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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ठिकानों पर छापेमारी, क्या केंद्र सरकार PFI पर पाबंदी की कर रही है तैयारी ?

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार को सुबह कई राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। उत्तर प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में छापे मारे गये हैं। ख़बर ये भी है कि इस देशव्यापी छापेमारी में पीएफआई के 100 से अधिक शीर्ष […]

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार को सुबह कई राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। उत्तर प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में छापे मारे गये हैं। ख़बर ये भी है कि इस देशव्यापी छापेमारी में पीएफआई के 100 से अधिक शीर्ष नेताओं और पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। अभी पढ़ें CRPF के DG का दावा- नक्सल मुक्त हुआ बिहार; अमित शाह बोले- निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों की मिली सफलता कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान यह बात आयी थी कि इस विवाद के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ है। कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी थी कि कर्नाटक के स्कूलों में 2021 तक कोई लड़की हिजाब पहनकर नहीं आती थीं। 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने हिजाब को लेकर सोशल मीडिया पर एक मूवमेंट शुरू किया। उसके बाद यह विवाद शुरू हुआ। यह एक सोची समझी साजिश के तहत हुआ जिसमें बच्चों को भी शामिल किया गया। सुप्रीम कोर्ट में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की चर्चा उस समय भी हुई थी जब हाथरस मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। यहां भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सिद्दीक कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़ा है। यही नहीं पीएफआई के पदाधिकारियों का प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े होने का पता लगा है। तब सुनवाई करने वाली बेंच जिसमें तत्कालीन मुख्यन्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना शामिल थे, ने तुषार मेहता से सवाल किया कि क्या पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है? इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा था कि कई राज्यों में पीएफआई प्रतिबंधित है। केंद्र सरकार ने अभी प्रतिबंधित नहीं किया है लेकिन केंद्र भी इसे प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया में है। इस साल रामनवमी के अवसर में देश के अलग अलग हिस्सों में हुई हिंसा की वारदातों की पीछे पॉपुलर फ्रंट का हाथ बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल की कही हुई बात, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की विवादित भूमिका और इसके ठिकानों पर इतने बड़े पैमाने की छापेमारी को जोड़कर देखें तो यह समझना मुश्किल नहीं कि अब वह समय दूर नहीं जब केंद्र सरकार विवादित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पाबंदी लगा देगी!

क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का इतिहास ?

विवादों से इतर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का इतिहास भी जानना जरूरी है। इसकी शुरुआत साल 2006 में केरल में हुई थी। 2006 में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय के बाद पीएफआई अस्तित्व में आया। तीनों संगठनों में राष्ट्रीय विकास मोर्चा, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिथा नीति पासारी थे। 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद दक्षिण में इस तरह के कई संगठन सामने आए थे। उनमें से कुछ संगठनों को मिलाकर पीएफआई का गठन किया गया। तब से ही यह संगठन देशभर में कार्यक्रम आयोजित करवाता है। अभी पढ़ें Gujarat riots: तीस्ता सीतलवाड़, संजीव भट्ट और श्रीकुमार के खिलाफ SIT ने दायर की चार्जशीट यह संगठन मध्य पूर्व के देशों से आर्थिक मदद भी मांगता है, जिससे उसे अच्छी-खासी फंडिंग मिलती है। पीएफआई का मुख्यालय कोझीकोड में था, लेकिन लगातार विस्तार के कारण इसका सेंट्रल ऑफिस राजधानी दिल्ली में खोला गया है। अभी पढ़ें –  देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें Click Here - News 24 APP अभी download करें


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