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विदेश से पुतिन का मल-मूत्र भी वापस क्यों ले आते हैं उनके गार्ड्स? क्या है ‘पूप ब्रीफकेस’ का राज

नई दिल्ली में आयोजित होने वाली 23वीं भारत-रूस समिट में शामिल होने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आ रहे हैं.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब 30 घंटे भारत में रहेंगे.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिनों के भारत दौरे पर आ रहे हैं. वह नई दिल्ली में आयोजित होने वाली 23वीं भारत-रूस समिट में शामिल होंगे. दुनिया के ताकतवर नेताओं में शुमार पुतिन की सुरक्षा को लेकर हमेशा चर्चा होती रहती है. पुतिन करीब 30 घंटे तक भारत में रहेंगे. पुतिन जब भी विदेश दौरे पर होते हैं तो उनके स्पेशल कमांडो पहले ही वहां तैनात हो जाते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके आने से पहले ही उनका सुरक्षा दस्ता नई दिल्ली पहुंच चुका है. यहां पर उनके सुरक्षा दस्ते ने एक कंट्रोल रूम भी बनाया है. उनकी बुलैटप्रूफ कार भी दिल्ली पहुंचेगी. इसी कार में वह चलेंगे. यह कार एक चलता-फिरता किला है. पुतिन की सुरक्षा को लेकर रूस की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी शेयर नहीं की जाती है. लेकिन बताया जाता है कि उनकी सुरक्षा-व्यवस्था चार से पांच लेयर की होती है.

पुतिन दौरे के दौरान क्या खाएंगे, क्या पहनेंगे और कैसे टॉयलेट यूज करेंगे. यह सब उनका सुरक्षा दस्ता तय करता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोई भी खाना उन्हें दिए जाने से पहले टेस्ट किया जाता है. उसमें यह चेक किया जाता है, कहीं उसमें जहर तो नहीं मिला है. बात उनके बॉडी डबल्स यानि हमशक्ल को लेकर भी की जाती है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है, वे अपने साथ अपने हमशक्ल लेकर चलते हैं. हालांकि, इस दावे को रूस की तरफ से कई बार खारिज किया गया है.

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पर्सनल कमोड क्यों लेकर चलते हैं?

कई रिपोर्ट्स में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई थी. बताया गया कि जब भी वे विदेश में कहीं भी रुकते हैं तो वहां का टॉयलेट यूज नहीं करते. इसके लिए वह अपना पर्सनल कमोड लेकर चलते हैं. फ्रांस के दो वरिष्ठ खोजी पत्रकारों ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया था. यह रिपोर्ट फ्रांस की मैगजीन 'पेरिस मैच' में छपी थी. इस रिपोर्ट में यह भी बताया था कि पुतिन के बॉडी वेस्ट यानि मल-मूत्र को उनके गार्ड्स पाउच में पैक करते हैं. फिर ये पाउच वापस रूस ले जाए जाते हैं. अब सवाल यह है कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है. बताया जाता है कि इसके पीछे की वजह है कि कहीं पुतिन के सेहत की जानकारी लीक ना हो जाए. उनके गार्ड्स यह सुनिश्चित करते हैं कि कहीं उनके मल-मूत्र की जांच करके कोई उनकी सेहत की जानकारी ना हासिल कर लें.

खाना कैसे होता है तय?

अब सवाल यह है कि अगर उनकी इतनी कड़ी सुरक्षा रहती है तो उनके खाना-पीना कैसे तय किया जाता है. बताया जाता है कि विदेशी दौरे के दौरान पुतिन अपने साथ एक पर्सनल लैब लेकर चलते हैं. इस लैब में उनको दिए जाने वाले खाने का सामान चेक किया जाता है. रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि वे जिस होटल में रुकते हैं, वहां के स्टाफ से खाना नहीं बनवाते. उनके शेफ और हाउसकीपिंग की टीम रूस से ही आती है. बताया जाता है कि उनके शेफ भी ट्रेंड सैन्यकर्मी होते हैं. वह जिस होटल में रुकते हैं, वहां उनका सुरक्षा दस्ता पहले ही पहुंच जाता है. होटल में पहले से मौजूद खाने-पीने की चीजें हटा दी जाती हैं. इनकी जगह उनके लिए रूस से लाई गई चीजें रख दी जाती हैं. इन चीजों की क्रेमलिन में पहले से जांच की जाती है. उनका खाना, उनके खाने से पहले दूसरे लोग खाकर देखते हैं, और यह सुनश्चित करते हैं कि इसमें कुछ मिला तो नहीं है.

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इशारों में करते हैं बात!

रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि पुतिन अपने गार्ड्स से कई मौकों पर इशारों में बात करते हैं. सोशल मीडिया पर मौजूद कई क्लिप्स और तस्वीरों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जाता है. इन वीडियो या तस्वीरों में वे कभी अपनी शर्ट के कपलिंग्स छूते नजर आते हैं, कई बार माइक को अलग तरीके से यूज करते हुए. इस बात को और ज्यादा बल इसलिए मिलता है, क्योंकि वे खुद भी केजीबी के जासूस रह चुके हैं इसीलिए वह कोड वाली लैंग्वेज अच्छी तरह जानते हैं.

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कैसा होता है उनका सुरक्षा घेरा?

बताया जाता है कि पुतिन चार से पांच लेयर की सिक्यूरिटी में रहते हैं. सबसे नजदीक उनके छह से आठ करीबी बॉडीगार्ड्स रहते हैं. दूसरा घेरा इनर रिंग होता है, जिसमें 30-40 सुरक्षाकर्मी होते हैं. ये घेरा भीड़ के बीच में मौजूद रहता है. ये गार्ड्स ताकतवर हथियारों से लैस होते हैं. तीसरा घेरा होता है ड्रोन काउंटर टीम और सर्विलेंस टीम का. जो भीड़ के बाहर रहता है. चौथे घेरे में स्नाइपर्स होते हैं, जिन्हें इमारतों की छतों पर तैनात किया जाता है.


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