What Is Halal Certified Products Banned By UP Government: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट बैन कर दिए हैं। अब प्रदेश में इन प्रोडक्ट्स को बनाना, बेचना और स्टॉक करना बैन है। नए आदेशों के अनुसार, अब तेल, साबुन, टूथपेस्ट और शहद जैसे शाकाहारी प्रोडक्ट्स के लिए हलाल प्रमाणपत्र जरूरी नहीं है। यह प्रतिबंध पब्लिक हेल्थ के हित में और भ्रम को रोकने के लिए है। वहीं योगी सरकार का यह भी मानना है कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर अवैध कारोबार हो रहा है। यह अवैध कमाई आतंकी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग की जा रही है। आइए जानते हैं कि क्या है हलाल? हलाल प्रोडक्ट और सर्टिफिकेशन...
7 धाराओं के तहत 4 कंपनियों पर दर्ज हुआ केस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लखनऊ के ऐशबाग में रहने वाले शैलेंद्र कुमार शर्मा ने हजरतगंज थाने में 16 नवंबर को हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली 4 कंपनियों की शिकायत देकर FIR दर्ज कराई। हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई और जमीयत उलेमा मुंबई के खिलाफ केस हुआ है। IPC की धारा 120बी, 153ए, 298, 384, 420, 471 और 505 के तहत केस दर्ज हुआ है। यह कंपनियां वेज फूड भी सर्टिफाइड कर रही थीं। इसके बाद योगी सरकार ने 18 नवंबर को हलाल पर बैन लगा दिया। इसके बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद ने प्रेस रिलीज जारी करके कहा कि उसके पास हलाल को लेकर वाणिज्य मंत्रालय का वैलिड सर्टिफिकेट है। उसी सर्टिफिकेट के आधार पर प्रोडक्ट बनाकर बेचे जा रहे हैं।
क्यों हो रहा हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट पर विवाद?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में वकील विभोर आनंद ने एक याचिका दायर की। इसमें हलाल प्रोडक्ट्स और हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन लगाने की मांग की गई। याचिका में दावा किया गया कि हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट इस्तेमाल करने वाली 15% आबादी के लिए 85% नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए। हाल ही में भारत में दौड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन में चाय प्रीमिक्स के एक पाउच को लेकर हंगामा हुआ था। इस दौरान यात्रियों ने सवाल भी उठाया था कि अगर प्रोडक्ट वेज है तो इसे हलाल सर्टिफिकेट के साथ क्यों बेचा जा रहा है? अगर यह सिर्फ मुसलमानों के लिए ही जरूरी है तो क्यों दूसरे धर्मों के लोग इसे इस्तेमाल करने के लिए बाध्य हों।
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क्या होता है हलाल और इसका सर्टिफिकेशन?
हलाल अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है अनुमति। हलाल प्रोडक्ट, वह प्रोडक्ट होता है, जो इस्लामी कानून की जरूरतों को पूरा करता है और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए सही है। हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार 1974 में शुरू हुआ था। इससे पहले हलाल सर्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। हलाल मांस का मतलब है वह मांस, जिसे इस्लामिक प्रक्रिया से तैयार किया गया। इसके अनुसार, जानवर को गला काट कर मारा जाता है। 1993 में हलाल सर्टिफिकेशन दूसरे प्रोडक्ट्स के लिए भी लागू कर दिया गया। दुनियाभर में करीब 2 अरब मुसलमान हैं, जिनमें से लगभग 4 मिलियन मुस्लिम अकेले अमेरिका में रहते हैं। वहां बड़े स्तर पर हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री होती है। भारत में भी हलाल प्रोडक्ट बेचे जाते हैं।
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कौन और कौन-सी कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट देतीं?
हलाल प्रोडक्टों एक्सपोर्ट करने वाले देशों को मान्यता प्राप्त निजी संगठन से सर्टिफिकेट लेना होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में कोई सरकारी संगठन नहीं है। देश के वाणिज्य मंत्रालय ने 2023 की शुरुआत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए एक गाइडलाइनर जारी किया था। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया सर्टिफिकेशन (FSSAI) करीब प्रोडक्ट पर टैग होता है, लेकिन यह कंपनी हलाल सर्टिफिकेट नहीं देती। भारत में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली महत्वपूर्ण कंपनियां हैं- हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमात उलेमा-ए-महाराष्ट्र और जमात उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट।