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क्या है PAFF जिसने ली कश्मीर में सेना पर हुए हमले की जिम्मेदारी? जैश-ए-मोहम्मद से है कनेक्शन

Jammu Kashmir Terror Attack: गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए थे। इस हमले का जिम्मा पीएएफएफ यानी पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट ने लिया है। जानिए इस आतंकी संगठन के बारे में और पहले यह कौन-कौन सी घटनाओं को अंजाम दे चुका है...

सांकेतिक तस्वीर।
Jammu Kashmir Terror Attack : जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को एक बार फिर आतंकवादियों ने हमला किया था जिसमें भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए। हथियारबंद आतंकियों ने यहां के पुंछ जिले में भारतीय सेना के वाहनों को निशाना बनाया था। घटना में तीन जवान घायल भी हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी People's Anti-Fascist Front (PAFF) ने ली है। यह आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ ग्रुप ही है। इस रिपोर्ट में जानिए कि असल में गुरुवार को क्या हुआ था जिसके चलते चार जवान शहीद हो गए थे और पीएएफएफ की असलियत क्या है।

गुरुवार की शाम क्या और कैसे हुआ

गुरुवार की शाम को सेना के दो वाहन कुछ अधिकारियों को लेकर एक सर्च ऑपरेशन की जगह जा रहे थे। ये डेरा की गली और बफलियाज के बीच में थे जब आतंकियों ने इन पर हमला कर दिया था। यह इलाका सुरनकोट पुलिस स्टेशन के सीमा क्षेत्र के तहत आता है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय सेना की एक जिप्सी और एक मिनी ट्रक सुरनकोट के बफलियाज से राजौरी के थानामंडी की ओर जा रहे थे। जैसे ही ये वाहन टोपा पीर इलाके से नीचे पहुंचे वहां पर पहले से ही घात लगाकर बैठे आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया। घटनास्थल से सामने आए विजुअल्स में सड़क पर खून, सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट और दोनों वाहनों की टूटी विंडस्क्रीन दिख रही है। भारतीय सेना के अनुसार इस हमले में शामिल आतंकियों की तलाश चल रही है। इसके लिए शुक्रवार सुबह भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया था।

जैश के मसूद अजहर ने रखी नींव

बता दें कि राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल अब तक कुल 54 लोगों की जान गई है। इनमें 19 सुरक्षा कर्मी और 28 आतंकवादी भी शामिल हैं। अकेले राजौरी में ही 14 सुरक्षा कर्मियों और 10 आतंकियों समेत कुल 31 लोगों की ऐसे हमलों में मौत हुई है। इस हमले के कुछ देर बाद ही पीएएफएफ ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। उल्लेखनीय है कि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर ने ही पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट की भी स्थापना की थी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पीएएफएफ की कमान मुफ्ती अजगर कश्मीरी संभालता है और मुफ्ती अब्दुल रऊफ अजहर इस आतंकी ग्रुप के संगठन संबंधी ऑपरेशंस देखता है। बता दें कि मुफ्ती अब्दुल रऊफ अजहर मसूज अजहर का भाई है।

जनवरी में सरकार ने किया था बैन

इस साल जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर हुई आतंकी घटनाओं में पीएएफएफ की संलिप्तता को लेकर इसे प्रतिबंधित कर दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि पीएएफएफ सुरक्षा बलों, राजनेताओं और नागरिकों को लगातार धमकियां देता रहा है। इसके साथ ही मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि पीएएफएफ अन्य आतंकी गुटों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से फिजिकली और सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर समेत भारत के अन्य बड़े शहरों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रचता रहा है। यह जानकारी भी सामने आई है कि पीएएफएफ युवाओं को भड़काने, उन्हें बंदूकें व विस्फोटक चलाने और उन्हें अपने साथ शामिल करने के काम में भी काफी सक्रिय रहा है। इस आतंकी संगठन का नाम जम्मू-कश्मीर में हुई ऐसी कई आतंकवादी घटनाओं में जुड़ता रहा है।

भाजपा के नेता की हत्या भी की थी

जून 2021 में पीएएफएफ ने पुलवामा में भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या की जिम्मेदारी भी ली थी। पंडिता की हत्या तब हुई थी जब वह त्राल इलाके में एक मित्र के घर जा रहे थे। इसने जम्मू-कश्मीर ने डायरेक्टर जनरल (जेल) हेमंत के लोहिया की मौत की जिम्मेदारी भी ली थी। लोहिया की मौत को लेकर पीएएफएफ ने एक बयान में कहा था कि यह हिंदुत्ववादी सत्ता और इसमें साथ देने वालों को चेतावनी और ऐसे हाई प्रोफाइल ऑपरेशंस की महज शुरुआत है। हम कहीं भी और कभी भी हमला कर सकते हैं। हालांकि, अधिकारियों ने इसमें आतंकियों की संलिप्तता के दावे खारिज किए थे।

अप्रैल में शहीद हुए थे पांच सैनिक

बता दें कि पीएएफएफ का सबसे बड़ा हमला इस साल अप्रैल में पूंछ में हुई घटना को माना जाता है। इसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। आतंकियों ने पुंछ-जम्मू हाईवे पर उनके वाहन पर हमला कर दिया था जिससे उसमें आग लग गई थी। इस हमले के बाद पीएएफएफ ने ढाई मिनट की एक वीडियो क्लिप भी जारी की थी। इस वीडियो में बॉडी कैमरा के साथ एक आतंकी को एक सैनिक को कई बार गोलियां मारते हुए देखा गया था। इस हमले के दौरान आतंकियों ने सैनिक के सिर में भी गोली मारी थी। चार अगस्त को कुलगाम में हुई भिड़ंत का जिम्मेदार भी पीएएफएफ को ही माना जाता है जिसमें तीन सैनिक शहीद हुए थे। तब इसने यह दावा भी किया था कि उसने सैनिकों के हथियार भी अपने कब्जे में कर लिए थे। आतंकियों ने पूरे हमले को बॉडी कैमरों की मदद से अंजाम दिया था। ये भी पढ़ें: ‘सेव डेमोक्रेसी’ प्रोटेस्ट में राहुल गांधी का केंद्र पर हमला ये भी पढ़ें: समुद्र को चीरने के लिए भारत ने उतारा मिसाइल विध्वंसक ये भी पढ़ें: जानिए क्या है सेंटा क्लॉज और क्रिसमस ट्री का इतिहास ये भी पढ़ें: काम्या जानी के जगन्नाथ मंदिर में जाने पर मचा बवाल


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