Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने में देरी चिंता बढ़ाने वाली है। आज के समय में जब हर तरह की आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं तब भी मजदूरों की लोकेशन का पता चल जाने के बावजूद उन्हें निकाले जाने में सफलता नहीं मिलना कई तरह के सवाल खड़े करती है। आखिर क्या दिक्कत आ रही है और कौन सी गलती हो रही है। क्या भारत के पास इसके लिए एडवांस टेक्नोलॉजी नहीं है। क्या ऐसा हादसा पश्चिम के किसी देश में होता तो वहां भी इतना ही समय लगता। ये ऐसे सवाल हैं जो 15 दिन से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उठने लगे हैं।
सवाल यह भी है कि आखिर आगर मशीन बार बार खराब क्यों हो रही है। क्या वजह है कि जो काम एक दिन में ही हो जाना चाहिए था, उसमें 15 दिन से लगातार दिन रात मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिली है। आखिर ड्रिलिंग इतनी कठिन क्यों है और बार-बार रोकनी क्यों पड़ रही है। गौरतलब है कि 12 नवंबर को दिवाली के दिन से ही यहां सभी मजदूर टनल का एक हिस्सा गिरने से उसके अंदर फंसे हुए हैं।
ये भी पढ़ें-Imran Khan: बुशरा बीबी के पूर्व पति ने इमरान खान पर दर्ज कराया केस, कहा-बर्बाद कर दी मेरी शादीशुदा जिंदगीक्या है अमेरिकी आगर मशीन
आगर मशीन को बोरिंग मशीन भी कहा जाता है। यह मशीन ड्रिलिंग करने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। इसे अलग-अलग तरह के निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। एडवांस आगर मशीन में जीपीएस सिस्टम भी लगा रहता है। इससे पता चलता है कि कितनी दूरी तक ड्रिलिंग करनी है। मजदूरों को निकालने के लिए शुरुआत में हॉरिजंटल यानी सीधी ड्रिलिंग की जा रही थी। इसमें गिरे हुए मलबे को छेद बनाकर हटाने के बाद मजदूरों को निकालने की योजना थी।
बाद में देखा गया कि इसमें सफलता मिलने में बहुत समय लग जाएगा। क्योंकि इतनी ज्यादा मात्रा में मलबे को हटाना बहुत मुश्किल काम था। इसमें कई बार रास्ते में मजबूत चट्टान सामने आ जा रही थी। मशीन के खराब होने और ड्रिलिंग वाले हिस्से के टूटने की खबरें भी सामने आईं थीं। इसके बाद प्लानिंग की गई कि उपर से छेद यानी वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी।
देखें-टनल ऑपरेशन पर रिपोर्टबहुत शक्तिशाली है आगर मशीन
इस समय इस्तेमाल की जा रही आगर मशीन को एक अमेरिका की कंपनी ने बनाया है। यह बहुत ज्यादा शक्तिशाली मशीन है। यह मशीन 5 मीटर प्रति घंटे के हिसाब से मलबे को हटाने में सक्षम है। इस मशीन को वायुसेना के 3 ट्रांसपोर्ट फ्लाइट्स ने दिल्ली से हवाई मार्ग द्वारा देहरादून तक पहुंचाया था।
क्यों बार-बार खराब हो रही मशीन
सुरंग में आगर मशीन की क्षमता भी कम पड़ने लगी। मशीन का सामने का हिस्सा केवल कंक्रीट की ही ड्रिलिंग कर सकता है। सिल्क्यारा सुरंग में मशीन के सामने कई बार लोहे जैसी ठोस धातु सामने आ जा रही है, जिसकी वजह से मशीन या तो टूट जा रही है या मुड़ जा रही है। इसी वजह से इतनी ताकतवर मशीन से काम करने में भी दिक्कत आ रही है।
आगर मशीन के अंदर कई ब्लेड एक दूसरे से जोड़े जाते हैं। एक वर्कर के मुताबिक इसें 8, 6 और 3 मीटर का ब्लेड इस्तेमाल होता है। सुरंग की लंबाई ज्यादा होने से कई ब्लेड एक दूसरे से जोड़नी पड़ती है, मशीन बीच में कोई ठोस चीज आ जाने से अटक जा रही थी। इस वजह से मशीन को बाहर निकालना पड़ा। बाहर निकालते समय दो ब्लेड जहां से जोड़े गए थे उसका एक हिस्सा टूट गया और अंदर ही फंस गया।
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