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ट्रंप ने पाकिस्तान को कहां फंसा दिया? असीम मुनीर को क्यों दिखने लगा ‘इधर कुआं-उधर खाई’

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुनीर आने वाले कुछ दिनों में ट्रंप से मिलने वाशिंगटन जा सकते हैं. पिछले छह महीने में दोनों की यह तीसरी मुलाकात होगी.

पाकिस्तान आर्मी चीफ मुनीर के लिए अभी स्थिति ज्यादा नाजुक है.

अमेरिका ने पाकिस्तान समेत मुस्लिम बहुल देशों को कहा है कि अपनी सेना गाजा में तैनात करें. अमेरिका का मकसद है कि गाजा में दोबारा से हमास ताकतवर ना हो जाए. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस प्रस्ताव ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के लिए 'इधर कुआं, उधर खाई' जैसी स्थिति पैदा कर दी. अगर पाकिस्तान गाजा में अपनी सेना भेजता है तो इससे देश के भीतर ही भारी आक्रोश पैदा हो सकता है. वहीं, अगर नहीं भेजता है तो डोनाल्ड ट्रंप नाराज हो सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप को नाराज करने का खतरा पाकिस्तान मोल लेना नहीं चाहता.

न्यूज एजेंसी राउटर्स के मुताबिक, मुनीर आने वाले कुछ दिनों में ट्रंप से मिलने वाशिंगटन जा सकते हैं. पिछले छह महीने में दोनों की यह तीसरी मुलाकात होगी. सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात का फोकस, गाजा में सेना तैनाती के मुद्दे पर होगा.

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क्या है ट्रंप का प्लान?

ट्रंप ने गाजा के लिए 20-सूत्रीय प्रस्ताव तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि इजरायली सेना की वापसी के बाद गाजा में पुनर्निर्माण और आर्थिक सुधार के ट्रांजिशन पीरियड के लिए हर मुस्लिम बहुत देश अपनी सेनाएं वहां तैनात करे. बता दें, इजरायल और हमास के बीच दो साल से अधिक समय से युद्ध चल रहा है, इसकी वजह से गाजा पूरी तरह तबाह हो गया. ट्रंप का मकसद है कि गाजा में हमास वापस काबिज ना हो जाए. ट्रंप चाहते हैं कि हमास को बिल्कुल खत्म कर दिया जाए.

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दुविधा में कई देश?

कई देश ट्रंप के इस प्लान को लेकर दुविधा में हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुस्लिम बहुल देश अगर अपनी सेनाएं गाजा में भेजते हैं तो इससे उनके देश में ही आक्रोश पैदा हो सकता है. उनके देश में फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी जनभावनाएं भड़क सकती हैं. पाकिस्तान भी इसको लेकर ही दुविधा में है.

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ट्रंप की नाराजगी क्यों नहीं चाहते मुनीर

पाकिस्तान आर्मी चीफ मुनीर के लिए अभी स्थिति ज्यादा नाजुक है. पिछले कई वर्षों से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं चल रहे थे. मुनीर ही पाकिस्तान को अमेरिका के करीब लेकर गए हैं. जून 2025 में मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया गया था. यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने बिना किसी सिविलियन अधिकारी के अकेले पाकिस्तान के सेना प्रमुख की मेजबानी की हो. ऐसे में वह ट्रंप को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकते. ट्रंप को नाराज करना पाकिस्तान के लिए कोई छोटी बात नहीं है. अमेरिका ने पाकिस्तान में अच्छा खासा निवेश भी कर रखा है, इसके अलावा डिफेंस में भी मदद करता रहता है. इसलिए वह ट्रंप की गुड बुक्स में बने रहना चाहता है.

पाकिस्तान पर ज्यादा दबाव क्यों?

पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र मुस्लिम देश है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं. पाकिस्तान की सेना को युद्ध की स्थिति का भी काफी अनुभव है, क्योंकि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों से कई बार युद्ध कर चुका है. इसके अलावा अपने देश के भीतर के विद्रोह से भी निपटती रही है. ऐसे में पाकिस्तान पर अमेरिका के प्रति अपनी वफादारी साबित करने का सबसे ज्यादा दबाव है.

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हालांकि, इस बीच पिछले महीने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार का बयान आया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान शांति सेना भेजने पर विचार कर सकता है, लेकिन हमास को निशस्त्र करना हमारा काम नहीं है.

विदेश मंत्री के बयान से कुछ संकेत तो साफ दिख रहे हैं. अगर मुनीर गाजा में अपनी सेना भेजते हैं तो देश के भीतर ही विद्रोह पैदा हो सकता है. पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियों का विरोध फिर से भड़क सकता है. ये पार्टियां अमेरिका और इजरायल की घोर विरोधी हैं. इतना ही नहीं, इन पार्टियों की ताकत हजारों लोगों को सड़कों पर उतारने की भी है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के पास भी व्यापक जनसमर्थन है, वह भी मुनीर के खिलाफ कड़ा रुख अपना सकती है.


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