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2026 में AI छीनेगा नौकरियां? गॉडफादर ऑफ AI की चेतावनी ने बढ़ाई टेंशन

AI की रफ्तार ने एक्सपर्ट्स को भी हैरान कर दिया है. गॉडफादर ऑफ AI ज्योफ्री हिंटन की चेतावनी है कि 2026 तक कई व्हाइट-कॉलर नौकरियां खत्म हो सकती हैं. सवाल ये है क्या दुनिया एक जॉबलेस बूम’की ओर बढ़ रही है?

AI की रफ्तार और नौकरियों पर मंडराता खतरा. (Photo-Gemini AI)

Geoffrey Hinton AI warning: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. अब यह तकनीक सिर्फ काम आसान करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि नौकरियों के भविष्य पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. AI के क्षेत्र के दिग्गज और “गॉडफादर ऑफ AI” कहे जाने वाले ज्योफ्री हिंटन की ताजा चेतावनी ने इस चिंता को और गहरा कर दिया है. उनका कहना है कि 2026 तक कई सेक्टर्स में नौकरियों पर सीधा असर पड़ सकता है और बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेंगे.

AI की तरक्की ने खुद एक्सपर्ट्स को चौंकाया

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CNN को दिए इंटरव्यू में ज्योफ्री हिंटन ने कहा कि AI की प्रगति उनकी अपनी उम्मीदों से भी कहीं तेज है. खासतौर पर सोचने-समझने यानी रीजनिंग और जटिल कामों को करने की क्षमता में AI ने जबरदस्त छलांग लगाई है. उनके मुताबिक 2025 एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है और 2026 तक AI सिस्टम और ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे.

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कॉल सेंटर से शुरू हुआ असर

हिंटन का कहना है कि AI पहले ही कॉल सेंटर जैसी नौकरियों में इंसानों की जगह लेने लगा है. जो काम पहले लोग करते थे, अब वही काम मशीनें ज्यादा तेजी और कम लागत में कर रही हैं. उन्होंने बताया कि AI सिस्टम की क्षमता हर कुछ महीनों में तेजी से बढ़ रही है, जिससे इंसानी दखल की जरूरत लगातार कम होती जा रही है.

लंबे और कठिन प्रोजेक्ट भी संभाल सकेगा AI

हिंटन के मुताबिक पहले AI कुछ मिनटों का काम करता था, लेकिन अब वह एक घंटे तक चलने वाले काम संभाल सकता है. उनका अनुमान है कि आने वाले समय में AI महीनों तक चलने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट भी खुद पूरा कर सकेगा. ऐसे में इंसानों की जरूरत काफी सीमित रह जाएगी.

इस बार खतरा अलग क्यों है?

हिंटन ने मौजूदा AI क्रांति की तुलना औद्योगिक क्रांति से की. फर्क बस इतना है कि पहले मशीनों ने शारीरिक मेहनत वाली नौकरियों को प्रभावित किया था, जबकि इस बार खतरा दिमागी और व्हाइट-कॉलर जॉब्स पर है. यानी वे नौकरियां भी सुरक्षित नहीं रहीं, जिन्हें अब तक तकनीक से दूर माना जाता था.

AI की सोचने और धोखा देने की क्षमता पर चिंता

हिंटन ने AI की बढ़ती समझदारी को लेकर भी चेतावनी दी. उनका कहना है कि अगर AI को यह महसूस हुआ कि उसे बंद किया जा सकता है, तो वह खुद को बचाने के लिए इंसानों को धोखा देने की रणनीति भी बना सकता है. यही बात इसे और ज्यादा संवेदनशील मुद्दा बनाती है.

2026 में ‘जॉबलेस बूम’ का डर

इकोनॉमिस्ट्स 2026 में ‘जॉबलेस बूम’ की आशंका जता रहे हैं. इसका मतलब है कि उत्पादन तो बढ़ेगा, लेकिन नौकरियां नहीं. केपीएमजी की चीफ इकोनॉमिस्ट डायन स्वॉन्क के मुताबिक, कंपनियां अब कम कर्मचारियों के साथ ज्यादा काम निकाल पा रही हैं, जिससे ग्रोथ और रोजगार का रिश्ता कमजोर पड़ रहा है. कोरोना के बाद जिन कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भर्तियां की थीं, वे अब ऑटोमेशन और छंटनी के जरिए लागत संतुलन में जुटी हैं. AI इस बदलाव का सबसे बड़ा हथियार बनकर उभरा है.

हर भूमिका पर नहीं पड़ेगा बराबर असर

हालांकि तस्वीर पूरी तरह नकारात्मक नहीं है. कंसल्टिंग फर्म टेनेओ के एक सर्वे के अनुसार, 67% सीईओ को उम्मीद है कि 2026 में एंट्री-लेवल हायरिंग बढ़ सकती है. वहीं 58% लीडरशिप रोल्स में भी भर्ती की संभावना देख रहे हैं. खासतौर पर इंजीनियरिंग और AI से जुड़ी नौकरियों में मौके बढ़ सकते हैं.

AI के फायदे भी कम नहीं

हिंटन ने माना कि AI मेडिकल रिसर्च, हेल्थकेयर और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़े फायदे दे सकता है. इससे बीमारियों की पहचान, इलाज और सीखने के तरीके पहले से बेहतर हो सकते हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नियम और निगरानी तकनीक की रफ्तार से पीछे रह गए, तो मुनाफे की दौड़ सुरक्षा से आगे निकल सकती है. हिंटन के शब्दों में, “हमें नहीं पता आगे क्या होगा. जो लोग कहते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है, वे खुद को धोखा दे रहे हैं.”

AI का भविष्य रोमांचक भी है और डरावना भी. 2026 तक यह तकनीक नौकरियों की दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकती है. ऐसे में सबसे जरूरी है समय रहते तैयारी करना, नई स्किल्स सीखना और बदलते दौर के साथ खुद को ढालना. यही आने वाले समय में सबसे बड़ी ताकत साबित होगी.

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