कर दिया गया। उनका मकसद मुख्यधारा से अल्पसंख्यकों को जोड़ना था। उमरकोट के हिंदुओं का मानना है कि संयुक्त निर्वाचन मंडल खत्म होने से उनकी राजनीतिक पकड़ कम हुई है।

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इस बार भी किस्मत आजमा रहे हैं हिंदू प्रत्याशी

पाकिस्तान आम चुनाव में उमरकोट से पहली बार कोई अनुसूचित जाति से हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है, बल्कि साल 2013 के चुनाव में कई प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। वे लोग निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं। हिंदू प्रत्याशियों की जीत की बात तो दूर है, वे तो बीच में मैदान छोड़कर भाग खड़े होते हैं।

राजनीतिक पार्टियां भी नहीं देती हैं टिकट

उम्मीदवारों के पास जीत का भरोसा नहीं है। साथ ही उमरकोट के हिंदू वोटर भी अपनी जाति के प्रत्याशी को वोट नहीं देते हैं। मुस्लिम उम्मीदवार को ही हिंदू का वोट जाता है। निर्दलीय प्रत्याशी और वोटरों के साथ साथ राजनीतिक पार्टियां भी किसी हिंदू व्यक्ति को अपना प्रत्याशी नहीं बनाती हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) ने आजतक उमरकोट से किसी हिंदू प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है।

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अमीर हिंदू भी मुस्लिम प्रत्याशी को करते हैं सपोर्ट

इस बार के पाकिस्तान चुनाव में यहां से मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के टिकट से तीन उम्मीदवार खड़े गए हैं, जबकि मुख्य राजनीतिक पार्टी की तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने उमरकोट में दो अमीर भाइयों को चुनावी मैदान में खड़ा किया। उमरकोट में जो कुछ अमीर हिंदू हैं तो वे लोग चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी को ही सपोर्ट करते हैं।

First published on: Feb 07, 2024 11:44 AM

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