भारत में आखिरी बार साल 2011 में जनगणना हुई थी, 2021 में प्रस्तावित 10 वर्ष पूरे होने के बाद सरकार पर फिर से देशभर में जनगणना कराने का दबाव पड़ने लगा था. इस बीच विपक्ष लगातार देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग करता रहा, जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वीकार भी किया. इसी क्रम में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में जनगणना 2027 के लिए बजट का भी ऐलान कर दिया. करीब 15 साल बाद 2027 में होने जा रही जनगणना को लेकर सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी देश के लिए जनगणना क्यों जरूरी होती है?
भारत की पहली जनगणना (First Census Of India)
भारत में हर 10 वर्ष पर जनगणना की जाती है, साल 2021 में होने वाली प्रस्तावित जनगणना कोरोना वायरस की वजह से टल गई थी. इतिहास में जनगणना का जिक्र रोमन साम्राज्य के समय में मिलता है. अगर आधुनिक तरीके से जनगणना की बात करें तो सबसे पहले सन 1749 में स्वीडन की सरकार ने अपने देश के नागरिकों की गिनती करवाई थी. वहीं, भारत में पहली बार सन 1881 में ब्रिटिश शासन काल में जनगणना हुई थी. तब से लगातार हर 10 वर्ष पर भारत में प्रस्तावित जनगणना कराई जा रही है.
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जनगणना क्यों है जरूरी? (Why Is Census Necessary)
जब कभी जनगणना का जिक्र होता है तो अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उछल-कूद मचाने लगता है कि आखिर देश में रहने वाले लोगों की गिनती करके सरकार को क्या ही मिल जाता है? इससे हमारा-आपका या देश का क्या फायदा? अगर आप भी ऐसे सवालों से परेशान हैं तो आपको बता दें कि जनगणना का सीधा फायदा देश में रहने वाली जनता को ही मिलता है. जनगणना के दौरान सरकार द्वारा तैनात कर्मी घर-घर जाकर अलग-अलग मानकों के आधार पर लोगों के आंकड़े इकट्ठा करते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जनगणना किसी भी देश की सरकार के लिए सूचना का अहम स्रोत होता है, जिससे जनता के बारे में कई तरह की सांख्यिकीय जानकारी हासिल होते हैं. इन आंकड़ों की मदद से सरकार अपनी योजनाएं और नीतियां निर्धारित करती हैं.
जनगणना से मिले आंकड़ों का क्या फायदा?
- जनगणना आंकड़ों का इस्तेमाल बजट आवंटन में किया जाता है.
- इसके अलावा नीति निर्माण के लिए भी जरूरी है जनगणना.
- निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के निर्धारण के लि भी जरूरी है जनगणना.
- संसद, राज्यों की विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधित्व का आवंटन.
- जनगणना आंकड़ों से बिजनेस सेक्टर अपनी पहुंच को बेहतर बनाता है.
- जनगणना के आधार पर तय किए जाते हैं राज्यों को मिलने वाले अनुदान.
अगर न हो जनगणना तो कैसा नुकसान?
2027 में होने जा रही जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने 11000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की है. अगर आपको लगता है कि सरकार को ये पैसे किसी और काम में इस्तेमाल करना चाहिए तो आपको पता होना चाहिए कि जनगणना न होने से क्या नुकसान हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर मिश्र ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि कोरोना काल के दौरान अगर 2021 की जनगणना हुई होती तो सरकार के पास लोगों के विस्थापन और निवास को लेकर बेहतर आंकड़े होते. जनगणना के आंकड़ों से स्थिति को नियंत्रित करने में सरकार को काफी मदद मिलती.
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कितने वर्ष तक इस्तेमाल हो सकते हैं जनगणना के आंकड़े?
DW की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर ने कहा कि सरकार जब ऐलान करती है कि हम इतने लोगों के लिए घर बनवाएंगे या कोई योजना शुरू करेंगे, तो जब उनके पास यही आंकड़ा नहीं है कि किसी भौगोलिक क्षेत्र में कितने लोग हैं, तो इन योजनाओं का कोई मतलब नहीं है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की 2021-2030 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग हर पांचवें बुजुर्ग के पास आय का कोई साधन नहीं है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सरकार बिना आंकड़ों के काम कर रही है. एक बार जनगणना होने के बाद उन आंकड़ों के आधार पर अगले 25 वर्षों तक की जनसंख्या का अनुमान लगाया जाता है.