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Explainer : पहले गवर्नर हाउस, फिर राजभवन और अब लोकभवन : जानिए, नाम बदलने के पीछे सरकार की मंशा

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 नवंबर 2025 को सभी राज्यों को 'राजभवन' का नाम बदलकर 'लोकभवन' करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवातीर्थ' और केंद्रीय सचिवालय का नाम 'कर्तव्य भवन' किया है।

हर स्टेट की राजधानी में एक भव्य और विशाल इमारत होती है। इसे हम 'राजभवन' के नाम से जानते हैं। यह इमारत सिर्फ राज्यपाल का आधिकारिक निवास नहीं होती, बल्कि यह भारत के संवैधानिक इतिहास की साक्षी है। यहां राज्यपाल औपचारिक, संवैधानिक भूमिका निभाते हैं, और रोजाना के प्रशासनिक कार्य सीमित होते हैं। अंग्रेजी शासन में इसे 'गवर्नर हाउस' कहा जाता था। अब सरकार ने इन इमारतों का नाम बदलने का फैसला किया है। अब गृह मंत्रालय ने इनका नाम राजभवन से लोकभवन कर दिया है। अब सवाल है कि आखिर ये नाम बदलने के पीछे क्या मकसद हो सकता है। इसके पीछे की वजह आपको इस नए नाम में ही दिख जाएगी। 'राज' मतलब शासन और 'लोक' मतलब जनता से जोड़कर देख सकते हैं। अब जानिए, आसान शब्दों में सरकार की मंशा और इसके पीछे छिपे मैसेज की।

पहले क्या था नाम?

ब्रिटिश राज में गवर्नर हाउस को ऐसा बनाया जाता था, जिससे शासक वर्ग की शक्ति और प्रभुत्व दिखाई दे। इससे साफ जाहिर होता था कि सरकार चलाने वाले आम लोगों से अलग हैं। राजभवन हमेशा एक बंद संस्था रही है, जहां कड़ा सुरक्षा प्रोटोकॉल होता है। इनकी इमारतों की वास्तुकला बेहद भव्य और विशाल होती थीं, और ये आम जनता की पहुंच यहां तक नहीं होती थी। फिर आजादी के बाद इनका नाम बदलकर कर दिया गया 'राजभवन'। कहा जाता है कि गवर्नर हाउस से राजभवन नाम भारत के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने किया था। हालांकि, इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।

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नए नाम में क्या है मैसेज?

लेकिन अब सरकार ने राजभवन का भी नाम बदल दिया है। इसकी पीछे की वजह इसका नाम का अर्थ ही बताया जा रहा है। राजभवन में 'राज' शब्द का अर्थ 'शासन' या 'रूल' से ले सकते हैं। सरकार का कहना है कि इस नाम में ही औपनिवेशिक मानसिकता झलकती है। ऐसे में राजभवनों को जनता के और करीब लाने के लिए यह फैसला लिया गया है। नए नाम 'लोकभवन' का अर्थ देखें तो इसके 'लोक' का अर्थ जनता/लोग से ले सकते हैं। पुराने नाम के विपरित नया नाम भारतीय लोकतंत्र के मूल दर्शन को दर्शाता है। 'लोक भवन' नाम चुनने से एक सीधा मैसेज जाता है कि सरकार अब राजा या गवर्नर नहीं, बल्कि आम जनता है। अब यह इमारतें अभेद्य किले नहीं, बल्कि वह जगह है, जहां 'लोक' यानी आमजन के लिए फैसले लिए जाते हैं। इस फैसले के पीछे सरकार की वह कोशिश दिखी है, कि जनता-केंद्रित शासन को लागू किया जाए। और सदियों पुरानी शाही और औपनिवेशिक विरासत को धीरे-धीरे खत्म किया जाए।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 नवंबर 2025 को सभी राज्यों को 'राजभवन' का नाम बदलकर 'लोकभवन' करने का निर्देश दिया था। सभी राज्यों में गृह मंत्रालय के इस निर्देश को लागू राज्यपाल ही कर रहे हैं। नाम बदलने की शुरुआत सबसे पहले पश्चिम बंगाल से हुई। 29 नवंबर को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस निर्देश को सबसे पहले लागू किया था। इसके बाद एक-एक करके सभी राज्यों में इसे लागू किया गया।

इससे क्या-क्या बदलेगा?

  • वेबसाइट, विजिटिंग कार्ड, गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट्स, नोटपेड, गर्वनमेंट कम्युनिकेशन सभी जगह नाम बदलेगा।
  • अब इमारत पर लगे सभी बोर्ड, फलक, बोर्ड पर नए नाम वाली तख्तियां लगेंगी।
  • सड़कों पर लगे साइन बोर्ड।
  • नए लोगो या प्रतीकों का इस्तेमाल हो सकता है।
  • अभी तक लोगों की पहुंच से दूर रही इस इमारत तक पहुंचना आसान होगा।
  • आम जनता के लिए भी इस इमारत के द्वार खुल जाएंगे।

पीएमओ का भी बदला नाम

मंगलवार को सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलने का भी ऐलान किया है। अब पीएमओ को सेवातीर्थ के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय सचिवालय का भी नाम बदलकर कर्तव्य भवन किया गया है।


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