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क्या है Data Dump टेक्नोलॉजी; खोली Saif Ali Khan के हमलावर की पोल? जानें डिटेल

Data Dump Technology: डेटा डंप तकनीक संदिग्धों की पहचान करने के लिए कॉल लॉग और ब्राउजिंग हिस्ट्री सहित डिजिटल डेटा को निकालने और उसका विश्लेषण करने में मदद करती है। इस एडवांस टेक्नोलॉजी ने सेलफोन टावर डेटा और डिजिटल साक्ष्य का उपयोग करके सैफ अली खान के हमलावर का पता लगाने और उसकी पहचान करने में पुलिस की मदद की।

data dump - Image credit- chatGPT
Data Dump Technology Saif Ali Khan Attack Investigation: आज बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर सैफ अली खान पर एक चोर ने चाकू से हमला किया। बिल्डिंग के सीसीटीवी फुटेज के जरिए हमलावर की पहचान की गई। इसके बाद पुलिस ने डेटा डंप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके चोर के बारे में सारी जानकारी निकाली। बता दें कि इसकी मदद से किसी भी इंसान का डिजिटल डेटा निकाला जा सकता है और उसकी जांच की जा सकती है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

क्या है डेटा डंप?

डेटा डंप को मोबाइल फोन डंप या सेलफोन डंप भी कहा जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है, जो किसी व्यक्ति का डिजिटल डेटा निकालने और उसकी जांच करने में मदद करती है। इसमें कॉल लॉग, टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, फोटो, वीडियो, एप्लिकेशन डेटा और ब्राउज़िंग हिस्ट्री के साथ अन्य जानकारियां शामिल होती हैं। आमतौर पर, इस तकनीक का उपयोग पुलिस या जांच एजेंसियां अपराधियों की पहचान करने और जांच प्रक्रिया को तेज करने के लिए करती हैं।

कैसे काम करती है टेक्नोलॉजी?

डेटा डंप तकनीक का मुख्य उद्देश्य किसी संदिग्ध व्यक्ति का डिजिटल डेटा निकालकर उसकी एक्टिविटी का एनालिसिस करना है। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब किसी घटना या अपराध के बाद जांच एजेंसियों को अपराधी की पहचान या उसकी लोकेशन की जानकारी जुटानी होती है। इस प्रक्रिया के तहत, स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस से जुड़े डेटा को हासिल किया जाता है। डेटा डंप की प्रक्रिया में सबसे पहले यह देखा जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति किस नेटवर्क एरिया में मौजूद था। इसके लिए लोकेशन ट्रैकिंग फीचर और सेल टावरों की मदद ली जाती है। स्मार्टफोन द्वारा उपयोग किए गए सभी डेटा को सेल टावर्स स्टोर करते हैं, जिसे डिलीट करने के बावजूद टेलीकॉम कंपनियां सुरक्षित रखती हैं। [caption id="attachment_1030383" align="alignnone" ] Image - ChatGPT[/caption]

सेल टावर्स और डेटा डंप का कनेक्शन

जब भी हम स्मार्टफोन से कोई कॉल करते हैं, मैसेज भेजते हैं, या इंटरनेट ब्राउज करते हैं, तो यह डेटा संबंधित सेल टावरों के माध्यम से ट्रांसफर होता है। यह डेटा रिकॉर्ड के रूप में टेलीकॉम कंपनियों के पास स्टोर रहता है। डेटा डंप प्रक्रिया में पुलिस इस डेटा को हासिल कर संदिग्ध की गतिविधियों और लोकेशन का पता लगाती है।

डिजिटल एविडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (DEMS)

इसमें डेटा डंप प्रक्रिया में DEMS (डिजिटल एविडेंस मैनेजमेंट सिस्टम) की अहम भूमिका होती है। यह सिस्टम डिजिटल एविडेंस को संभालने और मैनेज करने का काम करता है। हालांकि, यह डेटा बिना कानूनी प्रक्रिया के बिना किसी के लिए उपलब्ध नहीं होता। जांच एजेंसियों को डेटा एक्सेस करने के लिए कानूनी अनुमति लेनी होती है।

सैफ अली खान पर हमले का मामला

मुंबई में बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान पर 16 जनवरी की रात जानलेवा हमला हुआ। बांद्रा स्थित उनके घर में एक हमलावर ने उन पर चाकू से हमला किया, जिसमें अभिनेता को गंभीर चोटें आईं। सैफ के गर्दन, हाथ और पीठ पर गहरे घाव हुए, और उनकी रीढ़ की हड्डी में चाकू का टुकड़ा भी फंसा था। सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने 2.5 इंच का चाकू का टुकड़ा निकाला। फिलहाल, सैफ अली खान की हालत में सुधार हो रहा है, और उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया है। इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने मोबाइल डेटा डंप तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक के जरिए संदिग्ध की लोकेशन और गतिविधियों की जानकारी जुटाई गई, जिससे उसकी पहचान संभव हो सकी। यह भी पढ़ें - पहले अखबार बांटे, फिर बनाया बर्गर; आज हैं दुनिया के सबसे बड़े ब्रांड के CEO


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