MSC Bank Scam Case: ईडी ने दाखिल की चार्जशीट, एनसीपी नेता अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा का नाम नहीं
MSC Bank Scam Case: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12 अप्रैल को महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के खिलाफ विशेष पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। इस मामले में ईडी ने पहले एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार से जुड़ी एक चीनी मिल की संपत्तियों को कुर्क किया था।
सूत्रों की मानें तो अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा के नाम ईडी की चार्जशीट से हटा दिए गए हैं, लेकिन एमएससी बैंक घोटाले की जांच के दौरान सामने आई कुछ कंपनियों के नामों को बरकरार रखा गया है।
संजय राउत ने साधा बीजपी पर निशाना
एमएससी बैंक घोटाला मामले में चार्जशीट में अजीत पवार और उनकी पत्नी का नाम नहीं होने पर संजय राउत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका साफ मतलब है कि भाजपा ने ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल किया। आपने जांच शुरू की पवार परिवार और उनके रिश्तेदारों को परेशान किया और उनके परिसरों पर छापा मारा।
अब आपको चार्जशीट में उनका नाम लेने के लिए उनके खिलाफ कुछ भी नहीं मिलता है। यह स्पष्ट है कि इस मामले में भी ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया गया था।
क्या है मामला
जुलाई 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान जारी कर कहा कि महाराष्ट्र के सतारा जिले के कोरेगांव में स्थित जरांदेश्वर सहकारी चीनी मिल की भूमि, भवन, संयंत्र और मशीनरी जैसी संपत्तियों को कुर्क किया है। जिसकी कीमत 65 करोड़ रुपये से अधिक है।
ईडी ने यह कार्रवाई महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से संबंधित एक मामले में पीएमएलए एक्ट 2002 के तहत की। जब्त की गई संपत्ति गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर थी और जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर दी गई थी।
फर्जी तरीके से जारी किए 25 हजार करोड़ के लोन
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड महाराष्ट्र के तत्कालीन डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा से संबंधित कंपनी के पास जरांदेश्वर शुगर मिल्स के अधिकांश शेयर थे। सतारा में जरांदेश्वर चीनी मिल की कुर्की ईडी द्वारा की गई पहली ऐसी कार्रवाई थी जिसमें बैंक ने फर्जी तरीके से 25 हजार करोड़ रुपये के लोन वितरित किए थे।
हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थीं प्राथमिकी
एनसीपी नेता अजीत पवार बैंकों के निदेशकों में से एक थे और उन्होंने भी बैंकाें द्वारा की गई नीलामी में कुछ मिलें खरीदी थीं। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने तब प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही थी। मामले में 2020 में ईओडब्ल्यू ने मुंबई सत्र अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी।
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