हैदराबाद में जन्मे और अमेरिका में पले-बढ़े 14 साल के भारतीय-अमेरिकी सिद्धार्थ नंद्याला ने कम उम्र में दो स्टार्टअप शुरू किए और ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई, जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा और बाइडन ने भी सराहा। उनकी मेहनत, सोच और जुनून बच्चों, युवाओं और बड़ों सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी है। आइए जानते हैं सिद्धार्थ की इस अनोखी और प्रेरणादायक कहानी को विस्तार से।
सिद्धार्थ की अद्भुत उपलब्धि और प्रेरणादायक शुरुआत
14 साल के भारतीय-अमेरिकी सिद्धार्थ नंद्याला ने साइंस और टेक्नोलॉजी में ऐसा काम किया है जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जो बाइडन जैसे बड़े नेताओं ने भी सराहा है। हैदराबाद में जन्मे सिद्धार्थ बचपन में ही अमेरिका चले गए थे। वहां उन्होंने दो कंपनियां शुरू कीं STEM IT और Circadian AI। सिद्धार्थ ने एक ऐसा मोबाइल ऐप बनाया है जो सिर्फ दिल की धड़कनें सुनकर कुछ ही सेकंड में यह बता सकता है कि किसी को दिल की बीमारी है या नहीं। सिद्धार्थ कहते हैं कि भारतीय संस्कृति ने उन्हें मेहनती, विनम्र और पढ़ाई के लिए समर्पित बनाया और अमेरिका के माहौल ने उन्हें नए आइडिया को अपनाने का हौसला दिया।
स्टार्टअप की कहानी
सिद्धार्थ ने बताया कि उन्होंने सिर्फ 7 साल की उम्र में पहली बार STEM किट (विज्ञान और तकनीक से जुड़ी चीजें) इस्तेमाल की थी। तभी से उन्हें टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी होने लगी। उनका पहला स्टार्टअप "STEM IT" इसी सोच के साथ शुरू हुआ कि बच्चों को साइंस और टेक्नोलॉजी की चीजें सिर्फ किताबों से नहीं बल्कि हाथों से करके सीखनी चाहिए। सिद्धार्थ का मानना है कि हमारी पुरानी पढ़ाई का तरीका सिर्फ ऊपर-ऊपर का ज्ञान देती है लेकिन असली दुनिया में चीजें कैसे काम करती हैं, ये समझना बहुत जरूरी है। उनका दूसरा स्टार्टअप "Circadian AI" दिल की गंभीर बीमारियों को समय पर पहचानने में मदद करता है खासकर उन इलाकों में जहां अस्पताल या अच्छे डॉक्टर नहीं होते।
Circadian AI की कार्यप्रणाली और अस्पतालों में सफलता
Circadian AI ऐप बहुत ही आसान तरीके से काम करता है। मरीज के सीने के पास मोबाइल फोन रखा जाता है, और ऐप उसकी दिल की धड़कनों की आवाज रिकॉर्ड करता है। फिर "एनालाइज" बटन दबाते ही ऐप उस आवाज को समझकर बताता है कि दिल ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इस ऐप का इस्तेमाल आंध्र प्रदेश के सरकारी अस्पतालों जैसे गुन्टूर और विजयवाड़ा के GGH अस्पतालों में किया गया। वहां सैकड़ों मरीजों की जांच की गई और कई लोगों में दिल की बीमारी जल्दी पकड़ में आ गई। बाद में उन मरीजों की ECG और 2D ईको जैसी जांचें भी हुईं, जिनसे यह साबित हुआ कि Circadian AI की रिपोर्ट बिल्कुल सही थी।
भविष्य की योजनाएं और सिद्धार्थ की सोच
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सिद्धार्थ ने बताया कि अब वे अपनी इस टेक्नोलॉजी को फेफड़ों की बीमारियों को पहचानने के लिए भी तैयार कर रहे हैं। उनका मानना है कि आने वाले समय में AI से चलने वाले हेल्थ टूल्स और भी आसान, सस्ते और हर किसी के लिए इस्तेमाल करने लायक हो जाएंगे। अगर उन्हें STEM पढ़ाई में कोई नई टेक्नोलॉजी जोड़नी हो तो वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्यूटर (AI Tutor) और मिक्स्ड रियलिटी (Mixed Reality) को साथ लाना चाहेंगे। इससे बच्चे वर्चुअल लैब में जाकर असली दुनिया की चीजें अच्छे से समझ सकेंगे। सिद्धार्थ को विज्ञान में कुछ नया करने की प्रेरणा भारत के पूर्व राष्ट्रपति DR. A.P,J अब्दुल कलाम से मिलती है। टेक्नोलॉजी के अलावा उन्हें गोल्फ और शतरंज खेलना भी बहुत पसंद है, जिससे उनकी सोच और प्लानिंग करने की ताकत और मजबूत होती है।