What is Sim Binding Rule: देश में मैसेजिंग ऐप्स को इस्तेमाल करने का तरीका जल्दी ही बदलने वाला है. वॉट्सऐप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे बड़े ऐप्स अब सरकार के उस नए नियम को लेकर चिंतित हैं, जिसे ‘सिम-बाइंडिंग’ कहा जा रहा है। फरवरी 2026 से लागू होने वाले इस नियम के बाद मैसेजिंग ऐप उसी फोन पर चलेगा जिसमें वह अकाउंट बनाने वाला सिम कार्ड लगा होगा। लोग इसे लेकर कई तरह के सवाल पूछ रहे हैं- SIM बदला तो WhatsApp बंद हो जाएगा, क्या यह यूजर के लिए मुश्किल बनेगा? क्या इससे ठगी रुकेगी? कौन इसके पक्ष में है और कौन विरोध कर रहा है? इस पूरे विवाद को समझते हैं
क्या है सिम-बाइंडिंग और क्यों डर रही हैं मैसेजिंग ऐप्स?
सरल शब्दों में, सिम-बाइंडिंग की शर्त यह कहती है कि जिस सिम कार्ड से आपका वॉट्सऐप या टेलीग्राम अकाउंट बना है, अगर आप वह सिम फोन से निकाल देंगे, तो आपका ऐप उसी समय चलना बंद कर देगा।
साथ ही एक और नियम जोड़ा गया है- इन ऐप्स के वेब वर्जन हर छह घंटे में खुद-ब-खुद लॉगआउट हो जाएंगे। यानी दोबारा इस्तेमाल करने के लिए नया QR कोड स्कैन करना होगा। इन्हीं बदलावों ने ऐप कंपनियों को चिंता में डाल दिया है।
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COAI का समर्थन: सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
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देश की टेलीकॉम कंपनियों की संस्था COAI इस नियम को पूरी तरह सही बता रही है। रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया इसमें शामिल हैं। उनके अनुसार सिम-बाइंडिंग से मोबाइल नंबर, डिवाइस और यूजर की पहचान एक-दूसरे से मजबूती से जुड़ जाएगी। इससे फर्जी कॉल, स्पैम और ऑनलाइन ठगी रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।
BIF का विरोध: बिना सलाह में लिया फैसला
दूसरी ओर मेटा, गूगल और अन्य टेक कंपनियों की संस्था BIF इस नियम को समस्याजनक बता रही है। उनका कहना है कि सरकार ने इतनी बड़ी पॉलिसी लागू करने से पहले तकनीकी कंपनियों से पर्याप्त सलाह नहीं ली। उनका तर्क है कि ठग तो वैसे भी नकली पहचान वाले सिम कार्ड उपयोग करते हैं, ऐसे में क्या यह नियम सच में धोखाधड़ी रोक पाएगा?
COAI का दावा: सिम-बाइंडिंग पर गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं
टेक कंपनियों के विरोध के बाद COAI ने एक और बयान जारी कर कहा कि सिम-बाइंडिंग को लेकर कई मिथक फैले हुए हैं। उनके मुताबिक यह नियम किसी के लिए परेशानी नहीं बनेगा, क्योंकि UPI और पेमेंट ऐप्स भी इसी तरह सिम को पहचान के रूप में उपयोग करते हैं। अगर कोई विदेश में है या वाई-फाई चला रहा है, तब भी वह दूसरी स्लॉट में भारतीय सिम रखकर ऐप इस्तेमाल कर सकता है।
सिंगल-सिम फोन वालों की चिंता-क्या सच में परेशानी होगी?
कई लोगों का कहना है कि सिंगल-सिम फोन यूजर्स को विदेश में मुश्किल होगी। COAI का जवाब है कि सुरक्षा के लिए यह बदलाव जरूरी है। इससे भारत से बाहर बैठे ठगों को भारतीय यूजर के नाम पर अवैध अकाउंट चलाने में मुश्किल होगी। विदेशी यात्रियों को उनके देश के नियमों के अनुसार सेवाएं मिलती रहेंगी, लेकिन भारतीय यूजर का अकाउंट भारतीय सिम से ही जुड़ा रहेगा।
हर छह घंटे का लॉगआउट, क्या है ये नियम?
COAI का कहना है कि यह कोई अनोखा नियम नहीं है। बैंकिंग पोर्टल, डिजिलॉकर, आधार और कई सरकारी सेवाएं पहले ही इस तरह के सुरक्षा नियमों का पालन करती हैं। मोबाइल फोन पर लॉगिन पहले से सुरक्षित रहता है, लेकिन लैपटॉप जैसे मल्टी-यूज डिवाइस पर ये अतिरिक्त सुरक्षा जरूरी है।
क्या SIM बदलने पर WhatsApp बंद हो जाएगा?
DOT के नए नियमों के तहत अब हर WhatsApp अकाउंट का एक एक्टिव SIM से जुड़ा होना जरूरी होगा। यानी, SIM हटते ही WhatsApp भी बंद! इतना ही नहीं, WhatsApp Web हर छह घंटे में खुद ही लॉगआउट हो जाएगा।
क्या नया डेटा इकट्ठा किया जाएगा?
गोपनीयता पर उठ रहे सवाल को COAI ने खारिज करते हुए कहा कि इस नियम से कोई नया डेटा इकट्ठा नहीं किया जाएगा। ऐप सिर्फ यह चेक करेगा कि यूजर का वही सिम फोन में मौजूद है या नहीं, जैसा कि UPI में पहले से होता है। इसलिए यह मॉडल सुरक्षा बढ़ाता है, लेकिन प्राइवेसी में दखल नहीं देता।
क्या इससे कंपनियों के कामकाज पर असर पड़ेगा?
COAI का दावा है कि बिजनेस मैसेजिंग, CRM सिस्टम, API या एंटरप्राइज प्रक्रियाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. नियम सिर्फ यूजर अकाउंट स्तर पर लागू होता है। कंपनियां पहले की तरह काम करती रहेंगी, बस अकाउंट से जुड़ा मोबाइल नंबर एक वैध और सक्रिय सिम से लिंक होना चाहिए.
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